हिमाचल प्रदेश में एक जुलाई 2024 से लागू होंगे तीन नए कानून, जानें क्या हैं ये कानून

अब इंडियन पीनल कोड (IPC) की जगह भारतीय न्याय संहिता (BNS), क्रिमिनल प्रोसीजर कोड (CrPC) की जगह भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और एविडेंस एक्ट की जगह भारतीय साक्ष्य अधिनियम लागू हो जाएगा।
 

शिमला। देश में तीन नए आपराधिक कानून एक जुलाई 2024 से लागू हो जाएंगे। अब इंडियन पीनल कोड (IPC) की जगह भारतीय न्याय संहिता (BNS), क्रिमिनल प्रोसीजर कोड (CrPC) की जगह भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और एविडेंस एक्ट की जगह भारतीय साक्ष्य अधिनियम लागू हो जाएगा। कानून और व्यवस्था के लिए तीन नए कानून हिमाचल प्रदेश में पहली जुलाई, 2024 से लागू हो रहे हैं। इसके लेकर तैयारियां शुरू हो गई हैं। 


तीनों नए कानूनों को प्रभावी बनाने के लिए मंगलवार को मुख्य सचिव प्रबोध सक्सेना ने संबंधित विभागों के साथ बैठक की। इस बैठक में नव अधिनियमित आपराधिक कानून भारतीय न्याय संहिता 2023, भारतीय नागरिक संहिता 2023 और भारतीय साक्ष्य अधिनियम के कार्यान्वयन के संबंध में चर्चा की गई। मुख्य सचिव ने कहा कि प्रदेश में पहली जुलाई, 2024 से नए कानूनों का प्रभावी क्रियान्वयन सुनिश्चित करने के लिए पुलिस और सभी संबंधित विभागों में उचित प्रबंध सुनिश्चित किए जाएंगे। 


उन्होंने कहा कि पुलिस, न्याय अधिकारियों, राज्य फोरेंसिक विज्ञान, जेल अधिकारियों एवं फील्ड स्टाफ को नए कानूनों के संबंध में डिजिटल तकनीक का प्रयोग कर प्रशिक्षण प्रदान किया जाएगा। डिजिटाइजेशन को ध्यान में रखते हुए इन कानूनों में आधुनिक तकनीक को समाहित किया गया है। मुख्य सचिव ने कहा कि कानून के प्रावधानों का प्रभावी क्रियान्वयन सुनिश्चित करने के लिए पुलिस के अपराध और आपराधिक नेटवर्क ट्रैकिंग सिस्टम में परिवर्तन किया जाएगा। इसके अंतर्गत सिस्टम के सॉफ्टवेयर को नए कानूनों के आधार पर अपडेट किया जाएगा। 


बैठक में अतिरिक्त मुख्य सचिव ओंकार चंद शर्मा, डीजीपी संजय कुंडू, महानिदेशक कारावास एसआर ओझा, सचिव विधि शरद कुमार लगवाल, निदेशक अभियोजन मोहिंद्र चौहान सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।

भारतीय न्याय संहिता में क्या बड़े बदलाव हुए..

  • भारतीय न्याय संहिता (BNS) में 20 नए अपराध जोड़े गए हैं।
  • ऑर्गेनाइज्ड क्राइम, हिट एंड रन, मॉब लिंचिंग पर सजा का प्रावधान।
  • डॉक्यूमेंट में इलेक्ट्रॉनिक और डिजिटल रिकॉर्ड शामिल हैं।
  • IPC में मौजूद 19 प्रावधानों को हटा दिया गया है।
  • 33 अपराधों में कारावास की सजा बढ़ा दी गई है।
  • 83 अपराधों में जुर्माने की सजा बढ़ा दी गई है।
  • छह अपराधों में सामुदायिक सेवा की सजा का प्रावधान किया गया है।