भीषण गर्मी से पानी है राहत तो हिमाचल का भरमौर है सबसे बढ़िया विकल्प

पूरे साल भरमौर का मौसम ठंडा रहता है, लेकिन हिमाचल प्रदेश के अन्य स्थानों की तरह यहां पर भी यात्रा करने का सबसे अच्छा समय अप्रैल से जून तक होता है।
 

गर्मियों का सीजन शुरू हो चुका है। ऐसे में गर्मी से बचने के लिए लोग ऊंचे पहाड़ों का रुख करते हैं। आज हम आपको ऐसे स्थान के बारे में बताने जा रहे हैं, जहां आप गर्मियों से राहत को पा ही सकते हैं साथ में ट्रैकिंग का भी आनंद उठा सकते हैं। हम बात कर रहे हैं कि हिमाच प्रदेश के चम्बा जिला के जनजातीय क्षेत्र भरमौर की। हरे-भरे पर्वतों वाला भरमौर शिवभूमि है। यहां पर भगवान शिव शंकर की मणिमहेश डल झील भी है। भरमौर को पहले ब्रह्मपुरा के नाम से जाना जाता था। यहां के कई प्राचीन मंदिर पर्यटकों के लिए बेहद लोकप्रिय हैं। इनमें से कुछ मंदिर लगभग 10वी शताब्दी में स्थापित किए गए हैं।


भरमौर में हरे-भरे रोलिंग घास वाले मैदान भी हैं, जिन्हें चारगाह की भूमि के रूप में उपयोग किया जाता है। भरमौर रावी और चिनाब की प्रसिद्ध घाटियों के बीच बसा हुआ है। भरमौर का लोक स्वभाव गर्मजोशी से भरा और दोस्ताना है। चौरासी मंदिर परिसर भरमौर के स्थापत्य और सांस्कृतिक भव्यता को दर्शाता है। चौरासी का शाब्दिक रूप से हिंदी में नम्बर 84 अनुवाद है। एक कथा के अनुसार कई हजार साल पहले इस स्थान पर 84 सिध्द पहुंचे थे और भगवान शिव की आराधना की थी। इन चौरासी सिध्दियों में मुख्य देवी-देवता देवी लक्ष्‍मणा, भगवान गणेश और भगवान मणिमहेश हैं।

भरमौर शहर से 4 किमी दूर स्थित है भरमाणी देवी का मंदिर। माना जाता है कि भरमौर शहर, भरमाणी देवी के बाद ब्रह्मपुत्र के नाम से जाना जाता है। यह एक ऊंची चोटी पर स्थित है और पूरी तरह से देवदार के पेड़ों से घिरा हुआ है।  मणिमहेश डल झील की ओर जाने से पहले भक्त भरमाणी माता मंदिर के पास बनी झील में डुबकी लगाते हैं। भरमौर के आस-पास कई प्राचीन मंदिर और तीर्थ स्थान हैं। कार्तिकेय मंदिर, शिवशक्ति देवी मंदिर छतराड़ी, बन्नी माता मंदिर, धर्मराज और भगवान नरसिन्ह मंदिर के साथ ही यहां और भी कई धार्मिक स्‍थल मौजूद हैं। 


भरमौक न केवल मंदिरों से घिरा है, बल्कि यहां चारों ओर लुभावने झरने भी मौजूद हैं। थल्ला, घोडेड, हडसार, कक्सेन-भागसेन और सथली जैसे झरने शहर से 20 किमी की दूरी पर स्थित हैं। थला जैसे झरने को केवल मॉनसून के समय में ही देखा जा सकता है, क्योंकि इसके पानी की मात्रा काफी कम है। इन झरनों तक पहुंचने के लिए आपको न्यूनतम 200 मीटर की चढ़ाई करनी पड़ेगी। चढ़ाई के बाद ऊपर जाकर आपको ऐसा सुंदर नजारा दिखेगा कि आपकी चढ़ाई की सारी थकान ही दूर हो जाएगी।

भरमाणी माता मंदिर भरमौर।

कब करें भरमौर की यात्रा

वैसे तो पूरे साल भरमौर का मौसम ठंडा रहता है, लेकिन हिमाचल प्रदेश के अन्य स्थानों की तरह यहां पर भी यात्रा करने का सबसे अच्छा समय अप्रैल से जून तक होता है। साल के अन्य महीनों की तरह इस समय यहां ज्‍यादा ठंड नहीं पड़ती है। लेकिन अगर आप हिमपात यानी बर्फबारी देखना चाहते हैं, तो दिसम्बर से फरवरी के दौरान यहां की यात्रा कर सकते हैं। बर्फबारी के दौरान भरमौर का तापमान -10 डिग्री सेल्सियस तक रहता है।