हिमाचल में तीन वर्षों में शिक्षकों ने सात छात्राओं के साथ किया यौन शोषण

हिमाचल प्रदेश के शिक्षण संस्थानों में विद्यार्थियों के साथ यौन शोषण किए जाने के मामले सामने आए हैं। तीन वर्षों में शिक्षण संस्थानों के विद्यार्थियों के साथ यौन शोषण के सात मामले आए हैं। इस सभी मामलों में आरोपी शिक्षक ही हैं।
 

शिमला। हिमाचल प्रदेश के शिक्षण संस्थानों में विद्यार्थियों के साथ यौन शोषण किए जाने के मामले सामने आए हैं। तीन वर्षों में शिक्षण संस्थानों के विद्यार्थियों के साथ यौन शोषण के सात मामले आए हैं। इस सभी मामलों में आरोपी शिक्षक ही हैं। यह जानकारी हिमाचल विधानसभा में शिक्षा मंत्री की ओर से दी गई है।
 
सुंदरनगर के विधायक विधायक राकेश जम्वाल ने सवाल पूछा था कि प्रदेश में गत तीन वर्षों में 15 जनवरी तक शिक्षकों द्वारा यौन शोषण के कितन मामले सामने आए, इनसमें से कितने शिक्षकों को बर्खास्त किया गया तथा कितने आरोपों से बरी हुए। इनकी मॉनिटरिंग के लिए सरकार द्वारा क्या पग उठाए जा रहे हैं।


इस सवाल लिखित जवाब में सरकार ने विधानसभा में जानकारी दी कि गत तीन वर्षों में दिनांक 15 जनवरी 2024 तक शिक्षकों द्वारा विद्यार्थियों के साथ यौन शोषण के सात मामले सामने आए हैं। इनमें से एक शिक्षकों को बर्खास्त किया गया तथा कोर्ट के बरी किए जाने के बाद उसे पुनः नियुक्त कर दिया गया।

एक शिक्षक के विरूद्ध सीसीएस (केन्द्रीय सिविल सेवा) सीसीए के अंतर्गत दंडात्मक कार्रवाई अलम में लाई गई तथा उसे पद के प्रारंभिक वेतनमान में स्थापित कर दिया गया। इस मामले में अदालत द्वारा शिक्षक को बरी करने के बाद शिक्षा निदेशालय द्वारा भी शिक्षक को 21-06-2021 के आदेशों के निरस्त करते हुए उनके मामले में पुनर्विचार संबंधी आदेश पारित कर दिए गए, जो वर्तमान में विचारधीन है।

एक शिक्षक के विरुद्ध दर्द की गई एफआईआर

एक अन्य शिक्षक के विरुद्ध आईपीसी की धारा 354-ए और पॉक्सो अधिनियम की धारा 07 के तहत 02-07-2022 को एफआईआर करवाई गई। इसके बाद मामले की जांच की गई, लेकिन विभागीय जांच में आरोप साबित नहीं हुए। फिर भी कर्मचारी को सैन्श्योर की सजा के आदेश किए गए हैं। अभी तीन शिक्षकों के विरुद्ध विभागीय कार्रवाई चल रही है। 

 जागरूकता के लिए उठाए जाते हैं ये कदम


यौन शोषण की घटनाओं को रोकने के लिए सरकार ने खंड, जिला व राज्यस्तर पर समितियां गठित की हैं। सभी शिक्षण संस्थानों में शिकायत के लिए पेटियां लगाई हैं। शिक्षण संस्थानों में पॉक्सो एक्ट की सावधानियों से संबंधित पोस्टर/चार्ट एवं साहित्य को प्रमुख स्थानों/ दीवारों पर लगाया जाता है। पॉक्सो अधिनियम के बारे जागरूकता के लिए पीटीए/एसएमसी की बैठकों में भी चर्चा की जाती है।