BRO ने बनाई दुनिया की सबसे ऊंची सड़क, गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज हुआ कारनामा

BRO ने लद्दाख के उमलिंगला दर्रे पर 19024 फीट की ऊंचाई पर वाहनों के चलने योग्य सड़क का निर्माण कर गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स (Guinness Book of World Records) में अपना नाम दर्ज करा लिया है।

 

नई दिल्ली। भारत की सीमाओं पर सेना की आसान मूवमेंट के लिए दुर्गम इलाकों में सड़कें बनाने वाले सीमा सड़क संगठन यानी BRO (Border Roads Organisation) ने कमाल कर दिखाया है। BRO ने लद्दाख के उमलिंगला दर्रे पर 19024 फीट की ऊंचाई पर वाहनों के चलने योग्य सड़क का निर्माण कर गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स (Guinness Book of World Records) में अपना नाम दर्ज करा लिया है। आपको बता दें कि ये दुनिया की सबसे ऊंची वाहन चलाने योग्य सड़क है। 

रक्षा मंत्रालय ने एक बयान जारी कर कहा कि सीमा सड़क संगठन (BRO) के निदेशक (DGBR) लेफ्टिनेंट जनरल राजीव चौधरी को मंगलवार को इस उपलब्धि के लिए गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड्स का प्रमाण पत्र मिला। रक्षा मंत्रालय ने बताया कि एक वर्चुअल समारोह में यूनाइटेड किंगडम स्थित गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड्स  (Guinness World Records)के आधिकारिक निर्णायक ऋषि नाथ ने दुनिया में सबसे अधिक ऊंचाई वाली सड़क के निर्माण के लिए BRO की उल्लेखनीय उपलब्धि को मान्यता प्रदान की।

रक्षा मंत्रालय के अनुसार, 52 किलोमीटर लंबी ये टरमैक सड़क, चिसुमले से डेमचोक तक 19024 फीट ऊंचे उमलिंगला दर्रे से होकर गुजरती है। इसका निर्माण माउंट एवरेस्ट के उत्तर और दक्षिण बेस कैंप से अधिक ऊंचाई पर किया गया है, जो क्रमशः 16,900 फीट और 17,598 फीट की ऊंचाई पर हैं। इसके अलावा यह बोलीविया में मौजूद उस सड़क से बेहतर है, जो ज्वालामुखी उटुरुंकु से 18,953 फीट पर जुड़ती है। इससे पहले ये रिकॉर्ड इसी सड़क के नाम था। 


इस अवसर पर लेफ्टिनेंट जनरल राजीव चौधरी ने उमलिंगला दर्रे के लिए सड़क निर्माण के दौरान आने वाली चुनौतियों के बारे में बताया। यह एक अत्यंत कठिन इलाका है, जहां सर्दियों में तापमान -40 डिग्री तक गिर जाता है और ऑक्सीजन का स्तर सामान्य से 50 प्रतिशत कम रहता है। ऐसे में यहां सड़क निर्माण करना, दरअसल मानवीय संकल्प और मशीनों की प्रभावकारिता दोनों की परीक्षा लेने जैसा है। 


रक्षा मंत्रालय के मुताबिक BRO ने पूर्वी लद्दाख के महत्वपूर्ण गांव डेमचोक को एक ब्लैक टॉप्ड सड़क प्रदान किया है, जो क्षेत्र की स्थानीय आबादी के लिए एक वरदान होगी क्योंकि यह लद्दाख में सामाजिक-आर्थिक परिस्थितियों को और पर्यटन को बढ़ावा देगी।