गोविंद सागर झील बुझाएगी बड़सर की प्यास, परियोजना पर 150 करोड़ रुपए खर्च होने का है अनुमान

जल शक्ति विभाग ने प्रदेश सरकार को प्रस्ताव भेजने का काम किया तेज ।  योजना को सुचारू रूप से चलाने के लिए कई पम्प हाउस भी स्थापित किए जाएंगे व जरूरत के मुताबिक नए टैंकों का निर्माण भी किया जाएगा। योजना पर लगभग 150 करोड़ रुपए खर्च होने का अनुमान है।
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हमीरपुर  ।  जल शक्ति विभाग बड़सर पेयजल की समस्या को दूर करने के लिए एक नए प्रोजेक्ट पर काम कर रहा है। सब कुछ ठीक रहा तो उपमंडल बड़सर के लोगों को गोविंद सागर झील से पेयजल की निर्बाध आपूर्ति शीघ्र ही शुरू हो सकती है। विभाग द्वारा सरकार के दिशा निर्देशों के बाद गोविंद सागर झील पेयजल योजना की प्रपोजल भेजने पर काम शुरू कर दिया गया है। इस योजना के तहत झील से पानी लिफ्ट करके कोटबंदर, कोसरियां, कोहडरा, चंबेह सिंघवीं पहुंचते हुए उपमंडल की विभिन्न पेयजल योजनाओं तक पहुंचाया जाएगा। परियोजना की रूपरेखा काफी हद तक तैयार की जा चुकी है। आजकल डाटा कलेक्शन के लिए सर्वे टीमें अपना काम कर रही हैं।

 

 

 

 

हालांकि उपभोक्ताओं को राहत प्रदान करने के लिए ब्यास पेयजल योजना का सहारा भी लिया गया था। लेकिन फिर भी समस्या समाप्त न हो सकी। सरकार को मिली रिपोर्ट के बाद विभाग को वैकल्पिक व्यवस्था के तहत नई स्कीम की संभावनाएं तलाशने के निर्देश दिए गए थे,  जो कि इकोनॉमिक होने के साथ-साथ प्रेक्टिकल भी हो। जिसके बाद आईपीएच विभाग गोविंद सागर झील से पेयजल बड़सर के विभिन्न इलाकों तक पहुंचाने की संभावनाओं पर काम कर रहा है।

सूत्रों के मुताबिक अगर झील से पानी लिफ्ट किया जाता है, तो पानी की किल्लत बरसात व गर्मियों में भी नहीं हो पाएगी, क्योंकि बांध में बारह महीने पानी भरा रहता है। गौर रहे कि  बड़सर की ज्यादातर पुरानी पेयजल योजनाएं बुरी तरह से हांफ  चुकी हैं। गर्मियों व बरसात में पेयजल की किल्लत लगातार बनी रहती है। ग्रामीणों को पानी की एक एक बूंद के लिए जूझना पड़ता है। पेयजल सप्लाई बुरी तरह बाधित होती है।


उधर जल शक्ति विभाग बड़सर अधिशाषी अभियंता डीआर चौहान ने बताया कि बड़सर, ढटवाल व अन्य क्षेत्रों की पेयजल किल्लत दूर करने के लिए भाखड़ा डैम से पेयजल योजना पर काम किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार को प्रपोजल बनाकर भेजी जा रही है। अगर सरकार से मंजूरी मिलती है, तो शीघ्र ही काम शुरू कर दिया जाएगा।

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