Earthquake Today : हिमाचल और जम्मू में भूकंप के झटके, जानें कितनी रही तीव्रता
हिमाचल प्रदेश के चम्बा जिला और जम्मू-कश्मीर के किश्तवाड़ में भूकंप के झटके महसूस किए गए हैं। राष्ट्रीय भूकंप विज्ञान केंद्र के अनुसार चंबा में शनिवार दोपहर करीब 1:16 बजे भूकंप के झटके आए हैं। भूकंप की तीव्रता रिक्टर पैमाने पर 3.1 आंकी गई और इसका केंद्र जमीन के अंदर 9 किलोमीटर की गहराई पर था। हालांकि, भूकंप से किसी तरह के नुकसान की सूचना नहीं है।
उधर, इसी दौरान पड़ोसी राज्य जम्मू-कश्मीर के किश्तवाड़ जिले में भी भूकंप के झंटके महसूस किए गए हैं। यह झटके भी शनिवार दोपहर करीब 1:55 बजे महसूस किए गए हैं। यहां भी भूकंप की तीव्रता रिक्टर पैमाने पर 3.1 आंकी गई और इसका केंद्र जमीन के अंदर 9 किलोमीटर की गहराई पर था।
चंबा में पिछले कुछ वर्षों से कई बार भूकंप के झटके लग चुके हैं। हालांकि ज्यादा बार भूकंप की तीव्रता कम रही है। चंबा के अलावा प्रदेश के अन्य जिलों में भी भूकंप के झटकों से बार-बार धरती डोल रही है। राज्य में बीते साल के भूकंप के आंकड़े स्तब्ध करने वाले हैं।
नेशनल सेंटर फॉर सिस्मोलोजी के आंकड़ों के अनुसार हिमाचल में बीते वर्ष लगभग 25 बार भूकंप आया। इन झटकों को लोगों ने महसूस किया है। हालांकि अधिकतर मर्तबा भूकंप की तीव्रता रिक्टर स्केल पर 3 से 4 तक रही। इनमें जून से अगस्त माह तक 15 बार भूकंप आया। जून माह में तीन, जुलाई माह में आठ और अगस्त माह में चार बार भूकंप के झटके लगे। ज्यादातर भूकंप चंबा जिला व इसके आसपास के इलाके में आया।
बता दें कि हिमाचल प्रदेश भूकम्प के लिहाज से अति संवेदन शील जोन चार व पांच में शामिल है। वर्ष 1905 में चम्बा व कांगड़ा जिलों में आये विनाशकारी भूकंप से 10 हजार से अधिक लोगों की मौतें हुई थीं।
आखिर कैसे और क्यों आता है भूकंप?
भूकंप के आने की मुख्य वजह धरती के अंदर प्लेटों का टकरना है। धरती के भीतर सात प्लेट्स होती हैं जो लगातार घूमती रहती हैं। जब ये प्लेटें किसी जगह पर आपस में टकराती हैं, तो वहां फॉल्ट लाइन जोन बन जाता है और सतह के कोने मुड़ जाते हैं। सतह के कोने मुड़ने की वजह से वहां दबाव बनता है और प्लेट्स टूटने लगती हैं। इन प्लेट्स के टूटने से अंदर की एनर्जी बाहर आने का रास्ता खोजती है, जिसकी वजह से धरती हिलती है और हम इसे भूकंप मानते हैं।
भूकंप की तीव्रता क्या होती है
भूकंप की तीव्रता को सीस्मिक तीव्रता भी कहा जाता है और इसे रिक्टर स्केल (Richter scale) या मोमेंट मैग्नीटूड (Moment Magnitude scale) के माध्यम से मापा जाता है। भूकंप की तीव्रता का माप यह दर्शाता है कि भूकंप में पृथ्वी की कितनी चपेटी हो रही है और यह लोगों को कितना प्रभावित कर सकता है।
रिक्टर स्केल (Richter scale) का उपयोग पहले से ही किया जाता रहा है, लेकिन आजकल अधिकतर वैज्ञानिकों मोमेंट मैग्नीटूड स्केल का इस्तेमाल करते हैं क्योंकि यह अधिक प्राकृतिक विपरीतताओं को संज्ञान में लेता है और अधिक विश्लेषण की अनुमति देता है।
इन मापों के अनुसार, भूकंप की तीव्रता 1 से 10 के बीच किसी भी संख्या से ज्यादा हो सकती है, प्रति बढ़ते आंकड़े भूकंप की तीव्रता को बढ़ाते हैं। ज्यादातर भूकंपों की तीव्रता 2 से 9 के बीच होती है, लेकिन बहुत ही तीव्र भूकंपें 9 के ऊपर भी हो सकती हैं।