महिला सशक्तिकरण के लिए शिक्षा, स्वास्थ्य और आर्थिक स्वतंत्रता महत्वपूर्ण

महिला सशक्तिकरण के लिए शिक्षा ,स्वास्थ्य और आर्थिक स्वतंत्रता सबसे महत्वपूर्ण है। महिलाओं को विभिन्न सामाजिक कुरीतियों के खात्मे को लेकर आगे आना चाहिए।
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उपायुक्त डीसी राणा ने कहा कि महिला सशक्तिकरण के लिए शिक्षा ,स्वास्थ्य और आर्थिक स्वतंत्रता सबसे महत्वपूर्ण है। उन्होंने यह भी कहा कि महिलाओं को विभिन्न सामाजिक कुरीतियों के खात्मे को लेकर आगे आना चाहिए। वे आज मंगलवार को अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर जनजातीय भवन बालू में आयोजित कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि शिरकत करते हुए बोल रहे थे। अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस की शुभकामनाएं देते हुए उपायुक्त ने कहा कि महिलाएं जिंदगी रूपी सिक्के का दूसरा अभिन्न पहलू हैं। सशक्त महिला परिवार को सुदृढ़ और सुसंस्कृत बनाती है।

चम्बा। उपायुक्त डीसी राणा ने कहा कि महिला सशक्तिकरण के लिए शिक्षा ,स्वास्थ्य और आर्थिक स्वतंत्रता सबसे महत्वपूर्ण है। उन्होंने यह भी कहा कि महिलाओं को विभिन्न सामाजिक कुरीतियों के खात्मे को लेकर आगे आना चाहिए। वे आज मंगलवार को अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर जनजातीय भवन बालू में आयोजित कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि शिरकत करते हुए बोल रहे थे। अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस की शुभकामनाएं देते हुए उपायुक्त ने कहा कि महिलाएं जिंदगी रूपी सिक्के का दूसरा अभिन्न पहलू हैं। सशक्त महिला परिवार को सुदृढ़ और सुसंस्कृत बनाती है।

महिलाओं और बच्चों के पोषण पर जोर देते हुए उपायुक्त ने कहा कि विभिन्न विभागीय योजनाओं के तहत महिलाओं और बच्चों के पोषण की दिशा में आवश्यक कदम उठाए जा रहे हैं। उन्होंने विभाग के अधिकारियों से विशेष प्राथमिकता रखने को भी कहा। उन्होंने कहा कि अगले वित्त वर्ष के लिए प्रदेश सरकार द्वारा निर्धारित बजट में मुख्यमंत्री बाल सुपोषण योजना को शुरू करने के लिए 65 करोड रुपए का बजट प्रावधान किया गया है। इसके अलावा राष्ट्रीय आजीविका मिशन के अंतर्गत स्वयं सहायता समूह के माध्यम से महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए मुख्यमंत्री महिला सशक्तिकरण योजना के अंतर्गत  रिवाल्विंग फंड के तौर पर 25 हजार रुपए उपलब्ध करवाने का भी प्रावधान रखा गया है ।

समाज में फैली विभिन्न कुरीतियों के खात्मे को लेकर उपायुक्त ने कहा कि  विभिन्न परंपराओं के नाम पर महिलाओं को प्रताड़ित किया जाता रहा है । वर्तमान परिदृश्य में हालांकि समाज में कुछ बदलाव तो हुए हैं , फिर भी कुछ सामाजिक बुराइयां किसी न किसी रूप में आज भी मौजूद हैं। घरेलू हिंसा, बाल विवाह और भ्रूण हत्या को लेकर कानून में प्रावधान किए गए हैं। लेकिन मात्र कानून से ही इन बुराइयों का अंत नहीं किया जा सकता। समाज में विशेषकर महिलाओं में जागरूकता और जनचेतना से ही हम बेहतर समाज का निर्माण कर सकते हैं। 

इस दौरान अतिरिक्त मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी एवं सचिव जिला विधिक सेवाएं प्राधिकरण विशाल कौंडल ने अपने संबोधन में घरेलू हिंसा अधिनियम की जानकारी देते हुए महिलाओं को भारतीय संविधान द्वारा प्रदत अधिकारों के प्रति जागरूक रहने की बात भी कही। उन्होंने यह भी कहा कि घरेलू हिंसा अधिनियम के तहत पाए जाने वाले झूठे मामलों में महिलाओं को पेनल्टी लगाने का प्रावधान भी है। उपायुक्त ने इस मौके पर उत्कृष्ट कार्य करने वाली आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं और स्वयं सहायता समूहों को पुरस्कृत किया । उन्होनें एकीकृत बाल विकास सेवाएं विभाग और ग्रामीण विकास विभाग  द्वारा लगाई गई प्रदर्शनी का अवलोकन भी किया।

बाल विकास परियोजना अधिकारी नीलम धीमान ने उपायुक्त को महिला एवं बाल विकास विभाग की ओर से  सम्मानित किया। कार्यक्रम में  कृषि विज्ञान केंद्र से प्लांट पैथोलॉजिस्ट डॉ. जया चौधरी, उप निदेशक एवं परियोजना अधिकारी ग्रामीण विकास अभिकरण चंद्रवीर सिंह, वरिष्ठ अधिवक्ता किरण, स्वास्थ्य विभाग से राधिका जमवाल ने भी महत्वपूर्ण जानकारियां साझा की। कार्यक्रम के दौरान आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं ने गीत व नृत्य पर आधारित बेहतरीन सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किए गए इनमें बाल विवाह के दुष्प्रभावों को लेकर संदेश देने वाली एक लघु नाटिका भी शामिल रही। 

इस अवसर पर अध्यक्ष जिला परिषद नीलम कुमारी, एसडीएम चंबा नवीन तंवर, खंड विकास अधिकारी चंबा ओपी ठाकुर, मैहला मनीष कुमार , तीसा अश्विनी कुमार, सचिव रेड क्रॉस मीना सहगल, सामाजिक कार्यकर्ता इंदु बाला सहित आंगनवाड़ी कार्यकर्ता, सहायिका व अन्य महिलाएं मौजूद रहीं। 

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