हमीरपुर : बड़सर विस क्षेत्र की सीट भाजपा के लिए बनी सिरदर्द, वजह बगावत

बड़सर के दशकों पुराने राजनीतिक इतिहास में बीजेपी ने पहली बार महिला पर भरोसा जताया है। इस बार पूर्व विधायक बलदेव शर्मा की पत्नी माया शर्मा को बीजेपी का टिकट मिला है। निर्दलीय संजीव कुमार शर्मा चुनावी मैदान में ताल ठोक रहे हैं। 
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हमीरपुर   हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव की सरगर्मियां तेज है। हिमाचल की 68 विधानसभा सीटों पर 12 नवंबर को वोटिंग होगी। बड़सर के दशकों पुराने राजनीतिक इतिहास में बीजेपी ने पहली बार महिला पर भरोसा जताया है। इस बार पूर्व विधायक बलदेव शर्मा की पत्नी माया शर्मा को बीजेपी का टिकट मिला है। बड़सर क्षेत्र में बीजेपी से माया शर्मा, कांग्रेस से इंद्रदत्त लखनपाल और आम आदमी पार्टी से गुलशन सोनी कैंडिडेट हैं। इसके अलावा बहुजन समाज पार्टी से रत्न चंद कटोच, देवभूमि पार्टी से नरेश कुमार, हिमाचल जनक्रांति पार्टी से परमजीत ढटवालिया और निर्दलीय संजीव कुमार शर्मा चुनावी मैदान में ताल ठोक रहे हैं। 


 

बताते चलें कि बड़सर क्षेत्र से बीजेपी की टिकट पाने वाली माया शर्मा पूर्व विधायक बलदेव शर्मा की पत्नी हैं। पूर्व विधायक एवं जिला भाजपा अध्यक्ष बलदेव शर्मा इसी सीट से तीन बार लगातार चुनाव जीत चुके हैं और विधायक रहे हैं। इस बार पार्टी ने बलदेव की जगह उनकी पत्नी पर भरोसा जताया है। हालांकि दिवंगत पूर्व भाजपा नेता राकेश बबली के भाई संजीव बबली भी इस बार टिकट के दावेदार थे, लेकिन उन्हें निराशा मिली।  वहीं बीजेपी की माया शर्मा का मुकाबला कांग्रेस के वर्तमान विधायक इंद्रदत्त लखनपाल से है। हालांकि लोग कह रहे हैं कि वर्तमान विधायक और माया शर्मा के बीच मुकाबला कड़ा होगा, क्योंकि माया के पति इस सीट पर तीन बार विधायक रहे हैं। कांग्रेस के इंद्रदत्त लखनपाल भी राजनीति के माहिर खिलाड़ी हैं। ऐसे में ये मुकाबला देखना दिलचस्प होगा।



बडसर की सीट भाजपा के लिए सिरदर्द : 


 भाजपा ने लगातार 2 चुनाव हार चुके क्षेत्र के पूर्व विधायक और जिला भाजपा के अध्यक्ष बलदेव शर्मा की धर्मपत्नी माया देवी को उम्मीदवार बनाया है। यह पहला मौका था जब वर्कर्स को मुखालफत पर उतरना पड़ा। अब परिस्थिति शीर्ष नेताओं के कब्जे से पहली मर्तबा बेकाबू हुई है। भाजपा कार्यकर्ता चाह रहे थे कि दिवंगत बबली के भाई संजीव शर्मा को भाजपा बडसर से टिकट देती। दिवंगत बबली का केंद्रीय हाईकमान से अच्छा खासा नाता रहा। कई केंद्रीय नेता बबली के घर भी संवेदना जताने आते रहे, लेकिन प्रत्याशी घोषित करने के कुछ दिन पहले तक जो माहौल था, उसे अचानक पलट दिया गया।

उल्लेखनीय है कि निधन के समय दिवंगत राकेश शर्मा “बबली  हिमाचल प्रदेश भवन एवं अन्य निर्माण कामगार कल्याण बोर्ड के पद पर भी काबिज थे।  संजीव शर्मा को कार्यकर्ताओं की बड़ी फौज ने चुनावी रण में उतार दिया, उसे मनाने के लिए जिला भर के तमाम बड़े नेताओं के अलावा आलाकमान के कुछ खास लोगों ने भी काफी प्रयास किए, लेकिन यह सारे प्रयास बेअसर साबित हुए हैं। यही से भाजपा के लिए खतरे की घंटी बज गई। संजीव कुमार जिस क्षेत्र से ताल्लुक रखते हैं। उस क्षेत्र से कभी भी किसी भी पार्टी ने  प्रत्याशी को रण क्षेत्र में नहीं उतारा। भाजपा के बागी उम्मीदवार संजीव को इसका भी फायदा मिल रहा है। तप्पा ढटवाल के तहत पड़ने वाली तकरीबन 20 से 25 पंचायतों का बड़ा ‘समूह‘ इस क्षेत्र में पड़ता है। संजीव उसी से ताल्लुक रखते हैं। इस क्षेत्र में पार्टी का बड़ा कुनबा उन्हीं के साथ हो लिया है।


