बिलासपुर के लुहणू में शोभा यात्रा के साथ आज होगा नलवाड़ी मेले का आगाज
बिलासपुर। बिलासपुर में बुधवार से शुरू होने वाले नलवाड़ी मेले (Nalwadi Mela) की तैयारियां प्रशासन ने पूरी कर ली हैं। लक्ष्मी नारायण मंदिर से लुहणू मैदान तक शोभा यात्रा निकाली जाएगी। नलवाड़ी मेले (Nalwadi Mela) का शुभारंभ खाद्य आपूर्ति मंत्री राजेंद्र गर्ग करेंगे। लुहणू मैदान में बैल पूजन किया जाएगा।
गोविंद सागर झील में डूबे सांडू के मैदान में पहले मेला आयोजित किया जाता था। अब नए शहर बिलासपुर के लुहणू मैदान में मेला होता है। आधुनिकता की चकाचौंध में अब नलवाड़ी मेला अपना पुराना अस्तित्व खो चुका है। कभी लाखों के पशुधन का इस मेले में कारोबार होता था। वहीं अब पूजा करने के लिए भी बैल मंगवाने पड़ते हैं। अब यह मेला रस्मों को अदा करने तक ही रह गया है।
पहले नलवाड़ी मेले में हजारों की संख्या में पशुओं का क्रय-विक्रय होता था। हर परिवार की महिलाएं बैलों को आटे के पेड़े खिलाती थीं। इसे पुण्य माना जाता था। राजाओं के समय ऊंटों में सामान लेकर व्यापारी पंजाब के रोपड़ और नवांशहर से यहां पहुंचते थे। समय के साथ नलवाड़ी मेला बिलासपुर के नए लुहणू मैदान में शिफ्ट हो गया। पहले मेले का आयोजन नगर पालिका करती थी। लेकिन बाद में इसे राज्य स्तरीय मेला घोषित कर दिया गया। नलवाड़ी मेले में छिंज मुख्य आकर्षण थी। नलवाड़ी मेले में रात्रि कार्यक्रम आयोजित किए जाते थे। स्व. गंभरी देवी, रोशनी देवी व संतराम चब्बा आदि को सुनने के लोगों की काफी भीड़ उमड़ती थी।
हिमाचल में मेले का है खास महत्व
बिलासपुर कस्बे में प्रतिवर्ष मार्च और अप्रैल महीने में पशु मेला और नलवाड़ी मेले का आयोजन किया जाता है इस मेले में लोग कुश्ती प्रतियोगिता एवं अन्य मनोरंजक गतिविधियों का आनन्द उठाते हैं। नालागढ़ एवं इसके साथ लगते विभिन्न स्थानों से व्यापारी पशुओं को सजा संवार कर मेले में लाते हैं क्योंकि इस समय उन्हें पशुओं के व्यापार में अच्छा लाभ होने की आशा होती है। बिलासपुर जिले का नलवाड़ी मेला हिमाचल प्रदेश में आयोजित होने वाले अनेक कार्यक्रमों, उत्सवों घटनाओं में अपना एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है।