हिमाचलः स्कूल शिक्षा बोर्ड नहीं मानता कानून और सरकार के आदेश

राज्य विकलांगता सलाहकार बोर्ड के विशेषज्ञ सदस्य और उमंग फाउंडेशन ने राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर को शिकायत भेज कर दोषी अफसरों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है।
 

शिमला। हिमाचल प्रदेश स्कूल शिक्षा बोर्ड दृष्टिबाधित एवं अन्य दिव्यांग विद्यार्थियों के लिए राज्य सरकार द्वारा जारी आदेशों की धज्जियां उड़ा रहा है। राज्य विकलांगता सलाहकार बोर्ड के विशेषज्ञ सदस्य और उमंग फाउंडेशन के अध्यक्ष प्रो. अजय श्रीवास्तव ने राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर को शिकायत भेज कर दोषी अफसरों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है। उन्होंने कहा कि शिक्षा बोर्ड को दिव्यांग विद्यार्थियों की शिक्षा की समझ ही नहीं है जिससे दृष्टिबाधित विद्यार्थियों को विशेष कर मुश्किलें पेश आती हैं।

राज्यपाल को भेजे पत्र में प्रो. अजय श्रीवास्तव ने कहा कि हिमाचल प्रदेश स्कूल शिक्षा बोर्ड दृष्टिबाधित एवं हाथ से लिखने में असमर्थ विद्यार्थियों के लिए राज्य सरकार द्वारा 12 अप्रैल 2021 को जारी आदेशों को भी मानने को तैयार नहीं है। इस बारे में वह विगत दिसंबर में भी सरकार और बोर्ड के अलावा मीडिया में मामला उजागर कर चुके हैं।

उन्होंने कहा कि दिल्ली हाईकोर्ट के निर्णय के बाद केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय और सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय द्वारा वर्ष 2018 में जारी निर्देशों में कहा गया था कि यदि परीक्षा कराने वाली एजेंसी पात्र दिव्यांगों को राइटर उपलब्ध नहीं करा पाती है तो परीक्षार्थी द्वारा लाए गए राइटर की शैक्षणिक योग्यता नहीं पूछी जाएगी। यानी दृष्टिबाधित एवं हाथ से लिख पाने में असमर्थ परीक्षार्थी किसी भी शैक्षणिक योग्यता के व्यक्ति को राइटर बना सकते हैं। हाई कोर्ट के फैसले के बाद हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय में भी यही नियम लागू है।

प्रदेश के सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग ने पिछले साल 12 अप्रैल को केंद्र के आदेशों को लागू करने की अधिसूचना जारी कर सभी विभागों और स्कूल शिक्षा बोर्ड को भी भेज दी थी। लेकिन शिक्षा बोर्ड ने इसे मानने से इनकार कर दिया। स्कूल शिक्षा बोर्ड ने 17 जनवरी 2021 को एक समिति बनाकर दिव्यांग विद्यार्थियों को दी जाने वाली सुविधाओं की समीक्षा की। समिति की रिपोर्ट को स्वीकार कर 4 फरवरी 2022 को बोर्ड ने एक अधिसूचना जारी कर दी जिसके अनेक बिंदु अत्यंत आपत्तिजनक हैं। इसमें राज्य सरकार के आदेशों को नकारते हुए कहा गया है कि हर हालत में परीक्षार्थी से उसका राइटर एक कक्षा जूनियर होना चाहिए। यही नहीं राइटर उसी विद्यालय का विद्यार्थी हो जिसमें परीक्षार्थी पढ़ता है।

यही नहीं स्कूल शिक्षा बोर्ड के प्रमाण में यह भी शामिल है कि परीक्षार्थी सिर्फ एक बार अपने राइटर को बदल सकता है। यह केंद्र सरकार और राज्य सरकार के आदेशों के साथ ही विकलांगजन कानून 2016 का भी खुला उल्लंघन है। शिक्षा बोर्ड कानून का उल्लंघन कर मनमानी शर्ते नहीं थोप सकता। प्रदेश विकलांगता सलाहकार बोर्ड के विशेषज्ञ सदस्य ने कहा कि शिक्षा बोर्ड की दिव्यांग विद्यार्थियों की परीक्षाओं के बारे में घोषित नीति में कई अन्य बातें भी अत्यंत आपत्तिजनक हैं। उन्होंने राज्यपाल से मांग की कि शिकायत का संज्ञान लेकर तुरंत दिव्यांग विद्यार्थियों को न्याय दिलाएं और स्कूल शिक्षा बोर्ड की दिव्यांग विद्यार्थियों संबंधी परीक्षा नीति को कानून के अनुरूप बनवाएं।