हिमाचल मंत्रिमंडल में फेरबदल की सुगबुगाहट शुरू, शामिल हो सकते हैं नए चेहरे
धर्मशाला। हिमाचल में सतासीन भाजपा को उपचुनाव में मिली करारी शिकस्त के बाद मंत्रिमंडल में बदलाव की सुगबुगाहट तेज हो गई है। भाजपा हाईकमान हार के कारणों का समीक्षा करने में जुटा हुआ है। इसी कवायद में जयराम सरकार के दो वरिष्ठ मंत्रियों महेंद्र सिंह और रामलाल मार्कण्डेय को दिल्ली भी तलब किया जा चुका है। इससे साफ संभावना दिख रही है कि आगामी दिनों में प्रदेश सरकार में बड़ा फेरबदल हो सकता है।
हालांकि मुख्यमंत्री ने मंत्रिमंडल में बदलाव का कोई संकेत नहीं दिया है। मगर आलकमान ने मंडी लोकसभा सहित अर्की, जुब्बल-कोटखाई और फतेहपुर विधानसभा सीटों पर हुई हार को गम्भीरता से लिया है। हिमाचल भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के साथ ही केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर का गृह राज्य है। उपचुनाव में भाजपा ने अनुराग ठाकुर को स्टार प्रचारक भी बनाया था। और उन्होंने 10 चुनावी रैलियां भी की थीं। मगर फिर भी एक भी सीट पर भाजपा जीत हासिल नहीं कर पाई है।
गौर करने वाली बात यह है कि हिमाचल में हुए उपचुनाव में प्रचार का मुख्य जिम्मा मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर पर ही था। उन्होंने चारों सीटों पर लगभग 68 रैलियों को सम्बोधित भी किया था। जयराम ठाकुर उपचुनाव में भीतरघात की तरफ भी इशारा कर चुके हैं। इसके साथ ही उन्होंने चुनाव परिणाम घोषित होने के तुरंत बाद महंगाई को भी उपचुनावों में हार का कारण बताया था। यह चुनाव मुख्यमंत्री के राजनीतिक भविष्य को तय करने वाले माने जा रहे थे।
प्रदेश भाजपा के नेताओं ने उपचुनाव की हार के कारणों की समीक्षा भी की है। इसके साथ ही इसकी रिपोर्ट केंद्रीय हाईकमान को भी सौंप दी है। इसके बाद से हिमाचल में बड़े बदलाव की चर्चाएं शुरू हो गई हैं। भाजपा से जुड़े सूत्र बताते हैं कि उपचुनाव में हार की रिपोर्ट के बाद आलकमान बड़ी कार्रवाई करने की तैयारी में है। अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव को देखते हुए प्रदेश मंत्रिमंडल में बदलाव हो सकता है। इस बदलाव में कुछ नए मंत्री बनाए जा सकते हैं।
वहीं, कहा तो यह भी जा रहा है कि कुछ मंत्रियों के विभागों में बदलाव भी हो सकता है। इसके साथ ही मंत्रिमंडल विस्तार कर भाजपा नए चेहरों को मंत्रि पद दे सकती है। भाजपा यह प्रयोग अन्य राज्यों में भी कर चुकी है। कई राज्यों में भाजपा ने मुख्यमंत्रियों को भी बदल दिया है। इसके अलावा कहा जा रहा है कि हिमाचल में उन मंत्रियों पर गाज गिर सकती है, जो उपचुनाव में पार्टी की उम्मीदों पर खरा नहीं उतर पाए हैं।