विधायकों को टिकट देकर कांग्रेस ने हिमाचल में क्या संदेश दिया, अब है बड़ी चुनौती ?
कांग्रेस ने शनिवार को हिमाचल प्रदेश की चार में से दो लोकसभा सीटों के उम्मीदवारों के नामों की घोषणा कर दी है। कांग्रेस ने चर्चा का विषय बनी मंडी लोकसभा सीट पर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष एवं मौजूदा सांसद प्रतिभा सिंह के बेटे विक्रमादित्य सिंह को मैदान में उतारा है। वह भाजपा उम्मीदवार बॉलीवुड अभिनेत्री कंगना रनौत को चुनौती देंगे। वहीं, शिमला लोकसभा सीट से कसौली के मौजूदा विधायक विनोद सुल्तानपुरी को उतारा है। मगर हैरान करने वाली बात यह कि कांग्रेस हाईकमान ने दोनों सिटिंग विधायकों को उम्मीदवार बनाया है।
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कांग्रेस ने दो सिटिंग विधायकों के टिकट देकर भाजपा को भी बड़ा संदेश दिया है। हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस के छह विधायकों की बगावत के बाद से भाजपा नेता दावा कर रहे हैं कि सुखविंद्र सिंह सुक्खू की सरकार ने बहुमत खो दिया है। भाजपा नेता जयराम ठाकुर कई बार दावा कर चुके हैं कि सुक्खू की सरकार केवल तकनीकी वजहों से टिकी है। वहीं, सीएम सुक्खू दावा करते रहे हैं कि उनकी सरकार को कोई खतरा नहीं है। उपचुनाव में भी कांग्रेस ही जीतेगी। सियासी विश्लेषकों की मानें तो कांग्रेस ने मौजूदा विधायकों को टिकट देकर यह संदेश देने की कोशिश की है कि सरकार को कोई खतरा नहीं है।
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हिमाचल प्रदेश में विधानसभा की 68 सीटें हैं। 16 माह पहले हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने 40 सीटें जीती थीं, जबकि भाजपा को 25 सीटें मिली थी। तीन सीटें निर्दलीयों के खाते में गई थीं। पिछले दिनों राज्यसभा चुनाव में कांग्रेस के छह विधायकों ने क्रॉस वोटिंग की थी। इसके अगले दिन विधानसभा में कटौती प्रस्ताव के दौरान कांग्रेस के छह विधायकों के गैर-हाजिर रहने पर स्पीकर ने उन्हें अयोग्य करार दे दिया था और उनकी सदस्यता को भी रद्द कर दिया था। अब इन छह विधानसभा क्षेत्रों में भी एक जून को उपचुनाव के लिए वोटिंग होनी है।
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बहुमत में है अभी कांग्रेस की सरकार
इस राजनीतिक उठापठक के बाद कांग्रेस के छह विधायक कम हो गए हैं। अब विधानसभा का सदन भी 62 सदस्य वाला हो गया है। हिमाचल विधानसभा में कांग्रेस के विधायकों की संख्या 40 से घटकर 34 रह गई है। हालांकि कांग्रेस के पास अभी भी विधानसभा में बहुमत है, जबकि भाजपा के पास 25 विधायक हैं। तीन निर्दलीय विधायक भी विधानसभा सदस्यता से इस्तीफा देकर भाजपा में शामिल हो चुके हैं, लेकिन स्पीकर ने अभी तक उनका इस्तीफा मंजूर नहीं किया है।
चुनावों के बीच कांग्रेस के सामने बड़ी परीक्षा
अब उपचुनाव में बागी विधायक भाजपा की ओर से ताल ठोक रहे हैं। वहीं निर्दलीय भी आवाज बुलंद कर रहे हैं। भाजपा भी उपचुनाव को जीतने के लिए पूरा जोर लगा रही है। ऐसे में यदि उपचुनाव में भाजपा ने कोई बड़ा उलटफेर कर दिया तो कांग्रेस के लिए बड़ी मुश्किल होगी। ऐसे में कांग्रेस का लोकसभा चुनावों में आजमाने का दांव भारी भी पड़ सकता है। विश्लेषकों का मानना है कि कांग्रेस के सामने लोकसभा में जीत दर्ज करने के साथ ही उपचुनावों में भी अपने पुराने आंकड़े को कायम रखने की बड़ी चुनौती सामने है।
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