ऊना जिले में है एक ऐसा अस्पताल जहां 6 महीने पहले ही पता चल जाती है पशुओं की बीमारी 

हरोली उपमंडल के ललड़ी में स्थित यह अत्याधुनिक पशु चिकित्सालय नई चिकित्सा क्रांति का केंद्र बन चुका है। यहां पशुओं की स्वास्थ्य समस्याओं की पहचान और इलाज के लिए अत्याधुनिक तकनीकों का उपयोग किया जा रहा है।   यह हिमाचल प्रदेश का संभवतः पहला और इकलौता चिकित्सा संस्थान है, जहां पशुधन के लिए इस स्तर की अत्याधुनिक चिकित्सा सुविधाएं उपलब्ध हैं।
 

ऊना  ।  हिमाचल प्रदेश के ऊना जिले में एक ऐसा आधुनिक अस्पताल है जहां पशुओं की बीमारी का 6 महीने पहले ही पता चल जाता है। हरोली उपमंडल के ललड़ी में स्थित यह अत्याधुनिक पशु चिकित्सालय नई चिकित्सा क्रांति का केंद्र बन चुका है। यहां पशुओं की स्वास्थ्य समस्याओं की पहचान और इलाज के लिए अत्याधुनिक तकनीकों का उपयोग किया जा रहा है, जिसमें इलास्टोग्राफी की सुविधा प्रमुख है। इस तकनीक से संभावित बीमारियों का पूर्वानुमान लगाकर समय पर उपचार सुनिश्चित किया जाता है।


यह हिमाचल प्रदेश का संभवतः पहला और इकलौता चिकित्सा संस्थान है, जहां पशुधन के लिए इस स्तर की अत्याधुनिक चिकित्सा सुविधाएं उपलब्ध हैं। पशु चिकित्सालय के वेटनरी ऑफिसर डॉ. मनोज शर्मा के अनुसार, 2017 से क्रियाशील इस अस्पताल में अब तक 1891 बड़ी सर्जरियाँ और 6173 छोटी-बड़ी सर्जरियाँ की जा चुकी हैं। इसके अलावा, 5761 गायनोकॉलॉजिकल मामलों का सफलतापूर्वक उपचार किया गया है। कुल 24867 मेडिसिन मामलों का इलाज और 24080 पैथोलॉजिकल सैंपल्स की जांच की गई है। अस्पताल में अब तक 151 पशुओं के अल्ट्रासाउंड और 17 हार्ट सर्जरी भी की जा चुकी हैं।

आधुनिक चिकित्सा सेवाओं से लैस है अस्पताल

डॉ. शर्मा बताते हैं कि अस्पताल में अप्रैल महीने में 15 लाख रुपये की अल्ट्रासाउंड मशीन लगाई गई है, जिससे अब तक सवा सौ से अधिक जटिल ऑपरेशन सफलतापूर्वक किए जा चुके हैं। अब यहां एक्स-रे मशीन भी स्थापित की जा रही है। वे बताते हैं कि उनके साथ यहां डॉ. अनूप रुठवाल, डॉ. नेहा चौहान और डॉ मोनिका ठाकुर सेवाएं दे रहे हैं। अस्पताल में तैनात सर्जरी, मेडिसिन, गायनी, और पैथोलॉजी के इन 4 विशेषज्ञ डॉक्टरों समेत पूरा स्टाफ पशुधन, कुत्तों और अन्य पालतू जानवरों की स्वास्थ्य सेवा में तत्परता से कार्य कर रहा है। विशेषज्ञ सेवाओं की उपलब्धता के चलते यहां हिमाचल प्रदेश के अलावा पंजाब से भी रेफरल मामले आते हैं। 

अस्पताल में हैं ये सुविधाएं

डॉ. शर्मा बताते हैं कि इलास्टोग्राफी के अलावा, यहां ईको कार्डियोग्राफी की सुविधा भी है, जिससे दिल की बीमारियों का इलाज भी आधुनिक विधियों से किया जाता है। नरम ऊतक सर्जरी, आंख-कान-दांत, आर्थोपेडिक सर्जरी, वक्ष शल्य चिकित्सा और कठिन प्रसव का इलाज भी यहां किया जाता है। ट्यूमर, कैंसर, बांझपन और गर्भनिरोधक जैसे ऑपरेशन फॉरेन तकनीक से किए जाते हैं। अस्पताल में खून की जांच, क्लिनिकल बायोकेमिस्ट्री और अन्य प्रयोगशाला परीक्षण की सुविधाएं भी उपलब्ध हैं।

2 कनाल भूमि पर 2 करोड़ से बना अस्पताल,  उपमुख्यमंत्री के प्रयासों का प्रतिफल


पशुपालन विभाग ऊना के उपनिदेशक डॉ. विनय शर्मा ने बताया कि इस अस्पताल का निर्माण करीब 2 कनाल भूमि पर 2 करोड़ रुपये की लागत से किया गया है। इसमें आधुनिक सेवाएं पशुपालकों के घर द्वार पर उपलब्ध हो रही हैं। यह उपमुख्यमंत्री  मुकेश अग्निहोत्री के प्रयासों से ही संभव हुआ है। यहां जटिल बीमारियों का इलाज, कठिन सर्जरी के साथ-साथ पशुओं के प्रजनन और पोषण के बारे में भी पशुपालकों को सलाह दी जाती है। उन्होंने कहा कि अपनी विशेषज्ञ सेवाओं, आधुनिक सुविधाओं और उपकरणों के चलते यह अस्पताल न केवल हिमाचल प्रदेश बल्कि पंजाब के भी कई जिलों के पशुपालकों के लिए एक महत्वपूर्ण संस्थान बन चुका है।

सीएम और डिप्टी सीएम का आभार
उल्लेखनीय है कि इस संस्थान को आर्ट ऑफ स्टेट सुविधाओं से सुसज्जित करने में मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू और उपमुख्यमंत्री एवं हरोली के विधायक मुकेश अग्निहोत्री की किसानों के लाभ की सोच और प्रतिबद्धता महत्वपूर्ण रही है। पशुपालक इस सुविधा के लिए सीएम और डिप्टी सीएम का आभार जताते नहीं थकते। लोगों का कहना है कि वर्तमान प्रदेश सरकार के प्रयासों से यह अस्पताल न केवल स्थानीय बल्कि पड़ोसी क्षेत्रों में भी अपनी पहचान बना रहा है और जानवरों की सेवा और स्वास्थ्य रक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। इस चिकित्सालय की वजह से पशुपालकों को बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं मिल रही हैं और उनके पशुओं की सेहत में भी सुधार हो रहा है।