Fourlane in Himachal : हिमाचल में जमीन के नीचे होगा 85 किलोमीटर लंबा फोरलेन, 68 सुरंगें बनेंगी
हिमाचल प्रदेश में यातायात की गति और सुरक्षा को बढ़ाने के लिए, राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) ने राज्य में 85 किलोमीटर लंबे फोरलेन को जमीन के नीचे से गुजरने का महत्वाकांक्षी योजना तैयार की है। इस परियोजना के लिए NHAI ने केंद्र सरकार और पर्यावरण मंत्रालय से भी मंजूरी हासिल कर ली है। सुरंगों की कुल लंबाई 85.110 किलोमीटर होगी। इनके बनने से 12.50 घंटे का समय बचेगा और प्रदेशभर में 126 किलोमीटर की दूरी कम होगी।
यह फोरलेन 68 सुरंगों से युक्त होगा, जिनमें से 50% से अधिक की सुरंगों को विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) पहले ही तैयार की जा चुकी है। एनएचएआई ने पहले ही 11 सुरंगों का निर्माण पूरा कर लिया है, जबकि 27 सुरंगों का निर्माण कार्य पूरे प्रदेश में चल रहा है। 30 सुरंगों के निर्माण के लिए डीपीआर तैयार की जा रही है। यह सुरंग-युक्त फोरलेन न केवल यात्रा के समय में कटौती करेगा, बल्कि भूस्खलन और भारी बर्फबारी जैसी प्राकृतिक आपदाओं से होने वाले नुकसान को भी कम करेगा।
फोरलेन पर सुरंगों के मुख्य लाभ
यात्रा समय में कमी : सुरंगों के निर्माण से प्रदेश के सभी फोरलेन में कुल 126 किलोमीटर की दूरी कम हो जाएगी, जिससे यात्रियों को 13 घंटे तक का कम समय लगेगा।
सुरक्षा में वृद्धि : सुरंगें वाहनों को भूस्खलन, चट्टान गिरने और बर्फबारी जैसी प्राकृतिक आपदाओं से बचाएंगी, जिससे सड़क दुर्घटनाओं का खतरा कम होगा।
पर्यावरण संरक्षण : सुरंगों के निर्माण से जमीन अधिग्रहण और वन विनाश की आवश्यकता कम होगी, जिससे पर्यावरण पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।
हिमाचल में निर्माणाधीन फोरलेन
कीरतपुर-मनाली फोरलेन : इस 41.31 किलोमीटर लंबे खंड में 28 सुरंगें प्रस्तावित हैं, जिनमें से 13 पहले ही बन चुकी हैं।
कालका-शिमला फोरलेन : इस फोरलेन में कैंथलीघाट से परवाणू तक एक सुरंग बन चुकी है। कंडाघाट में एक किलोमीटर लंबी सुरंग का निर्माण चल रहा है। कैंथलीघाट से ढली तक आधा दर्जन सुरंगों का निर्माण भी प्रस्तावित है।
पठानकोट-मंडी फोरलेन : कोटला में इस राष्ट्रीय राजमार्ग पर एक डबल लेन सुरंग का निर्माण किया गया है।
शिमला-मटौर फोरलेन : कोटला के समेला में एक डबल लेन सुरंग तैयार हो रही है।
कीरतपुर-मनाली फोरलेन का हुआ था भारी नुकसान
दरअसल, आपदा के दौरान कीरतपुर-मनाली नेशनल हाईवे पर कुल्लू और मंडी में सबसे ज्यादा नुकसान हुआ था। इसके अलावा पठानकोट-मंडी और पिंजौर-नालागढ़ मार्ग भी आपदा से प्रभावित हुए थे। आपदा के बाद एनएचएआई ने प्रभावित नेशनल हाईवे का मुआयना आईआईटी और एनएचएआई से रिटायर हो चुके इंजीनियरों से करवाया था और उसी दौरान सुरंग बनाने के सुझाव सबसे ज्यादा मिले थे। केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने भी इस आपदा प्रभावित क्षेत्रों में सुंरग निर्माण पर एनएचएआई को विचार करने के निर्देश दिए थे। अब इन सभी के जवाब में एनएचएआई ने फोरलेन के ज्यादातर हिस्से को सुरंगों के माध्यम से गुजारने की तैयारी कर ली है।