Himachal : क्रिकेट का शौक नहीं छोड़ा, दिहाड़ी लगाई परिवार पाला, अब बोलेगा प्रदीप का बल्ला

पिछले दिनों राज्य स्तरीय प्रतियोगिता में प्रदीप ने दमदार खेल दिखाया। इसके बाद हिमाचल टीम के लिए हमीरपुर में ट्रायल हुआ। यहां इनका चयन हो गया। प्रदीप का सपना भारत के लिए खेलने का है। 
 

कांगड़ा ।  हिमाचल की व्हील चेयर क्रिकेट टीम में चुने गए दिव्यांग क्रिकेटर प्रदीप उन युवाओं के लिए प्रेरणा हैं जो मुश्किल परिस्थितियों में हिम्मत हार जाते हैं। कांगड़ा के चढ़ियार क्षेत्र के प्रदीप का चयन राजस्थान में होने वाली राष्ट्रीय प्रतियोगिता के लिए प्रदेश की टीम में हुआ है। प्रतियोगिता में देश की 16 टीमें आपस में भिड़ेंगी। यह प्रतियोगिता 27 नवंबर से तीन दिसंबर तक होगी। प्रदीप की दोनों टांगें बचपन से काम नहीं करतीं। बचपन से क्रिकेट का जुनून था।

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परिवार की माली हालत खराब थी, पर प्रदीप ने सपना देखा कि क्रिकेट में नाम चमकाना है। प्रदीप का बचपन मुश्किलों भरा रहा। बचपन में जब उनकी मां उन्हें कंधे पर उठाकर स्कूल ले जातीं। लोग कहते कि बिना टांगों वाले को पढ़ाकर क्या करेगी। जैसे तैसे प्रदीप स्कूल जाते रहे और जमा दो तक की पढ़ाई पूरी कर ली। इसी बीच घर की परिस्थितियों ने प्रदीप की कड़ी परीक्षा ली।

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एक दुर्घटना में प्रदीप के पिता अपनी टांगें गंवा बैठे। परिवार की सारी जिम्मेवारी प्रदीप के कंधों पर आ गई। नौकरी थी नहीं तो मनरेगा में दिहाड़ी लगाना शुरू कर दी। करीब दस साल तक पिता की बिस्तर पर सेवा की। इसके बाद पिता का निधन हो गया। दिहाड़ी लगाने के बाद प्रदीप के पास जब वक्त होता था तो घर के साथ ही खेतों में क्रिकेट का अभ्यास करते। इसके लिए वह गांव के कुछ बच्चों को भी बुला लेते। 

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प्रदीप ने इसके बाद व्हील चेयर क्रिकेट प्रतियोगिता में हिस्सा लेना शुरू किया। इसी बीच एक प्रतियोगिता में व्हील चेयर क्रिकेट फेडरेशन की अध्यक्ष रेखा त्रिवेदी की नजर इन पर पड़ी। उन्होंने प्रदीप का हौसला बढ़ाया। पिछले दिनों राज्य स्तरीय प्रतियोगिता में प्रदीप ने दमदार खेल दिखाया। इसके बाद हिमाचल टीम के लिए हमीरपुर में ट्रायल हुआ। यहां इनका चयन हो गया। प्रदीप का सपना भारत के लिए खेलने का है। 


शॉटपुट और जेवलिन थ्रो में भी जीते हैं पदक
प्रदीप क्रिकेट ही नहीं, शॉटपुट और जेवलिन थ्रो के भी अच्छे खिलाड़ी। शॉटपुट में वह स्टेट चैंपियन हैं और जेवलिन थ्रो में कांस्य पदक जीता है। प्रदीप की पत्नी भी उनकी मदद करती हैं और प्रतियोगिताओं में इनके साथ जाती हैं।