Paralympics : हिमाचल के निषाद कुमार ने ऊंची कूद में जीता रजत पदक, एक हाथ से ही छू लिया सफलता का आसमान 

एथलीट निषाद कुमार और प्रीति पाल ने पेरिस पैरालंपिक में शानदार प्रदर्शन करते हुए देश को दो और पदक दिला दिए। हिमाचल प्रदेश के निषाद ने ऊंची कूद में 2.04 मीटर की ऊंचाई के साथ रजत जीता। निषाद ने टोक्यो में भी 2.04 मीटर की ऊंचाई के साथ रजत पदक जीता था।
 

शिमला ।  एथलीट निषाद कुमार और प्रीति पाल ने पेरिस पैरालंपिक में शानदार प्रदर्शन करते हुए देश को दो और पदक दिला दिए। हिमाचल प्रदेश के निषाद ने ऊंची कूद में 2.04 मीटर की ऊंचाई के साथ रजत जीता। निषाद ने टोक्यो में भी 2.04 मीटर की ऊंचाई के साथ रजत पदक जीता था। वहीं, यूपी की प्रीति पाल ने टी-35 कैटेगरी की 200 मीटर दौड़ में अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करते हुए कांस्य पदक जीता। उन्होंने 30:01 सेकंड का समय निकाला। इसी पैरालंपिक में उन्होंने 100 मीटर में कांस्य पदक जीता था। पैरालंपिक में देश को अब तक सात पदक मिल चुके हैं।

वहीं, बैडमिंटन में भी तीन रजत पदक मिलने तय हैं। निशाद कुमार हिमाचल प्रदेश के जिला ऊना के तहत अंब तहसील के बदाऊं गांव के रहने वाले हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी निशाद कुमार  को पदक जीतने पर बधाई दी है। मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू, भाजपा प्रदेश अध्यक्ष राजीव बिंदल ने भी बधाई दी है। 

एक हाथ से ही छू लिया सफलता का आसमान  :
निषाद कुमार ने पैरालंपिक में ऊंची कूद में दूसरी बार रजत पदक जीतकर इतिहास रच दिया। इसके पीछे उनकी और गरीब परिवार की मेहनत तो है, लेकिन जीत का जज्बा और विपरीत हालात को पछाड़कर सितारों को छू लेने की कहानी भी है। एक हादसा जो किसी भी साधारण आदमी के हौंसले को पस्त कर सकता है। उस हादसे को एक गरीब किसान के बेटे ने अपना मुकद्दर नहीं माना। बल्कि उसके बाद मेहनत और लग्न से वह मुकाम हासिल किया। निषाद ने अपने बचपन के एक हादसे के बाद हार नहीं मानी, बल्कि खेलकूद के लिए मूलभूत सुविधाओं और प्रशिक्षण की कमी वाले कस्बे के सरकारी स्कूल से सफर किया। अपने खेलों के सफर को ओलंपिक के विक्ट्री पोडियम तक पहुंचा दिया।

महज छह वर्ष की उम्र में चारा काटते समय निषाद का हाथ घास काटने वाली मशीन में आ गया था। जिस कारण दाहिनी कलाई कटकर अलग हो गई। परिवार का इकलौता बेटा होने के कारण उसका हाथ कट जाना परिवार के लिए किसी सदमे से कम नहीं था, लेकिन निषाद ने अपने साथ हुए हादसे को ही अपना मुकद्दर नहीं मान लिया। अपना ध्यान खेलों की तरफ केंद्रित किया और इसके लिए गरीबी के बावजूद खेलों में उच्च स्तरीय प्रशिक्षण के लिए जमा दो कक्षा की पढ़ाई के बाद वह पंचकूला के ताऊ देवीलाल स्टेडियम में पहुंच गया। बेटे को उच्च प्रशिक्षण देने  के लिए मां ने दूध बेचा और पिता ने दिहाड़ियां लगाकर सहयोग दिया। कोच नसीम अहमद ने निषाद की प्रतिभा को पहचाना और उसकी खेल प्रतिभा को तराशा। परिवार में गरीबी के हालात थे, लेकिन निषाद की मेहनत ने सब उलटफेर कर दिया। 

राज्य सरकार खिलाड़ियों की हर संभव सहायता कर रही : मुख्यमंत्री
मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने रजत पदक जीतने पर निषाद कुमार को बधाई दी है। मुख्यमंत्री ने कहा कि यह प्रदेशवासियों के लिए गौरव का क्षण है कि प्रदेश के युवा खिलाड़ी ने इस प्रतियोगिता में शानदार प्रदर्शन कर देश का नाम रोशन किया है। उन्होंने कहा कि निषाद कुमार की यह उल्लेखनीय उपलब्धि उसकी कड़ी मेहनत, समर्पण और खेल के प्रति जुनून का प्रमाण है। उन्होंने आशा व्यक्त की कि निषाद कुमार की उपलब्धि राज्य की युवा पीढ़ी को अपने-अपने क्षेत्रों में उत्कृष्टता हासिल करने के लिए कड़ी मेहनत करने के लिए प्रेरित करेगी।  सुक्खू ने कहा कि राज्य सरकार राज्य के खिलाड़ियों को उनके उत्कृष्ट प्रदर्शन से देश के साथ राज्य का नाम रोशन करने के लिए हर संभव सहायता प्रदान कर रही है।