हिमाचल के जतिंद्र ने शुरू किया ऐसा बिजनेस, पांच साल में 20 करोड़ पहुंचा टर्नओवर
ऊना। आज के प्रतिस्पर्धा भरे युवा में बेरोजगारी चरम पर है। युवा रोजगार की तलाश में यहां-वहां भटक रहे हैं, तो कई युवा अपना व्यवसाय शुरू कर स्वरोजगार से जुड़ रहे हैं। सरकार भी ऐसा युवाओं को प्रोत्साहित कर रही है और उनको अनुदान भी दे रही है। ऐसे ही ऊना के जतिंद्र ने अपना व्यवसाय 2018 में शुरू किया और अब उनका टर्नओवर 20 करोड़ रुपये पहुंच गया है। पढ़िए उना के जतिंद्र सिंह की सफलता की कहानी....
ऊना के जतिंद्र सिंह 12वीं कक्षा तक की पढ़ाई करने के बाद मिठाई की डिब्बे बनाने का कार्य शुरू किया था। मगर उनके मन में कुछ अलग करने की मंशा थी। मिठाई के डिब्बे बनाने के दौरान उनके मन में कुछ नया करने का ख्याल आया। उन्होंने पर्यावरण मित्र कैरी बैग बनाने का मन बनाया, ताकि खुद का रोजगार शुरू कर सके और दूसरे बेरोजगारों युवाओं को भी रोजगार उपलब्ध करवाया जा सके। जतिंद्र सिंह ने बताया कि जैसे ही सरकार ने पॉलीथिन बंद करने का निर्णय लिया तो उनके मन में पॉलीथिन बैग के विकल्प तैयार करने का ख्याल आया।
इसके बाद 2018 में जतिंद्र सिंह ने कैरी बैग बनाने की यूनिट शुरू करने के लिए उद्योग विभाग से संपर्क किया। यहां उद्योग विभाग के जनरल मैनेजर से मिले और कैरी बैग यूनिट शुरू के बारे में चर्चा की। उद्योग विभाग ने जतिंद्र सिंह को उद्योग स्थापित करने की प्रक्रिया की पूरी जानकारी दी। इसके साथ ही 50 फीसदी अनुदान राशि पर यानि साढे़ सात लाख रुपये की राशि उन्हें बसाल में प्लॉट के लिए उपलब्ध करवाई। यहां पर जतिंद्र ने खुद का पर्यावरण मित्र कैरी बैग बनाने का यूनिट स्थापित किया।
वर्तमान में जतिन्द्र सिंह ने कैरी बैग यूनिट में 42 अन्य लोगों को भी रोजगार दे रखा है, जोकि बैग बनाने, हेल्पर या अन्य कार्य करते हैं। जतिंद्र ने बताया कि यूनिट में लगभग 80 फीसदी कामगार हिमाचली हैं, जिन्हें घर द्वार पर ही रोजगार मिला है। अभी जतिंद्र सिंह 10-12 और लोगों को भी रोजगार उपलब्ध करवाने की योजना बना रहे हैं। जतिंद्र सिंह ने बताया कि कैरी बैग बनाने का कच्चा माल नजदीक बद्दी और नालागढ़ से ही मिल जाता है।
हिमाचल और पंजाब में बेचते हैं कैरी बैग
जतिंद्र सिंह ने कहा कि कैरी बैग की विक्री हिमाचल और पंजाब से आसानी से हो जाती है, क्योंकि कैरी बैग समय की मांग है और लोगों की जरूरत भी है। उन्होंने कहा कि उनका सालाना टर्नर लगभग 20 करोड़ रुपये है और कैरी बैग बनाने का कार्य बढ़िया ढंग से चल रहा है। जतिंद्र सिंह ने कहा कि उन्हें खुशी होती है कि स्वरोजगार से आत्मनिर्भर बने हैं और दूसरों को भी रोजगार उपलब्ध करवाने का मौका मिला। इसके अतिरिक्त उन्होंने कहा कि प्लॉट कि किस्तों का भुगतान भी समय कर दिया है।
स्वरोजगार से जुड़ी योजनाओं का लें लाभ
जतिंद्र सिंह ने जिला के युवाओं से आहवान किया कि वे सरकारी नौकरी के पिछे न भाग कर प्रदेश सरकार द्वारा बेरोजगार युवाओं के लिए स्वरोजगार हेतू चलाई जा रही योजनाओं का लाभ लें। यूनिट में काम करने वाले लोगों ने बताया कि पहले वे घर से दूर नौकरी करते थे। लेकिन वर्तमान में घर के समीप ही कैरी बैग यूनिट में रोजगार मिला है यहां पर सभी बेहतर सुविधाएं मिल रही है और घर का पालन -पोषण भी कर रहे हैं।