...तो नादौन में इस वजह से फैला डायरिया, पब्लिक हेल्थ एक्सपर्ट ने किया खुलासा

मंगलवार को पब्लिक हेल्थ एक्सपर्ट डॉ. पुष्पेंद्र वर्मा ने डायरिया फैलने के चौंकाने वाले कारण बताए हैं। उन्होंने लगातार दो दिन मौके पर जाकर वास्तुस्थिति का जायजा लिया है। 
 

हमीरपुर। नादौन उपमंडल में डायरिया पीड़ितों का आंकड़ा एक हजार पार हो गया है। डायरिया फैलने के कारणों को हर कोई जानना चाह रहा है। जलशक्ति विभाग ने संबंधित पेयजल योजना के सैंपल जांच के लिए भेजे हैं। वहीं स्वास्थ्य विभाग अपने स्तर पर मरीजों को राहत देने में लगा हुआ है। मंगलवार को पब्लिक हेल्थ एक्सपर्ट डॉ. पुष्पेंद्र वर्मा ने डायरिया फैलने के चौंकाने वाले कारण बताए हैं। उन्होंने लगातार दो दिन मौके पर जाकर वास्तुस्थिति का जायजा लिया है। 

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पब्लिक हेल्थ एक्सपर्ट ने कहा कि न्याटी-मंझोट पेयजल योजना के आसपास अवैध और अवैज्ञानिक तरीके से हुआ खनन भी डायरिया फैलने के लिए जिम्मेदार है। योजना के आसपास लगभग 500 मीटर के दायरे में खनन के लिए आठ से नौ फुट तक गहरे गड्ढे किए गए हैं। इन गड्ढों में महीनों से दूषित पानी जमा होता रहा, जो बारिश के दौरान खड्ड के पानी में मिलकर पेयजल योजना के पानी को प्रदूषित करता रहा। 

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उन्होंने कहा कि नियम के मुताबिक किसी भी पेयजल योजना के एक किलोमीटर के दायरे में खनन नहीं किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि इस संबंध में मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू को अवगत करवाएंगे। उन्होंने कहा कि वे दो दिन से यहां का दौरा कर रहे हैं। इस दौरान पाया है कि यहां माइनिंग यूनिट लगी हैं, जहां रोजाना करीब 200 ट्रक रेत-बजरी निकल रहा है। काम करने वाली लेबर के लिए शौचालय की व्यवस्था नहीं है और खुले में शौच हो रहा है।

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बीमारी फैलने का इंतजार न करे विभाग

डॉ. पुष्पेंद्र वर्मा ने प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और माइनिंग अधिकारियों को कहा है कि वे ऐसी पेयजल योजनाओं का समय-समय पर दौरा करें, न कि तब दौड़ें, जब कोई बीमारी फैल जाए। उन्होंने बताया कि प्रशासन से बार-बार गुजारिश करने के बाद भी कड़ी कार्रवाई नहीं की जा रही है। इसके बाद उन्होंने डायरिया प्रभावित जोलसप्पड़ व रंगस पंचायतों का दौरा करके कई मरीजों से भी बात की।

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खनन और प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड भी जिम्मेदार

डॉ. पुष्पेंद्र वर्मा ने आरोप लगाया कि इस घटनाक्रम के लिए अकेला जलशक्ति विभाग जिम्मेदार नहीं है। बल्कि खनन और प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड भी जिम्मेदार है। आखिर किन अधिकारियों ने पेयजल योजना के पास माइनिंग की अनुमति दी। क्यों किसी ने इसकी जांच नहीं की।