कांगड़ा के 12वीं पास ओम प्रकाश ने बंजर जमीन पर उगाया सोना, कमा रहे हैं लाखों
पालमपुर। हिन्दी फिल्म उपकार में महेन्द्र कपूर की आवाज में 'मेरे देश की धरती सोने उगले' गाना तो सुना ही होगा। मगर ऐसा ही कुछ करके भी दिखा दिया है हिमाचल प्रदेश के एक गांव के 12वीं पास व्यक्ति ने। 12वीं पास व्यक्ति ने कड़ी मेहनत करके बंजर पड़ी हुई जमीन पर खेती की। चार साल की मेहनत के बाद अब व्यक्ति सालाना लाखों रुपये कमा रहा है। इतना ही नहीं व्यक्ति गांव के अन्य लोगों के लिए प्रेरणास्रोत बना और दूसरों के लिए भी आय का स्रोत पैदा कर दिया। चलिए आपको पूरी कहानी बताते हैं कि उन्होंने इसके लिए किया क्या...
हम बात कर रहे हैं हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले के परागपुर क्षेत्र के बलियाना गांव के ओम प्रकाश की। ओम प्रकाश महज 10वीं तक पढ़े हैं। परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी। कम उम्र से ही वे मजदूरी करने लगे। खेती की जमीन थी, लेकिन ज्यादातर हिस्सा बंजर था। इसलिए फसल न के बराबर होती थी। तीन साल पहले उन्हें यूट्यूब के जरिए लेमन ग्रास की खेती के बारे में पता चला। उन्हें आइडिया पसंद आया और CSIR पालमपुर से बीज लाकर उन्होंने लेमन ग्रास की खेती शुरू कर दी।
42 साल के ओम प्रकाश कहते हैं, मैं अक्सर यूट्यूब पर खेती को लेकर वीडियो देखता रहता था। एक दिन मुझे लेमन ग्रास की खेती के बारे में जानकारी मिली। वीडियो के जरिए मुझे पता चला कि इसकी खेती के लिए किसी खास जमीन की जरूरत नहीं होती है। और लागत भी कम होती है। एक परिचित के जरिए मुझे पता चला कि पालमपुर स्थित इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन बायोरिसोर्स टेक्नोलॉजी (IHBT) में इसकी ट्रेनिंग दी जाती है। इसके बाद साल 2018 में IHBT पालमपुर गया। वहां एक दिन की ट्रेनिंग के बाद 10 हजार प्लांट लेकर अपने गांव चला आया।
ओम प्रकाश ने बताया कि गांव में अपनी बंजर जमीन पर ही इसकी प्लांटिंग कर दी। कुछ ही महीने बाद जंगल हराभरा हो गया। फिर मैंने खेती का दायरा बढ़ा दिया। साल 2019 तक 2 लाख प्लांट मैंने अपने खेतों में लगा दिए। प्लांट तैयार हो जाने के बाद ओम प्रकाश ने IHBT पालमपुर की मदद से लेमन ग्रास का ऑयल निकालना सीखा। इसके बाद उन्होंने नीलकंठ इंडिया नाम से एक सोसाइटी बनाई और अपने गांव और आसपास के किसानों को भी इससे जोड़ा। उन्होंने बताया कि अब 100 से ज्यादा किसान उनके साथ जुड़कर लेमन ग्रास की खेती कर रहे हैं।
ओम प्रकाश बताते हैं कि लेमन ग्रास की खेती तो कर ली लेकिन ऑयल निकालने के लिए एक मशीन की जरूरत थी। हमारे पास पैसे नहीं थे इसलिए IHBT पालमपुर की मदद से एक मशीन की व्यवस्था की। इसके बाद IHBT की मदद से ही ऑयल निकालकर इसकी मार्केटिंग की। IHBT पालमपुर ने ऑयल खरीदने वालों से संपर्क करवाया। लोग ऑयल खरीदने के लिए आने लगे। इस तरह धीरे-धीरे मेरा काम बढ़ने लगा। उन्होंने कहा कि वर्ष 2020 में करीब 6 लाख रुपये का लैमन आयल बेचा है। लोग खुद आकर लेमन ग्रास के ऑयल ले जाते हैं। कई अस्पताल, होटल और बिजनेसमैन कस्टमर्स हैं।
पालमपुर स्थित इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन बायोरिसोर्स टेक्नोलॉजी (IHBT) के सीनियर प्रिंसिपल साइंटिस्ट डॉ. राकेश कुमार बताते हैं कि ओम प्रकाश प्लान लेकर आया था। इसके बाद संस्थान ने उन्हें प्रशिक्षण दिया। उन्होंने कहा कि जुलाई 2017 में शुरू हुए CSIR AROMA MISSION प्रोजेक्ट के तहत किसानों को यह प्रशिक्षण दिया जाता है। उन्होंने कहा कि लेमन ग्रास फार्मिंग की इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन बायोरिसोर्स टेक्नोलॉजी पालमपुर (IHBT), सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिसिनल एरोमेटिक प्लांट लखनऊ (CIMAP) में ट्रेनिंग ली जा सकती है। उन्होंने कहा कि हमारे पास आने वाले किसानों को पूरी जानकारी दी जाती है।
IHBT पालमपुर के निदेशक डॉ. संजय कुमार बताते हैं हिमाचल प्रदेश में अधिकांश क्षेत्रों में जंगली जानवरों के आतंक से लोग खेती करना छोड़ रहे हैं। इसके साथ ही कई क्षेत्रों में जमीन बंजर हो चुकी है। उन्हीं बंजर जमीनों पर किसानों को खेती करने का प्रशिक्षण दिया जाता है। हिमाचल में लगभग एक हजार किसान विभिन्न तरह की खेती कर रहे हैं। संस्थान उन किसानों को खेती करने का प्रशिक्षण भी देता है। इसके साथ ही उजप को प्रसंस्कृत करके बाजार भी मुहैया करवाता है, जिसमें किसान उपज उपज को बेच सकता है। किसानों की आमदनी को बढ़ने के तरीकों के बारे में भी जानकारी दी जाती है।
लेमन ग्रास की डिमांड क्यों है?
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लेमन ग्रास कॉमर्शियल प्लांट के साथ ही मेडिसिनल प्लांट भी है। इसकी पत्तियों और इसके ऑयल का इस्तेमाल दवाइयों के निर्माण में किया जाता है।
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लेमन ग्रास एंटीऑक्सीडेंट, एंटी इन्फ्लेमेटरी और एंटीसेप्टिक होता है और सिर दर्द, अनिद्रा और डिप्रेशन को कम करता है।
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लेमन ग्रास इम्यूनिटी बूस्टर का भी काम करता है। इसलिए मेडिकल फील्ड में इसकी खूब डिमांड है।
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लेमन ग्रास के ऑयल से साबुन, शैम्पू, क्रीम और कई तरह के ब्यूटी प्रोडक्ट बनाए जाते हैं। कई बड़ी कॉर्पोरेट कंपनियां किसानों से सीधे फसल या ऑयल खरीद लेती हैं।
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आजकल लेमन ग्रास की पत्तियों से चाय भी बनाई जा रही है। कोरोना के बाद इसकी मांग बढ़ गई है।
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चूंकि यह खट्टा होता है इसलिए नींबू की जगह खाना बनाने में भी इसका इस्तेमाल किया जा रहा है।