Himachal News : विधानसभा अध्यक्ष के खिलाफ विपक्ष का प्रस्ताव, सचिव को दिया नोटिस 

हिमाचल प्रदेश विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर और भाजपा विधायकों ने  विधानसभा अध्यक्ष के व्यवहार को लेकर नाराजगी जताते हुए विधानसभा सचिव को प्रस्ताव दिया। जयराम ठाकुर ने कहा कि विधानसभा अध्यक्ष की ओर से छह विधायकों पर आपत्तिजनक टिप्पणी की गई थी।
 

शिमला ।  हिमाचल प्रदेश विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर और भाजपा विधायकों ने  विधानसभा अध्यक्ष के व्यवहार को लेकर नाराजगी जताते हुए विधानसभा सचिव को प्रस्ताव दिया। जयराम ठाकुर ने कहा कि विधानसभा अध्यक्ष की ओर से छह विधायकों पर आपत्तिजनक टिप्पणी की गई थी। अध्यक्ष से टिप्पणी पर खेद व्यक्त करने का आग्रह किया गया था, लेकिन उनका रवैया अलग तरह का हो गया। जयराम ने कहा कि विपक्ष की ओर से इस विषय पर सदन में बोलने के लिए समय मांगा गया, लेकिन समय नहीं दिया गया।

इससे कुछ देर के लिए सदन में गतिरोध भी रहा।  इसके बाद संसदीय कार्यमंत्री की ओर से सदन में निंदा प्रस्ताव लाया गया। जब भी कोई प्रस्ताव लाया जाता है तो उसमें विपक्ष की सहभागिता होती है। लेकिन इसके बाद भी हमे बोलने का अवसर नहीं दिया। जयराम ठाकुर ने कहा कि इस सब बातों को लेकर आज नियमों के तहत विधानसभा अध्यक्ष को पद से हटाने के लिए सचिव को नोटिस दिया है। 

विपक्ष का विधानसभा में हंगामा, वाकआउट
प्रदेश विधानसभा के मानसून सत्र के पांचवें दिन की बैठक की शुरुआत 2 बजे विपक्ष के हंगामे के साथ शुरू हुई। विपक्ष प्रश्नकाल शुरू होने से पहले व्यवस्था का प्रश्न उठाते हुए प्रश्नकाल की कार्यवाही में गतिरोध पैदा करने का प्रयास करता रहा। विपक्ष के सदस्य विपिन सिंह परमार बार-बार अपनी बात रखने का प्रयास करने लगे, लेकिन उन्हें स्पीकर ने अनुमति नहीं दी। विधानसभा अध्यक्ष कुलदीप सिंह पठानिया ने सदन की कार्यवाही को आगे बढ़ाते हुए सीधे प्रश्नकाल शुरू कर दिया। इसके बाद सत्ता पक्ष के विधायक विपक्ष के हंगामे के बीच मंत्रियों से प्रश्न करते रहे।

विधानसभा अध्यक्ष ने भाजपा विधायकों के प्रश्नकाल में भाग नहीं लेने पर उन्हें गैर हाजिर मानते हुए सदन की कार्यवाही को आगे बढ़ाया। करीब 2:15 बजे विपक्ष ने नारेबाजी करते हुए सदन से वाकआउट कर दिया। इसके बाद प्रश्नकाल विपक्ष की गैर हाजिरी में ही चलता रहा।  विपक्ष के वाकआउट के बाद संसदीय कार्य मंत्री हर्षवर्धन चौहान ने कहा कि यह विपक्ष का दिवालियापन है कि इनके पास कोई मुद्दा नहीं है। अध्यक्ष से संबंधित जो मुद्दा इन्होंने उठाने का प्रयाय किया, वह नियमानुसार सही नहीं है। आज आपदा पर एजेंडा जयराम ठाकुर ने दिया था। कानून-व्यवस्था भी इनका मुद्दा रहा है।

