हिमाचल: 11 साल नैना ने रोशन की दो लोगों की जिंदगी, दो का बचाया जीवन

मंडी जिला के धर्मपुर उपमंडल की ग्राम पंचायत लौंगनी के स्याठी गांव की 11 वर्षीय नैना मौत की गहरी नींद में तो सो गई, लेकिन मर भी चार लोगों को नवजीवन दे गई।
 

मंडी। शरीर नश्वर है और आत्म अमर है। मौत के बाद भी अगर आप किसी के काम आ सकें तो इससे बढ़िया और क्या हो सकता है। मौत के बाद अगर आपका दिल किसी और सीने में धड़के तो इससे बड़ी बात क्या हो सकती है। आपकी मौत के बाद आपकी आंखें फिर से इस हसीन दुनिया को निहारें इससे सुंदर क्या हो सकता है। ये सब संभव है, लेकिन तब जब आप ऐसा नेक और सराहनीय काम के लिए आगे आएंगे जिसके बाद दुनिया आपको याद करेगी। 

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ऐसा ही कर दिखाया है हिमाचल प्रदेश के मंडी जिला की 11 साल की नैना और उसके परिवार ने। मंडी जिला के धर्मपुर उपमंडल की ग्राम पंचायत लौंगनी के स्याठी गांव की नैना मौत की गहरी नींद में तो सो गई, लेकिन मर भी चार लोगों को नवजीवन दे गई। तीन मार्च को सरकाघाट के घीड़ गांव के पास एचआरटीसी बस दुर्घटना में नैना के सिर पर गहरी चोट लगी थी। मेडिकल कॉलेज नेरचौक में उपचार के बाद उसे पीजीआइ चंडीगढ़ रेफर कर दिया गया था, जहां पर डाक्टरों ने उसका ब्रेन डेड घोषित किया था और उसे लाइफ स्पोर्टिंग सिस्टम पर रखा था। 

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नैना ठाकुर के पिता मनोज कुमार आयुर्वेद विभाग में फार्मासिस्ट के पद पर कुल्लू जिला में कार्यरत हैं। इनकी तीन बेटियां हैं जिनमें नैना सबसे बड़ी थी। पीजीआई के डॉक्टरों ने परिजनों को अंगदान कर दूसरों को नई जिंदगी देने की सलाह दी। नैना के पिता मनोज कुमार और दादा जगदीश चंद ठाकुर ने कहा कि अंगदान का फैसला लेना मुश्किल था, लेकिन नैना के सिर्फ एक स्वभाव ने उन्हें ऐसा करने के लिए प्रेरित किया और वह स्वभाव था दयालुता। 

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उन्होंने कहा कि नैना दूसरों के प्रति बहुत ज्यादा दयालु थी। इसी कारण परिवार ने उसके अंगदान का निर्णय लिया। शायद इसी से नैना की आत्मा को शांति मिलेगी। आठ मार्च की रात को नैना का शव उसके पैतृक गांव लाया गया और नौ मार्च को पूरे रीति रिवाजों के साथ शव का अंतिम संस्कार कर दिया गया है। परिवार की हां के बाद डाक्टरों ने नैना की किडनियां दो डायलिसिस मरीजों में प्रत्यर्पित कीं। इसी तरह दो कार्निया दो मरीजों को लगाए, जिससे उनका जीवन भी रोशन हो गया।