बड़सर विधानसभा क्षेत्र में 85457 मतदाता :  


बड़सर विधानसभा क्षेत्र में इस बार 85457 मतदाता हैं। इनमें पुरुष मतदाता 41,873 महिला मतदाता 43,584 हैं। इसके अलावा 1,985 सर्विस वोटर भी विधानसभा क्षेत्र में है। उम्मीद जताई जा रही है कि यहां पर 70 से 75 फीसदी के बीच में मतदान हो सकता है। ऐसे में यहां पर 65 हजार के करीब मतदान होने की उम्मीद लगाई जा रही है। जिस दल का प्रत्याशी 30 हजार के करीब मत हासिल करेगा वह निश्चित तौर पर चुनाव जीतने में कामयाब रहेगा।




बड़सर विधानसभा क्षेत्र में कांग्रेस लगातार दो जीत हासिल कर चुकी है। यहां पर जीत का फैसला पिछले चुनावों में बेहद ही कम रहा है। 2017 के चुनाव में महज 439 मतों के अंतर से कांग्रेसी विधायक ने जीत हासिल की थी, जबकि 2012 के चुनावों में जीत का यह अंतर 2658 था। इन दोनों ही चुनावों में जीतने वाले प्रत्याशी ने 26 हजार के करीब वोट हासिल किए थे। इस बार भी जीतने के लिए प्रत्याशी को इस आंकड़े को पार करना होगा।

बड़सर विधानसभा क्षेत्र में कुल 52 पंचायतें आती हैं। इन पंचायतों में लगभग एक तिहाई से अधिक पंचायतें ढटवाल क्षेत्र में पड़ती हैं। ब्राह्मण वोट बैंक निर्णायक होता हैं। पिछले पांच दशक से यहां पर ब्राह्मण वर्ग से ही विधायक चुने जाते हैं। कांग्रेसी विधायक इंद्रदत्त लखनपाल और पूर्व विधायक बलदेव शर्मा भी ब्राह्मण बिरादरी से ही आते हैं। भाजपा यहां पर क्षेत्र के साथ ही जातीय समीकरणों को साधने का प्रयास करने में जुटी है। पिछले तीन दशक से भाजपा और कांग्रेस का नेतृत्व पंडित नेता ही करते आ रहे हैं।



भाजपा प्रत्याशी माया शर्मा का परिवार 6.73 करोड़ का मालिक : 

बड़सर के चुनावी रण में भाजपा ने पूर्व विधायक बलदेव शर्मा की पत्नी माया शर्मा को मैदान में उतारा है। 53 वर्षीय माया शर्मा की शैक्षणिक योग्यता दसवीं पास है। माया शर्मा के परिवार की संपति 6.73 करोड़ है। इसमें माया शर्मा की संपत्ति 53 लाख और पति की  संपत्ति 6.20  करोड़ है। चुनावी हलफनामे के मुताबिक माया शर्मा के नाम 29.23 लाख की चल और 23.65 लाख की अचल  संपत्ति हैं। चल संपत्ति में उनके पास 22.50 लाख के गहने हैं। माया शर्मा के पति बलदेव शर्मा के नाम 1.20 करोड़ की चल और 5.04 करोड़ की अचल संपत्ति है। बलदेव शर्मा के नाम शिमला और बड़सर में तीन रिहायशी भवन हैं, जिनकी कीमत 4.31 करोड़ है। भाजपा प्रत्याशी माया शर्मा के पति पर 29.43 लाख की देनदारियां भी हैं।



कांग्रेस के इंद्रदत्त लखनपाल के नाम 7.43 करोड़ की संपत्ति, 2 करोड़ से ज्यादा का कर्ज : 

