हिमाचल के साथ देशभर में 75 हजार हेक्टेयर जमीन पर होगी जड़ी-बूटियों की खेती

नई दिल्ली/धर्मशाला। राष्ट्रीय औषधीय पादप बोर्ड (एनएमपीबी) ने ‘आजादी के अमृत महोत्सव’ के तहत नए अभियान की शुरूआत की है। इस अभियान की वीरवार को उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र से शुरूआत की गई हैं। आयुष मंत्रालय के अधीन एनएमपीबी के अभियान के तहत हिमाचल समेत देश में 75 हजार हेक्टेयर जमीन पर जड़ी-बूटियों की खेती
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हिमाचल के साथ देशभर में 75 हजार हेक्टेयर जमीन पर होगी जड़ी-बूटियों की खेती

नई दिल्ली/धर्मशाला। राष्ट्रीय औषधीय पादप बोर्ड (एनएमपीबी) ने ‘आजादी के अमृत महोत्सव’ के तहत नए अभियान की शुरूआत की है। इस अभियान की वीरवार को उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र से शुरूआत की गई हैं। आयुष मंत्रालय के अधीन एनएमपीबी के अभियान के तहत हिमाचल समेत देश में 75 हजार हेक्टेयर जमीन पर जड़ी-बूटियों की खेती की जाएगी। इस कदम से किसानों की आय बढ़ने के साथ हरित भारत का सपना भी पूरा होगा।

 

 

केंद्रीय आयुष मंत्री सर्बानन्द सोनोवाल ने कहा कि देश में औषधीय पौधों की अपार क्षमता है। 75,000 हेक्टेयर रकबे में जड़ी-बूटियों की खेती से देश में दवाओं की उपलब्धता सुनिश्चित होगी। इस कदम से जड़ी-बूटियों की खेती किसानों की आय का बड़ा स्रोत बनेगी। दवाओं की उपलब्धता के मामले में देश भी आत्मनिर्भर होगा। उल्लेखनीय है कि पिछले डेढ़ वर्षों में न सिर्फ भारत में, बल्कि पूरी दुनिया में औषधीय पौधों की मांग में बढ़ोतरी हुई है।

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22 जड़ी-बूटियां केवल हिमाचल में

इसी कड़ी में हिमाचल प्रदेश में अब लुप्त हो रही 200 जड़ी-बूटियों की खेती होगी। इनमें 70 जड़ी-बूटियां ऐसी हैं, जो लुप्त हो गई हैं। 22 जड़ी-बूटियां केवल हिमाचल में ही तैयार होंगी। कोरोना काल में बढ़ी जड़ी-बूटियों की मांग के बाद प्रदेशभर में इनकी तलाश के लिए सर्वेक्षण करवाया था। इसमें लुप्त हो रही जड़ी-बूटियों के साथ कुछ नई भी मिली हैं। प्रदेश में शुरू में 70 जड़ी-बूटियों की खेती होगी। इसका बीज केंद्र सरकार उपलब्ध करवाएगी। खर्च का 50 प्रतिशत भी केंद्र वहन करेगा।

 

 

 

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हिमाचल में इन जिलों में होगी खेती

हिमाचल के कुल्लू, मण्डी, चम्बा, कांगड़ा, शिमला, किन्नौर आदि जिलों में इनकी खेती होगी। किसानों को बीज मेडिसिनल प्लांट बोर्ड के माध्यम से मिलेगा। आरंभिक दो साल में इनकी खेती का स्तर देखा जाएगा। इसके लिए किसानों को पंचायत स्तर पर जागरूक किया जा रहा है। जड़ी-बूटियों से औषधियां बनाने वाली कंपनियां सीधे किसानों से इसकी खरीद करेंगी। इसके लिए केंद्र सरकार ने आयुर्वेदिक औषधीय निर्माता संघ के साथ समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर कर लिए हैं।

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