पालमपुर के बगौड़ा में SDRF खुलने का रास्ता हुआ साफ, 105 कनाल भूमि एसडीआरफ के नाम
धर्मशाला। भूगौलिक दृष्टि से हिमाचल प्रदेश का सबसे बड़ा जिला कांगड़ा आपदाओं से निपटने के लिए आधारभूत सरंचना को सुदृढ़ करने में निरंतर आगे बढ़ रहा है। हिमाचल में एनडीआरएफ पहली बटालियन कांगड़ा जिला के नुरपुर में स्थापित हुई है। और अब हिमाचल की पहली राज्य आपदा रिलीफ फोर्स (एसडीआरएफ) बटालियन का भी कांगड़ा जिला के पालमपुर के बगौड़ा में खुलने का रास्ता भी साफ हो गया है।
बगौड़ा में 105 कनाल के करीब भूमि एसडीआरSफ के लिए स्थानंतरित हो गई है, जबकि एनडीआरएफ नुरपुर बटालियन में निर्माण कार्यों के लिए 4.80 करोड़ रुपये राशि भी स्वीकृत की गई है। यहां पर फेब्रिकेटिड स्ट्रक्चर निर्माण के लिए रो-वे सिस्टम डेवेलपमेंट कार्पोरेशन द्वारा खाका तैयार किया जा रहा है। इसके लिए रोप-वे डेवलपमेंट कार्पोरेशन को फंड उपलब्ध करवा दिया। इसका जल्द ही निर्माण कार्य आरंभ हो जाएगा।
उपायुक्त डॉ. निपुण जिंदल ने कहा कि कांगड़ा जिला भूकंप की दृष्टि से संवदेनशील जोन में है। इसके दृष्टिगत जिला में आपदा प्रबंधन को लेकर आधारभूत सुविधाएं जुटाने के लिए दूरगामी प्लान तैयार किया गया है, ताकि आपदा से होने वाले नुक्सान को कम किया जा सके। उन्होंने बताया कि प्रारंभिक चरण में स्वचालित मौसम स्टेशन कांगड़ा जिला के आवेरी, बीड़, खास, दरूग, नपोहता, कोहर खास, करनाथू तथा डंडेल में स्थापित किए गए हैं।
उन्होंने कहा कि आपदा प्रबंधन में यह मौसम स्टेशन काफी कारगर साबित होंगे किसी भी तरह की भारी बारिश, आंधी, तूफान इत्यादि के बारे में मौसम स्टेशन के उपकरणों के माध्यम से अलर्ट की सूचना जिला आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के साथ साथ संबंधित पंचायत प्रतिनिधियों तक भी पहुंचेगी ताकि मौसम के पूर्वानुमान के आधार पर आपदा प्रबंधन की तैयारियां की जा सकें।
उपायुक्त डॉ. निपुण जिंदल ने बताया कि कांगड़ा जिला प्रशासन तथा आईआईटी मंडी के बीच भूकंप, भूस्खलन जैसी प्राकृतिक खतरों से बचाव तथा मॉनिटरिंग के लिए कांगड़ा जिला के दस विभिन्न स्थानों के लिए पूर्व चेतावनी प्रणाली तथा सिंथेटिक एपर्चर रडार आधारित कांगड़ा जिला का प्रोफाइल विकसित करने के लिए एमओयू हस्ताक्षरित किया गया। उन्होंने कहा कि आपदा प्रबंधन की दृष्टि से आधारभूत सुविधाएं उपलब्ध करवाने में कांगड़ा जिला पूरे प्रदेश का अग्रणी जिला बनकर उभरा है।