कांग्रेस प्रत्याशी व मौजूदा विधायक इंद्रदत्त लखनपाल बड़सर हल्के से हैट्रिक लगाने की कोशिश कर रहे हैं। 60 वर्षीय इंद्रदत्त लखनपाल की  संपत्ति 7.43 करोड़ है। इसमें उनके परिवार की 63 लाख की चल और 6.8 करोड़ की अचल संपत्तिहै। चल  संपत्तिमें उनके नाम 31.97 लाख और पत्नी के नाम 31.95 लाख हैं। लखनपाल के पास 10 लाख के गहने और 10 लाख की स्कॉर्पियो है। उनकी पत्नी के पास 25 लाख के गहने हैं। वहीं अचल  संपत्तिमें उनके नाम पार्टनशिप में दो होटल और शिमला में रिहायशी भवन है। उन पर 2.10 करोड़ की देनदारियां भी हैं। इंद्रदत लखनाल ने हिमाचल विवि से 1983 में बीए की है।


आप प्रत्याशी गुलशन 56 लाख के मालिक : 

बड़सर के चुनावी रण में आम आदमी पार्टी ने गुलशन को उतारा है। गुलशन मूलतः हमीरपुर के भोरंज क्षेत्र के रहने वाले हैं। 50 वर्षीय गुलशन दसवीं पास है। चुनावी हलफनामे में उन्होंने अपनी संपत्ति 56 लाख दिखाई है। इसमें चल संपत्ति 26 लाख और अचल संपत्ति 30 लाख है। गुलशन की भोरंज हल्के के लदरौर में एक दुकान है। उनकी चल संपत्ति 15.50 लाख और पत्नी की चल  संपत्ति 10.65 लाख है। उन पर 8.90 लाख की देनदारियां हैं। गुलशन के नाम 1.90 लाख और पत्नी के नाम 7 लाख की देनदारियां हैं।



दिवंगत राकेश बबली के भाई संजीव कुमार की संपत्ति 47 लाख : 


दिवंगत भाजपा नेता राकेश बबली के भाई संजीव कुमार भाजपा की टिकट नहीं मिलने पर निर्दलीय किस्मत आजमा रहे हैं। 52 वर्षीय संजीव कुमार के चुनावी हलफनामे पर नजर डालें, तो वे 47 लाख की संपति के मालिक हैं। उनकी 11 लाख की चल और 36 लाख की अचल संपत्ति है। बड़सर के बिझड़ी में उनका एक व्यावसायिक भवन है। चल संपत्ति में उनके नाम 4.21 लाख, पत्नी के नाम 6.21 लाख और बच्चों के नाम क्रमशः 49500-49500 रुपये है। संजीव कुमार पर 5.74 लाख की देनदारियां भी हैं।



विकास पर भारी नेतृत्व : 

उत्तरी भारत का प्रसिद्ध धार्मिक स्थल बाबा बालक नाथ मंदिर इसी क्षेत्र में पड़ता है, लेकिन  क्षेत्र में 30 सालों में कोई ऐसा प्रोजेक्ट  नहीं बना पाया। वहीं कोई भी सरकार बड़सर को बस अड्डा नहीं दे पाई। वायदे तो खूब हुए, लेकिन धरातल पर कुछ नजर नहीं पाया। बहरहाल, शासन चाहे भाजपा का रहा हो या कांग्रेस का लोगों के पास नेताओं के विजन की चर्चा करने की कोई गुंजाइश इसलिए नहीं दिखती। क्योंकि धरातल पर सब कुछ औंधे मुंह है।



उम्मीदवारों का सबल व निर्बल पक्ष : 

कांग्रेस के विधायक इंद्र दत्त लखनपाल ने बड़सर विस में वर्षों से चली आ रही आपसी फूट को समाप्त करने में सफलता हासिल की। क्योंकि यहां पहले मंजीत डोगरा व राजेंद्र जार के गुटों में बटी कांग्रेस कभी चुनाव नहीं जीत पाई। लखनपाल जमीनी स्तर से जुड़े नेता है। ग्रामीण क्षेत्रों में उनकी जबरदस्त पकड़ है। उनका मिजाज थोड़ा गर्म है, जो उनका निर्बल पक्ष है। वहीं भाजपा प्रत्याशी माया शर्मा ज्यादा राजनीति का अनुभव नहीं रखती। भाषण देने में थोड़ा कमजोर है। भाजपा के अंदर दूसरे गुट, जिससे निर्दलीय प्रत्याशी संजीव कुमार चुनाव लड़ रहे हैं, उसका सीधा-सीधा नुकसान माया शर्मा को होगा। 
 

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