विस्थापित परिवारों का दर्दः पहले पौंग बांध में डूब गए घर, अब शाहपुर में भी उजड़ने का डर

वर्ष 1964 में जिला कांगड़ा में पौंग बांध का निर्माण शुरू हुआ था और 1975 में तैयार हो गया था। बांध के निर्माण के कारण 24,310 परिवार विस्थापित हुए थे।
 

धर्मशाला। जब भी कोई परियोजना शुरू होती है तो विकास और विनाश दोनों एक साथ होते हैं। परियोजना से विकास तो सही है लेकिन आपको लगेगा कि विनाश कैसे कोई विकासत्मक परियोजना कर सकती है? मगर सच्चाई यही है कि परियोजना को अमलीजामा पहनाने के लिए कई तरह की अड़चनाएं आती हैं। कई बार यह प्रकृति को नुकसान करती हैं, तो कई बार साथ ही आम लोगों भी इसकी चपेट में आ जाते हैं, तभी परियोजना मूर्त रूप ले पाती है।

वर्ष 1964 में जिला कांगड़ा में पौंग बांध का निर्माण शुरू हुआ था और 1975 में तैयार हो गया था। बांध के निर्माण के कारण 24,310 परिवार विस्थापित हुए थे। उनमें से देहरा तहसील की सौथल पंचायत के गांव बिहारी से रामस्वरूप शांडिल्य का परिवार भी था, जो शाहपुर में आकर बसा था। 1971 में विस्थापित रामस्वरूप शांडिल्य सहित पांच परिवारों को अब फिर से उजड़ने का डर सताने लगा है। और यह डर है शाहपुर बाजार के उजड़ने के कारण।

यानी हकीकत की खबर यह है कि वे अभी पिछले विस्थापन का दर्द भूल भी नहीं पाए थे कि अब 50 साल बाद फिर उनका दर्द हरा होने वाला है। मंडी पठानकोट राष्ट्रीय राजमार्ग को फोरलेन किया जा रहा है। और इसकी जद में शाहपुर बाजार के कई घर और दुकानें आ रही हैं। ऐसे में इन दुकानों और घरों को हटा दिया जाएगा, ताकि राष्ट्रीय राजमार्ग को चौड़ा किया जा सके। 50 साल बाद विस्थापन का डर इन परिवारों को अंदर ही अंदर खाए जा रहा है।

500 कनाल जमीन गई और खरीदी 50 कनाल

पौंग बांध निर्माण के कारण रामस्वरूप शांडिल्य, मुंशी राम, अनूप शांडिल्य, नरोत्तम शांडिल्य, रणजीत शांडिल्य विस्थापित होकर 1971 में शाहपुर आकर बस गए थे। उन्होंने शाहपुर में 10 कनाल जमीन खरीदी थी। पौंग बांध के आगोश में उनकी 500 कनाल जमीन चली गई थी। अब ये पांच परिवार बढ़कर 10 हो गए हैं और कुल 35 सदस्य हैं। पठानकोट मंडी फोरलेन की जद में उनकी 17 दुकानें और घर आ रहे हैं।  


ट्रक लेन न बने तो बच सकते हैं हमारे सभी घर 

रामस्वरूप 2002 में शाहपुर से विधानसभा चुनाव लड़ चुके हैं। उन्होंने कहा कि आखिर सरकार उन्हें कितनी बार विस्थापित करेगी। कहते हैं कि शाहपुर में ट्रक लेन का कोई औचित्य नहीं है। न तो शाहपुर में कोई मंडी है, न कोई यूनियन, न कोई इंडस्ट्री है और न ही कोई सुपरमार्केट है। फिर भी कुछ व्यक्ति विशेष को लाभ पहुंचाने के लिए ट्रक लेन बनाई जा रही है। अगर ट्रक लेन निर्माण नहीं होता है तो उनके घर बच सकते हैं और वे विस्थापित होने से बच सकते हैं।