हरियाणा में स्नातक डी.एल.एड बनेंगे टीजीटी, प्रदेश में भी हो मंथन

बी.एड. धारक स्नातक को जेबीटी बनाया जा सकता है तो डी.एल.एड. धारक स्नातक को टीजीटी बनाने में कोई दिक्कत नहीं होनी चाहिए और हरियाणा की तर्ज़ पर टीजीटी भर्ती नियमों में बदलाव हेतु मंथन किया जाना चाहिए ।
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हमीरपुर ।  दो वर्षीय डिप्लोमा इन एलीमेंटरी एजुकेशन (डी.एल.एड) कोर्स को अब हरियाणा में  टीजीटी टीईटी और टीजीटी  पद पर नियुक्ति हेतु पात्र घोषित कर दिया गया है । भर्ती पदोन्नति नियमों में बदलाव करते हुए हरियाणा ने डी.एल.एड. जिसे जेबीटी कोर्स के नाम से जाना जाता है , उनको अब जेबीटी के साथ-साथ टीजीटी पदों पर भी नियुक्ति के लिए अवसर मिलेगा ।

एनसीटीई ने वर्ष 2018 में जारी अधिसूचना में जेबीटी के पदों पर टीजीटी योग्यता वाले स्नातक बी0एड0 बेरोजगार शिक्षकों को भी प्राथमिक स्कूलों के जे0बी0टी0 पदों पर नियुक्ति का मौका देने हेतु अधिसूचना की गई थी जिसके बाद पूरे देश में प्राथमिक शिक्षक पदों हेतु स्नातक बी0एड0 योग्यता धारक शिक्षक पात्र बनाने की प्रक्रिया चली और प्रदेश में भी 125 मामले जेबीटी भर्ती से जुड़े हाईकोर्ट में दर्ज हुए । कुछ बी0एड0 कोर्स धारक जेबीटी कमीशन में बैठने हेतु हाईकोर्ट से आज्ञा लेने भी गए और इसके चलते हिमाचल प्रदेश के जेबीटी कमीशन का परिणाम व नियुक्तियाँ 2 साल से लटकी हैं ।

एनसीटीई ने 28 जून , 2018 को जारी अधिसूचना में स्नातक बी0एड0 धारकों को अगर जेबीटी पदों पर नियुक्त किया जाता है तो उनको नियुक्ति के दो वर्ष के भीतर 6 माह का एक ब्रिज कोर्स प्राथमिक शिक्षा क्षेत्र में करना अनिवार्य होगा मगर प्रदेश में बेरोजगार डी0एल0एड0 की संख्या अब 25 हज़ार से ज्यादा हो चुकी है जिसके चलते प्राथमिक शिक्षा स्तर पर नियुक्तियों में प्राथमिकता इनको ही देने हेतु संघर्ष जारी है । अब हरियाणा में डी0एल0एड0 कोर्स कर चुके स्नातकों को भी टीजीटी पदों पर नियुक्ति के लिए पात्र बनाया जा चुका है और प्रदेश के बेरोजगार जेबीटी भी इस प्रावधान को प्रदेश में भी लागू करने की अपील कर रहे हैं जिसके लिए वे सुप्रीम कोर्ट तक जाने को तैयार हैं ।

इस बारे में राजकीय टीजीटी कला संघ महासचिव विजय हीर का कहना है कि अगर बी0एड0 धारक स्नातक को जेबीटी बनाया जा सकता है तो डी0एल0एड0 धारक स्नातक को टीजीटी बनाने में कोई दिक्कत नहीं होनी चाहिए और हरियाणा की तर्ज़ पर टीजीटी भर्ती नियमों में बदलाव हेतु मंथन किया जाना चाहिए । प्रदेश उच्च न्यायालय के द्वारा जेबीटी भर्ती पर निर्णय आने के बाद संघ इस मामले में विभाग से वार्ता करेगा । प्रदेश स्कूल शिक्षा बोर्ड टीईटी और टीजीटी भर्ती पदोन्नति नियम में ऐसे संशोधन हेतु विचार-विमर्श किया जाना वाजिब होगा ।

पहले जेबीटी को नौकरी की देते थे गारंटी
प्रदेश में वर्ष 2009 तक जेबीटी यानि वर्तमान में डी0एल0एड0 नाम से प्रचलित कोर्स में नौकरी की गारंटी होती थी । वर्ष 1998, 2002 के जेबीटी बैच में सरकार राज्यपाल के नाम पर एक शपथ-पत्र देती थी कि कोर्स के 6 माह के भीतर जेबीटी कोर्स करने वालों को नौकारी देगी । अगर शिक्षक 5 साल से पहले जेबीटी नौकरी छोड़ता तो उसको 50 हज़ार रूपये की राशि विभाग को देनी पड़ती जिसका ज़िक्र नियुक्ति बॉन्ड में होता था । मगर डी0एल0एड0 कोर्स के बाद बेरोजगार जेबीटी का आंकड़ा इतना बढ़ गया है कि 6 माह तो दूर , 6 साल में भी नौकरी मिलने के आसार नज़र नहीं आ रहे । ऐसे में इस कोर्स का मान भी बी0एड0 वाला ही रह गया है ।

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