विपक्ष के 10 में से आठ मुद्दे भाजपा नेताओं के लगे हैं। पर लगता है कि आज इनके पास कोई मुद्दा नहीं है। नियम-67 का भी एक प्रस्ताव दिया गया है। उस पर इन्होंने मुंह तक नहीं खोला। कांग्रेस विधायकों ने भी नियम 130 में वित्तीय स्थिति पर मुद्दा दिया है। सरकार की ओर से दिए प्रस्तावों से ज्यादा स्पीकर विपक्ष को अवसर दे रहे हैं। इसके बावजूद विपक्ष का व्यवहार सही नहीं है। ये विधानसभा अध्यक्ष को डिक्टेट नहीं कर सकते कि सदन कैसे चलाना है।

 

 

 

 

 

 

कानून-व्यवस्था और वित्तीय स्थिति पर भी सरकार चर्चा करने को तैयार : मुख्यमंत्री

मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने भी कहा कि विधानसभा अध्यक्ष ने प्रश्नकाल से पहले ड्रोन की जासूसी वाले व्यवस्था के प्रश्न पर पहले जयराम ठाकुर को बोलने का मौका दिया। कई बार इन्हें अवसर दिए गए। जिस राजनीतिक मंशा से ये लोग मुद्दे उठा रहे हैं, प्रदेश की जनता सब जानती है। कानून-व्यवस्था और वित्तीय स्थिति पर भी सरकार चर्चा करने को तैयार है, लेकिन लगता है कि विपक्ष नहीं।  स्पीकर कुलदीप सिंह पठानिया ने कहा कि उनका यह प्रयास रहता है कि जो भी मुद्दे जनता से संबंधित हो, वे चर्चा में लाए जाए। सारे मामले जो सूचीबद्ध हैं, वे विपक्ष के संबंध में ही ज्यादा हैं। जो भी कार्यवाही होगी, वह नियमों के अनुसार ही होगी। 


वहीं विधानसभा अध्यक्ष कुलदीप सिंह पठानिया ने कहा कि विपक्ष ने नियम 67 से जुड़ी स्थगन प्रस्ताव की सूचनाएं दीं। कर्मचारियों और पेंशनरों के समय पर वेतन व पेंशन न देने से यह संबंधित है। नियम 130 में इसी प्रस्ताव पर चर्चा हो सकती है, जो वित्तीय स्थिति से संबंधित है। इस स्थगन प्रस्ताव पर अविलंब चर्चा को करवाने का कोई औचित्य नहीं रह जाता है, जिन्होंने सदन में यह प्रस्ताव लाया है, वे भी यहां नहीं है। इसका औचित्य नहीं रह जाता है। संसदीय कार्य मंत्री जगत सिंह नेगी ने कहा कि नियम-67  दिखावा था। प्रश्नकाल में मुद्दा कुछ और उठाया। 
 स्पीकर पठानिया ने कहा कि इससे विपक्ष की गंभीरता का न होना दिखता है। नेता प्रतिपक्ष की जिम्मेवारी बहुत ज्यादा है। वह पिछले पांच साल तक मुख्यमंत्री भी रहे हैं।  संसदीय कार्यमंत्री हर्षवर्धन चौहान ने कहा कि उन्होंने पिछले कल जयराम ठाकुर से टेलीफोन पर बात की। उन्हें कहा कि सत्र दस दिन का है। पर यह लोग भाग रहे हैं। आज ये सदन से बाहर चले गए। यह समय की बर्बादी है। इस सदन को चलाने की जिम्मेवारी केवल सरकार की ही नहीं है, विपक्ष की भी है। सरकार इतनी कमजोर नहीं है। सरकार ने कुछ भी गलत नहीं किया है।

वाकआउट के बाद मीडिया से बातचीत में जयराम ठाकुर ने कहा कि भाजपा विधायक दल की बैठक में फैसला लेने के बाद विधानसभा सचिव को नियम 274 के तहत विधानसभा अध्यक्ष को पद से हटाने का प्रस्ताव दिया गया था। नियम के अनुसार जब इस तरह का प्रस्ताव दिया जाता है तो विधानसभा अध्यक्ष स्वयं सदन की कार्यवाही का संचालन नहीं करता है, आसन छोड़ देता है। लेकिन ऐसा नहीं हुआ। इस सदन में बोलने की अनुमति नहीं दी गई।