चम्बा चप्पल को मिला GI Tag, अनधिकृत उपयोग पर होगी तीन साल की जेल

 चम्बा चप्पल (Chamba Chappal) समेत हिमाचल से जीआई टैग (GI Tag) प्राप्त करने वाले उत्पादों में मोजे और दस्ताने, कुल्लू शॉल, कांगड़ा चाय, चम्बा रुमाल, किन्नौर का शॉल, कांगड़ा पेंटिंग, चुल्ली तेल और काला जीरा शामिल हैं।

 

चम्बा। जटिल कढ़ाई वाली चमड़े की 'चम्बा चप्पल' (Chamba Chappal) भौगोलिक संकेतक यानी जीआई (Geographical indication) के तहत रजिस्टर्ड हो गई है। इससे देश में कहीं और इसकी (चम्बा चप्पल) नकल को रोकने में मदद करेगा। सुनहरे और रंगीन कढ़ाई से सजी चम्बा की चप्पल चम्बा शहर के कारीगरों द्वारा तैयार की जाती हैं। जीआई टैग (GI Tag) प्राप्त करने की औपचारिकताएं हिमाचल प्रदेश पेटेंट सूचना केंद्र, हिमाचल प्रदेश विज्ञान, प्रौद्योगिकी और पर्यावरण परिषद (हिमकोस्टे) और अंबेडकर मिशन सोसायटी, चम्बा द्वारा निर्माताओं/उत्पादकों की ओर से संयुक्त रूप से की गईं।


जीआई टैग (GI Tag) मिलने से शिल्पकारों को आर्थिक रूप से लाभ होगा और उन्हें अपने उत्पाद, विशेष रूप से विदेशों में बाजार में मदद करने में काफी मदद मिलेगी। क्योंकि जीआई टैग उत्पाद की प्रामाणिकता और गुणवत्ता सुनिश्चित करती है। जीआई टैग को भौगोलिक संकेतक (जीआई) ऑफ गुड्स एक्ट, 1999 के तहत रजिस्ट्रार, भौगोलिक संकेतक से दिया गया है। इसके साथ, हिमाचल से जीआई टैग प्राप्त करने वाले उत्पादों की कुल संख्या नौ हो गई है। इसमें लाहौल के बुने हुए मोजे और दस्ताने, कुल्लू शॉल, कांगड़ा चाय, चम्बा रुमाल, किन्नौर का शॉल, कांगड़ा पेंटिंग, 'चुल्ली तेल' और 'काला जीरा' शामिल हैं।

 
हिमकोस्टे के सदस्य सचिव सुदेश कुमार मोख्टा कहते है कि चम्बा चप्पल (Chamba Chappal) का जीआई अधिनियम के तहत पंजीकरण इसके अनधिकृत उत्पादन के साथ-सा  इसके नाम के दुरुपयोग को भी रोकेगा। कोई भी निर्माता चम्बा के बाहर बनी 'चप्पल' को 'चम्बा चप्पल' नहीं कह सकता, क्योंकि यह अधिनियम के कानूनी प्रावधानों के तहत होगा। मोख्टा ने कहा कि जीआई अधिनियम के तहत, मूल क्षेत्र के उत्पादकों के अलावा अन्य उत्पादकों द्वारा पंजीकृत जीआई के अनधिकृत उपयोग और उल्लंघन के परिणामस्वरूप अधिकतम तीन साल की कैद और अधिकतम 2 लाख रुपये का जुर्माना हो सकता है।