मेले की रंगत में दियोटसिद्ध मंदिर परिसर पड़ा फीका

करोड़ों की कमाई वाले बाबा बालक नाथ मंदिर दियोटसिद्ध में हर वर्ष 14 मार्च से 13 अप्रैल तक चैत्र मेले शुरू होते है । लेकिन न्यास प्रशासन मंदिर परिसर के कई स्थानों पर पेंट व रखरखाव  करना भूल गया है।
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हमीरपुर ।   करोड़ो रूपये के चढ़ाबे के बाबजूद भी मेले की रंगत में बाबा का दरबार फीका पड़ गया है। आलम यह है कि बाबा की नगरी दियोटसिद्ध में इस बार चैत्र मेलों की रौनक तो बनी हुई है, लेकिन मंदिर ट्रस्ट इस बार बाजार को सजा नहीं पाया है। मंदिर न्यास में जिम्मेवार अधिकारी जहां इसके लिए जहां अपनी जबावदेही से बच रहे हैं। वहीं बाजार की रौनक में फिकी पड़ी सजावट श्रद्धालुओं के साथ साथ स्थानीय लोगों को चिढ़ा रही है।


बताते चलें कि करोड़ों की कमाई वाले बाबा बालक नाथ मंदिर दियोटसिद्ध में हर वर्ष 14 मार्च से 13 अप्रैल तक चैत्र मेले शुरू होते है । चैत्र मास मेलों से पूर्व न्यास प्रशासन मंदिर परिसर के साथ साथ ट्रस्ट द्वारा बनवाए गए भवनों की सजावट के लिए पेंट का कार्य करवाता है, लेकिन इस बार न्यास प्रशासन ने कुछेक स्थानों पर पेंट करवा दी। वहीं कुछ एक स्थान ऐसे हैं जहां पर न्यास प्रशासन पेंट आदि का कार्य करवाना भूल गया है। ऐसा ही नजारा मंदिर परिसर से लोअर बाजार को जाने वाले रास्ते पर लगाई गई चादरों व गुबंद पर देखने को मिल सकता है।

हैरत की बात यह है कि जब न्यास प्रशासन मंदिर परिसर के साथ साथ अन्य निर्माण कार्यों के लिए हर वर्ष करोड़ों रुपए के बजट का प्रावधान करता है। ट्रस्ट द्वारा स्वीकृत की गई राशि से मंदिर परिसर में करवाने वाले कार्यों चाहे वह किसी सरायं का निर्माण हो या फिर पूर्व में बनाई गई सरायों के साथ साथ अन्य रखरखाव करने की व्यवस्था का प्रावधान किया जाता है।  लेकिन फिर भी इस बार न जाने क्यों न्यास प्रशासन ने मंदिर के साथ सटे क्षेत्रों में पेंट क्यों नहीं करवाई। यह बात लोगों में चर्चा का विषय बनी हुई है।

बताया जा रहा है कि न्यास परिसर में पेंटिंग का कार्य न करवाने के पीछे न्यास प्रशासन व ट्रस्टियों की सहमति न बनना भी मुख्य कारण मना जा रहा है। हालांकि न्यास प्रशासन ने अपने स्तर पर निर्णय लेते हुए मंदिर न्यास परिसर के महत्वपूर्ण स्थानों पर पेंट आदि का कार्य करवा दिया है। लेकिन शेष बचे स्थानों पर पेंटिंग का कार्य क्यों नहीं करवाया, यह बात समझ से परे है। कुछ एक लोग दबी जबान में यहां तक कहने से भी परहेज नहीं कर रहे हैं कि जब न्यास प्रशासन ट्रस्टियों के ऊपर लाखों रुपए का खर्च कर रहा है। तो ऐसे में करोड़ों रुपए की कमाई करने वाले बाबा बालक नाथ मंदिर कि अपनी संपत्ति पर प्रशासन द्वारा पैसे खर्च करने में कंजूसी करना न्यास प्रबंधन की कार्यप्रणाली को कटघरे में खड़ा कर रहा है। साथ ही श्रद्धालुओं की आस्था को भी झकोर रहा है।


उधर, कार्यकारी मंदिर अधिकारी सुभाष ठाकुर ने बताया कि मेरे पास मंदिर न्यास प्रशासन की कार्यकारी जिम्मेवारी है। मुझे इस बात की जानकारी नहीं है कि मंदिर न्यास में हर वर्ष किन किन स्थानों पर पेंटिंग का कार्य करवाया जाता है। यहीं कारण है कि न्यास परिसर से लोअर बाजार को जाने वाले रास्ते की चादरों पर पेंट का कार्य नहीं करवाया जा सका। उन्होंने कहा कि अब चैत्र मास मेलों के दौरान इन चादरों पर पेंट करवाना असंभव है। जैसे ही मेलों का समापन होगा वैसे ही कार्य को करवा दिया जाएगा।
 

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