हिमाचल में नाम-पहचान अनिवार्यता पर कांग्रेस में तकरार, मंत्री विक्रमादित्य सिंह दिल्ली तलब

हिमाचल प्रदेश में दुकानदारों और स्ट्रीट वेंडर्स के लिए नाम और पहचान अनिवार्य करने के फैसले पर कांग्रेस में गहरी तकरार उभर आई है। प्रदेश सरकार के कैबिनेट मंत्री विक्रमादित्य सिंह द्वारा इस फैसले का ऐलान करने के बाद पार्टी हाईकमान ने नाराजगी जाहिर की है।
 

शिमला। हिमाचल प्रदेश में दुकानदारों और स्ट्रीट वेंडर्स के लिए नाम और पहचान अनिवार्य करने के फैसले पर कांग्रेस में गहरी तकरार उभर आई है। प्रदेश सरकार के कैबिनेट मंत्री विक्रमादित्य सिंह द्वारा इस फैसले का ऐलान करने के बाद पार्टी हाईकमान ने नाराजगी जाहिर की है। सूत्रों के मुताबिक, कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे समेत अन्य वरिष्ठ नेताओं ने विक्रमादित्य सिंह को दिल्ली तलब कर फटकार लगाई। वहीं, विपक्ष के साथ-साथ पार्टी के भीतर भी इस फैसले को लेकर असंतोष बढ़ता दिख रहा है।

कैबिनेट मंत्री विक्रमादित्य सिंह ने हिमाचल प्रदेश में सभी दुकानदारों, होटल मालिकों और स्ट्रीट वेंडर्स के लिए नाम और पहचान जाहिर करने का फरमान जारी किया था। इसके तहत सभी वेंडर्स को पहचान पत्र जारी करने की योजना है ताकि ग्राहकों के लिए पारदर्शिता बनी रहे और राज्य में सुरक्षा व्यवस्था कड़ी की जा सके। विक्रमादित्य सिंह ने इसे हिमाचल में शांति और सुरक्षा बनाए रखने की दिशा में उठाया गया कदम बताया। हालांकि, कांग्रेस हाईकमान ने इस फैसले पर नाराजगी जताते हुए तुरंत विक्रमादित्य सिंह को दिल्ली बुलाकर फटकार लगाई। 

सूत्रों का कहना है कि कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और प्रभारी राजीव शुक्ला ने इस मसले पर चिंता जताई और कहा कि ऐसे फैसले से पार्टी की छवि को नुकसान हो सकता है। विक्रमादित्य सिंह ने अपनी सफाई में कहा कि यह कदम यूपी के तर्ज पर नहीं बल्कि हिमाचल की आंतरिक सुरक्षा और कानून-व्यवस्था को ध्यान में रखते हुए उठाया गया है।

भाजपा ने किया समर्थन, लेकिन पार्टी के भीतर असंतोष

विक्रमादित्य सिंह के इस फैसले पर हिमाचल प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा नेता जयराम ठाकुर ने समर्थन जताया। उन्होंने कहा, "विक्रेता और स्ट्रीट वेंडर्स की पहचान जाहिर करना एक सही कदम है, और हम भी अपने कार्यकाल में इस दिशा में काम कर रहे थे।" हालांकि, ठाकुर ने यह भी कहा कि यह देखना बाकी है कि विक्रमादित्य इस फैसले पर कितना टिके रहेंगे।

दूसरी ओर, कांग्रेस के कुछ वरिष्ठ नेता और अल्पसंख्यक नेताओं ने इस फैसले पर आपत्ति जताई है। वरिष्ठ नेता टीएस सिंहदेव ने कहा कि वह हिमाचल सरकार के इस फैसले से सहमत नहीं हैं। AIUDF विधायक रफीकुल इस्लाम ने भी आलोचना करते हुए कहा कि कांग्रेस और भाजपा में अब कोई अंतर नहीं रह गया है। उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस भी भाजपा की तरह विभाजनकारी नीतियों पर चल रही है। 

विक्रेताओं की पहचान से राज्य में सुरक्षा और सफाई पर जोर

विक्रमादित्य सिंह ने सफाई देते हुए कहा कि हिमाचल प्रदेश में बाहर से आने वाले लोगों का स्वागत है, लेकिन राज्य की सुरक्षा और स्वच्छता बनाए रखना सरकार की जिम्मेदारी है। उन्होंने कहा कि यह फैसला पारदर्शिता और सुरक्षा के लिए लिया गया है। नगर पालिका की वेंडिंग कमेटियों के माध्यम से विक्रेताओं की पहचान की जाएगी और उन्हें नियमित किया जाएगा। विक्रमादित्य ने यह भी स्पष्ट किया कि यह फैसला यूपी मॉडल से प्रेरित नहीं है बल्कि हिमाचल प्रदेश की परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए लिया गया है। राज्य की शांति और कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए यह कदम जरूरी है।

मंत्री विक्रमादित्य सिंह के साथ अब आगे क्या होगा

कांग्रेस हाईकमान की नाराजगी के बाद यह देखना होगा कि विक्रमादित्य सिंह अपने इस फैसले पर कायम रहते हैं या इसमें कोई बदलाव किया जाता है। वहीं, पार्टी के भीतर उठ रहे असंतोष और विपक्ष की आलोचनाओं के बीच हिमाचल प्रदेश सरकार को इस मुद्दे पर संतुलन बनाकर चलना होगा ताकि न सिर्फ पार्टी की छवि बची रहे, बल्कि राज्य में सुरक्षा और स्वच्छता की दिशा में उठाए गए कदम भी प्रभावी साबित हों।