मंडी के स्यांज क्षेत्र की महिलाएं खड्डी पर बुन रहीं सुनहरे भविष्य के सपने

मंडी जिला के थमलाह गांव की हीरामणि एक सामान्य गृहिणी हैं, जो अब खड्डी पर कुशलता से काम कर आर्थिक स्वावलंबन की ओर बढ़ रही हैं।
 

मंडी। मंडी जिला के थमलाह गांव की हीरामणि एक सामान्य गृहिणी हैं, जो अब खड्डी पर कुशलता से काम कर आर्थिक स्वावलंबन की ओर बढ़ रही हैं। अपने दैनिक कार्यों के बाद खाली समय में खड्डी पर हाथ चलाने वाली हीरामणि ने इस शौक को हुनर में बदला और अब कई महिलाओं को स्वरोजगार से जोड़ा है। यह सफलता प्रदेश सरकार की हथकरघा को प्रोत्साहन देने वाली योजनाओं का परिणाम है, जिससे स्यांज क्षेत्र की महिलाएं सुनहरे भविष्य के सपने साकार कर रही हैं।

हीरामणि ने बताया कि वे पिछले 25 वर्षों से घर में खड्डी का काम कर रही थीं, लेकिन 2021 में हिमाचल प्रदेश हस्तशिल्प एवं हथकरघा निगम के अधिकारियों से मिलने के बाद उन्होंने इसे व्यावसायिक रूप से आगे बढ़ाने का निर्णय लिया। स्यांज बाजार में दुकान किराए पर लेकर उन्होंने काम शुरू किया और निगम से मास्टर ट्रेनर का पद प्राप्त किया। इस दौरान उन्होंने गांव की 8 महिलाओं को खड्डी पर प्रशिक्षण दिया। इन महिलाओं को निगम द्वारा एक खड्डी और 2400 रुपये प्रतिमाह की प्रोत्साहन राशि प्रदान की गई।

अब, हीरामणि किन्नौरी और कुल्लू शैली की शॉल व मफलर तैयार करती हैं और हर महीने 15 से 20 हजार रुपये कमाती हैं, जिससे वह अपने परिवार की आर्थिकी में योगदान दे रही हैं। उनके द्वारा प्रशिक्षित महिलाएं भी अपने घरों से या दुकान पर खड्डी का काम कर रही हैं और आत्मनिर्भर बन चुकी हैं।

 

गांव स्यांज की भूपेंद्र कुमारी, जो गरीब परिवार से ताल्लुक रखती हैं, ने भी खड्डी का काम शुरू किया है। 2023 में स्कूल की पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने हीरामणि के प्रोत्साहन से हथकरघा का काम सीखना शुरू किया। हस्तशिल्प एवं हथकरघा निगम द्वारा उन्हें प्रशिक्षण प्राप्त हुआ और उन्होंने शॉल और मफलर तैयार करना शुरू किया। अब वह अपने घर से काम कर हर महीने 10,000 रुपये कमा रही हैं, जिससे उनके परिवार की जरूरतें पूरी हो रही हैं।

 

गांव स्यांज की नीलम, जिन्होंने 2021 में स्नातक की पढ़ाई पूरी की थी, ने कोरोना काल में आगे की पढ़ाई छोड़ दी। उन्होंने हथकरघा का काम शौकिया तौर पर शुरू किया और बाद में निगम से एक साल की ट्रेनिंग ली। अब वह शॉल और मफलर तैयार कर हर महीने 8 से 10 हजार रुपये कमा रही हैं। इसी तरह, ग्वाड़ गांव की उमा देवी भी खड्डी कार्य से अच्छी आमदन कमा रही हैं।

 

हिमाचल प्रदेश हस्तशिल्प एवं हथकरघा निगम के सहायक प्रबंधक अक्षय सिंह डोट ने बताया कि प्रदेश सरकार हथकरघा व्यवसाय को बढ़ावा देने के लिए लघु अवधि के प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित करती है। हाल ही में जिले में 90 से अधिक लोगों को एक साल का हथकरघा बुनाई प्रशिक्षण दिया गया है और इस दौरान लगभग 30 लाख रुपये की प्रोत्साहन राशि वितरित की गई है।

मुख्यमंत्री का जताया आभार

हीरामणि और अन्य प्रशिक्षित महिलाओं ने प्रदेश सरकार और मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू का आभार व्यक्त किया, जिनकी योजनाओं ने उन्हें स्वरोजगार से जोड़ा और आत्मनिर्भर बनने का अवसर प्रदान किया। ये योजनाएं न केवल महिलाओं को रोजगार प्रदान कर रही हैं, बल्कि समाज में उनके आर्थिक सशक्तिकरण की दिशा में भी महत्वपूर्ण कदम साबित हो रही हैं।