काशी विश्वनाथ की तर्ज पर हो Himachali मंदिरों का विकास : महंत राजेंद्र गिर
हमीरपुर । देवभूमि हिमाचल में काशी विश्वनाथ की तर्ज पर मंदिरों (Temples) का विकास होना समय की मांग नहीं बल्कि जरूरत है। जो कि प्रदेश के हर धार्मिक तीर्थ से उठनी जरूरी है। यह बात बाबा बालक नाथ मंदिर ट्रस्ट दियोटसिद्ध (Baba Balak Nath Temple Trust Deotsidh) के महंत श्रीश्रीश्री 1008 राजेंद्र गिर महाराज (Rajender Gir Maharaj) ने जारी प्रेस व्यान में कही। उन्होंने कहा कि समाज में धार्मिक भाव और भावना कायम व स्थापित रखने के लिए हिमाचली (Himachali) प्राचीन परम्पराओं व शैली को ध्यान में रखते हुए मंदिरों (Temples) का विकास होना जरूरी है। क्योंकि अगर देवभूमि के मंदिर (Temple) विकसित होंगे तो समाज का विकास सहज ही संभव है।
महंत राजेंद्र गिर (Mahant Rajender Gir) ने कहा कि समाज में आ रही कुरितीयों व विकरितीयों पर काबू पाने के लिए भी इस तर्ज पर काम होना जरुरी है। उन्होंने कहा कि देवभूमि के मंदिर (Temple) देश और दुनिया में श्रद्धा व आस्था के अटूट प्रतीक हैं। प्रदेश का 80 फीसदी के करीब पर्यटन धार्मिक तीर्थाटन पर ही आधारित व निर्भर है। इस दृष्टि से भी मंदिरों (Temples) का विकास जरुरी हो जाता है।
महंत राजेंद्र गिर (Mahant Rajender Gir) ने कहा कि सरकारी नियंत्रण में चलने वाले बड़े मंदिर (Temple) दशकों पुराने ढर्रे पर चले हैं। जहां प्रशासनिक ताम झाम तो खूब हो रहा है, लेकिन मंदिरों (Temples) की व्यवस्था कुप्रबंधन के आरोपों के घेरे में लगातार दागदार हो रही है। उन्होंने कहा कि अगर इस दिशा में सही कदम उठाए जाएं तो प्रदेश के मंदिर (Temple) आसपास के क्षेत्रों की आर्थिकी को ही आधार नहीं देंगे। बल्कि आसपास के बेरोजगार युवाओं को भी रोजगार के नए अवसर मुहैया करवाएंगे।
महंत राजेंद्र गिर (Mahant Rajender Gir) ने कहा कि वह लंबे अरसे से मंदिरों (Temples) के प्रबंधन को आइएएस (IAS), एचएएस (HAS) या फिर सेवानिवृत आइएएस (IAS), एचएएस (HAS) अधिकारियों के हाथों देने का आग्रह करते आ रहे हैं। लेकिन सरकार का रवैया इस मामले को लेकर अभी तक उदासीन बना हुआ है। उन्होंने कहा कि मंदिरों (Temples) की भव्यता बढऩे से सत्ता व सरकारों की भव्यता भी देश भर में ख्याती प्राप्त करेगी। जो कि सामाजिक ढांचे को नई मजबूती प्रदान करेगी। मंदिरों (Temples) के सुधारीकरण व विस्तृतीकरण के कारण जहां सत्ता को पुण्य प्राप्त होगा। वहीं देवभूमि हिमाचल (Himachal) को देश और दुनिया में ख्याती बढ़ेगी।