Ragging in Himachal: टांडा मेडिकल कॉलेज में फिर रैगिंग, 2009 में भी हुई थी प्रशिक्षु डॉक्टर की मौत

जांच कमेटी ने जूनियर छात्रों के साथ रैगिंग होने की पुष्टि की है। जांच कमेटी की सिफारिश पर कॉलेज प्रशासन ने आरोपी चारों सीनियर छात्रों को एक साल और छह माह के लिए कॉलेज से निष्कासित दिया है। साथ ही एक लाख व 50 हजार रुपये जुर्माना लगाया  है।
 

कांगड़ा। हिमाचल प्रदेश के डॉ. राजेंद्र प्रसाद राजकीय मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल टांडा (Ragging in Tanda Medical College) में एमबीबीएस के चार सीनियर प्रशिक्षुओं पर रैगिंग के आरोप लगे हैं। कालेज प्रशासन ने शिकायत मिलने के बाद मामले की जांच कमेटी के माध्यम से करवाई। जांच कमेटी ने जूनियर छात्रों के साथ रैगिंग होने की पुष्टि की है। 

जांच कमेटी की सिफारिश पर कॉलेज प्रशासन ने आरोपी चारों सीनियर छात्रों को नियमानुसार एक साल और छह माह के लिए कॉलेज से निष्कासित दिया है। साथ ही एक लाख व 50 हजार रुपये जुर्माना लगाया  है। कालेज प्रिंसिपल डॉ. मिलाप शर्मा ने चारों छात्रों पर कार्रवाई रिपोर्ट पर मुहर लगा दी है। उन्होंने कहा कि रैगिंग किसी भी सूरत में बर्दास्त नहीं होगी।

जानकारी के अनुसार, हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले के डॉ. राजेंद्र प्रसाद राजकीय मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल, टांडा में सीनियर्स ने जूनियर छात्रों के साथ रैगिंग की है। सीनियर प्रशिक्षुओं ने 9 जूनियर्स प्रशिक्षुओं को प्रताड़ित किया है। इन 9 जूनियर्स को बॉयज होस्टल में बुलाया गया था और फिर हॉस्टल के रूम नम्बर 108 में इनकी रैगिंग की गई। आरोप है कि जूनियर्स को पहले गालियां दी गईं और फिर मारपीट और कपड़े भी फाड़े गए। 


पूरे मामले की शिकायत नेशनल मेडिकल कमीशन (NMC) में से की गई थी और फिर जांच की गई। अब मेडिकल कॉलेज की एंटी रैंगिग कमेटी ने सभी आरोपियों पर एक्शन लिया है। सभी चार प्रशिक्षु साल 2019 और 22 बैच के हैं। टांडा मेडिकल कॉलेज प्रशासन ने दो प्रशिक्षुओं पर एक-एक लाख रुपये जुर्माना और एक साल के लिए कक्षाओं और हॉस्टल से निष्कासित कर दिया है। इसके अलावा दो अन्य पर 50-50 हजार जुर्माना और 6 माह के सस्पेंशन के आदेश दिए गए हैं। उधर, मामले को लेकर पुलिस से शिकायत नहीं की गई है।

2009 में प्रशिक्षु की मारपीट से हो गई थी मौत

साल 2009 में टांडा मेडिकल कॉलेज में प्रशिक्षु अमन काचरू से रैगिंग की थी। अमन के साथ रैगिंग के दौरान काफी मारपीट की गई थी और फिर उसकी मौत हो गई थी। इस मामले ने तब इस मामले ने काफी सुर्खियां बटोरी थी। बाद में दोषी छात्रों को कोर्ट ने चार साल की सजा भी सुनाई थी। इस घटना के बाद से भी टांडा मेडिकल कॉलेज में रैगिंग की घटनाएं थम नहीं रही हैं।

मेडिकल कॉलेज में रैगिंग: एक गंभीर खतरा

मेडिकल कॉलेज रैगिंग का एक विशेष रूप से हानिकारक क्षेत्र है। जहाँ नए छात्रों को अक्सर शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक रूप से प्रताड़ित किया जाता है, जिसके गंभीर परिणाम हो सकते हैं।

रैगिंग के प्रभाव मेडिकल छात्रों पर विशेष रूप से गंभीर हो सकते हैं:

  • शैक्षिक क्षति: रैगिंग के कारण होने वाला तनाव और चिंता एकाग्रता और सीखने की क्षमता को बाधित कर सकती है, जिससे परीक्षा में खराब प्रदर्शन और यहां तक कि शिक्षा भी छोड़ने की संभावना बढ़ जाती है।
  • मानसिक स्वास्थ्य समस्याएं: रैगिंग के शिकार छात्र अवसाद, चिंता, आत्म-हानि और आत्महत्या की प्रवृत्ति का शिकार हो सकते हैं।
  • सामाजिक अलगाव: रैगिंग के कारण छात्र सामाजिक रूप से अलग-थलग पड़ सकते हैं, जिससे उनका आत्मविश्वास कम होता है और वे अपने साथियों से जुड़ने में कठिनाई महसूस करते हैं।
  • पेशेवर विकास में बाधा: रैगिंग के अनुभव भविष्य में डॉक्टरों के रूप में उनकी क्षमताओं और रोगियों के साथ उनकी सहानुभूति को प्रभावित कर सकते हैं।

मेडिकल कॉलेजों में रैगिंग को रोकने के लिए कई कदम उठाए जा सकते हैं:

  • कानूनी सख्ती: रैगिंग विरोधी कानूनों को सख्ती से लागू करना और दोषियों को कड़ी सजा देना।
  • जागरूकता अभियान: छात्रों, शिक्षकों, अभिभावकों और समाज को रैगिंग के खतरों के बारे में शिक्षित करना।
  • एंटी-रैगिंग नीतियां: मेडिकल कॉलेजों में कड़ी एंटी-रैगिंग नीतियां बनाना और उनका कड़ाई से पालन करना।
  • निगरानी और शिकायत तंत्र: सीसीटीवी कैमरे लगाना, एंटी-रैगिंग स्क्वाड बनाना और शिकायत निवारण तंत्र स्थापित करना।
  • मनोवैज्ञानिक सहायता: पीड़ित छात्रों के लिए परामर्श और सहायता सेवाएं प्रदान करना।