शिक्षा विभाग सख्त, प्राइवेट फर्मों से सामान न खरीदें हिमाचल के स्कूल, ऐसे होगी खरीद

हिमाचल प्रदेश शिक्षा विभाग ने बड़ा फैसला लेते हुए प्राइवेट फर्मों के जरिये स्कूलों के लिए सामान खरीद पर रोक लगा दी है।
 

हिमाचल प्रदेश (Himachal Pradesh) शिक्षा विभाग ने बड़ा फैसला लिया है। हिमाचल प्रदेश शिक्षा विभाग ने प्राइवेट फर्मों के जरिये स्कूलों के लिए सामान खरीद पर रोक लगा दी है। साथ ही स्कूलों (Himachal School) को दिए निर्देश में कहा गया है कि इलेक्ट्रॉनिक विकास निगम के माध्यम से ही खरीदारी की जाए। इस मामले में उच्चतर शिक्षा विभाग डॉ. अमरजीत शर्मा की तरफ से सभी जिले के उप शिक्षा निदेशकों को सर्कुलर जारी किया गया है। 


दरअसल हिमाचल प्रदेश के स्कूल अपने फंड से लैपटॉप, कंप्यूटर, सीसीटीवी, डेस्कटॉप और बैटरी समेत अन्य सामान खरीदते हैं। साथ ही वर्चुअल्स क्लासरूम के लिए भी समय-समय पर स्कूलों की तरफ से सामान खरीदा जाता है। इसके लिए स्कूल फंड से बजट दिया जाता है। अब शिक्षा विभाग (Himachal Education Department) की तरफ से स्कूलों को निर्देश दिए गए हैं कि प्राइवेट फर्म की बजाय राज्य इलेक्ट्रॉनिक विकास निगम के जरिए ही ये खरीद की जाए।


मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक शिक्षा विभाग ने ये फैसला सामान खरीद में पारदर्शिता और अच्छी क्लालिटी (Good Quality) को ध्यान में रखते हुए दिया है। विभाग (Education Department) ने कहा है कि सामान खरीद के लिए सारी औपचारिकताएं पहले ही पूरी कर ली जाएं। बता दें कि कोरोना काल में भी इसी तरह का सर्कुलर जारी किया गया था, लेकिन उस समय कुछ जिलों का तर्क था कि अगर कॉरपोरेशन से सामान खरीदा जाता है तो उसमें बहुत समय लगता है।


प्राइवेट फर्म से सामान खरीद पर रोक
शिक्षा विभाग ने मामले में राहत देते हुए रजिस्टर्ड फर्म से सामान खरीदने की कुछ छूट दे दी थी। लेकिन अब विभाग की तरफ से साफ किया गया है कि प्राइवेट फर्म से कोई भी सामान नहीं खरीदा जाएगा। अगर स्कूल नियमों की अनदेखी करते हैं तो जांच के बाद कार्रवाई की जाएगी। बता दें कि कोरोना काल में विभाग में स्प्रे मशीन सैनिटाइजर और मास्क समेत कई तरह का सामान खरीदा गया था। स्कूलों के लिए सीसीटीवी और वर्चुअल क्लासरूम का सामान भी खरीदा गया था।


सरकारी उपक्रम से सामान खरीद के निर्देश
इस खरीद को लेकर शिक्षा विभाग पर कई तरह के आरोप भी लगे थे। इसके बाद विभाग की तरफ से जांच बैठाई गई थी। इस मामले में दो प्रधानाचार्यों को निलंबित भी कर दिया गया था। आगे इस तरह की कोई अनियमितता न हो, इसके लिए विभाग ने सख्त तौर पर कहा है कि अब सरकारी उपक्रम से ही स्कूलों के लिए सामान खरीदा जाए। इसे लेकर स्कूलों को निर्देश भी जारी कर दिए गए हैं।