रोहतांग प्लेन क्रैश : 56 साल बाद 16,000 फीट की ऊंचाई पर चार सैनिकों के शव बरामद 

भारतीय सेना की डोगरा स्काउट्स की एक टीम ने 1968 में हुए भारतीय वायुसेना के विमान दुर्घटना में मारे गए चार सैनिकों के शवों को ढाका ग्लेशियर क्षेत्र से बरामद किया है। यह स्थान चंद्र-भागा पर्वतमाला में लगभग 16,000 फीट की ऊंचाई पर स्थित है।
 

शिमला। भारतीय सेना की डोगरा स्काउट्स की एक टीम ने 1968 में हुए भारतीय वायुसेना के विमान दुर्घटना में मारे गए चार सैनिकों के शवों को ढाका ग्लेशियर क्षेत्र से बरामद किया है। यह स्थान चंद्र-भागा पर्वतमाला में लगभग 16,000 फीट की ऊंचाई पर स्थित है। यह दुर्घटना 7 फरवरी 1968 को उस समय हुई थी जब वायुसेना का एंटोनोव AN-12 विमान (फ्लाइट नं. BL-534) चंडीगढ़ से लेह जाते समय रोहतांग पास के पास दुर्घटनाग्रस्त हो गया था।

विमान में चालक दल सहित 102 लोग सवार थे। खराब मौसम के चलते विमान चंद्र-भागा पर्वतमाला के ऊंचे पहाड़ों में दुर्घटनाग्रस्त हो गया। इस पर्वतमाला की ऊंचाई 6,000 मीटर से अधिक है और यह हमेशा बर्फ से ढकी रहती है। मौसम की चरम स्थितियों और दुर्गम इलाके के कारण तत्कालीन बचाव अभियान असफल रहे और विमान का मलबा ढूंढना बेहद कठिन साबित हुआ।

पहले भी किए गए बचाव प्रयास

2003 में अटल बिहारी वाजपेयी पर्वतारोहण संस्थान के एक नागरिक अभियान के दौरान इस विमान के कुछ मलबे और एक सैनिक के अवशेषों का पता चला था। इसके बाद भारतीय सेना और वायुसेना ने 'ऑपरेशन पुनरुत्थान-1' चलाया, जिसमें पायनियर बेली राम के अवशेष बरामद हुए। इसके बाद भी 2007, 2013 और 2019 में अन्य सैनिकों के शव मिले, जिनमें पायनियर हारदास सिंह, लांस नायक कमल सिंह, क्राफ्ट्समैन एम.एन. फुकन और हवलदार जगमल सिंह शामिल थे।

15 सितंबर 2024 को डोगरा स्काउट्स के वीर जवानों ने चंद्र-भागा पर्वतमाला के दुर्गम और खतरनाक इलाकों में एक विशेष अभियान की शुरुआत की। इस अभियान का उद्देश्य 1968 की विमान दुर्घटना में मारे गए सैनिकों के अवशेषों को ढूंढकर उनके परिजनों को सौंपना था। 29 सितंबर 2024 को इस अभियान ने सफलता हासिल की, जब सिपाही/एए नारायण सिंह, पायनियर मलकान सिंह, क्राफ्ट्समैन थॉमस चारण और क्राफ्ट्समैन मुंशी के अवशेष बरामद किए गए। यह अब तक के अभियानों में सबसे बड़ी सफलता मानी जा रही है।

भारतीय सेना की आगे की तैयारी

भारतीय सेना ने इन सैनिकों के शवों को सुरक्षित रखते हुए उन्हें उनके परिजनों तक पहुंचाने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। शवों का पूरे सैन्य सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया जाएगा। सेना ने एक बयान में कहा है कि वे वायुसेना के साथ मिलकर बाकी सैनिकों के अवशेषों को खोजने के प्रयास जारी रखेंगे, ताकि उन बहादुर सैनिकों के परिवारों को न्याय और सम्मान मिल सके।

भारतीय सेना का अटूट समर्पण

सेना और वायुसेना का यह प्रयास उन सभी सैनिकों को श्रद्धांजलि है, जिन्होंने देश की सेवा में अपने प्राणों की आहुति दी। बरामद किए गए शवों को उनके परिजनों के पास भेजने की तैयारी चल रही है और जिला सैनिक बोर्डों के साथ संपर्क किया जा रहा है, ताकि सैनिकों को सम्मानपूर्वक अंतिम विदाई दी जा सके।