हिमाचल प्रदेश में सरकार का बड़ा कदम, लड़कियों की शादी की न्यूनतम उम्र 21 साल
शिमला। हिमाचल प्रदेश सरकार ने एक महत्वपूर्ण निर्णय किया है, जिससे लड़कियों की शादी की न्यूनतम उम्र 21 साल कर दी गई है। इससे पहले लड़कों की शादी की न्यूनतम उम्र 21 और लड़कियों की 18 साल थी। इस निर्णय के माध्यम से सरकार ने सामाजिक परिवर्तन की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है और लड़कियों को अधिक स्वतंत्रता और शिक्षा का मौका देने का प्रयास किया है।
यह निर्णय 12 जनवरी को हुई हिमाचल प्रदेश कैबिनेट की बैठक में लिया गया है। इस प्रस्ताव को केंद्र सरकार को भेजा जाएगा। बता दें कि दिसंबर 2021 में पेश हुआ बाल विवाह निषेध (संशोधन) विधेयक भी साकारात्मक कदम की दिशा में था, जिसे संसद में विचार किया जा रहा है। सुप्रीम कोर्ट ने भी इस मुद्दे पर ध्यान दिया और लड़कियों की शादी की न्यूनतम उम्र को बढ़ाने की मांग को समर्थन दिया है।
इस निर्णय से सामाजिक समानता और नारी सशक्तिकरण की दिशा में एक नई किरण की आशा की जा रही है। यह लड़कियों को शिक्षा और करियर के क्षेत्र में अधिक मौका देने और उन्हें समाज में अधिक सकारात्मक योगदान देने का संकेत है। इसी तरह के सकारात्मक परिवर्तन से हम समृद्धि और सामाजिक न्याय की दिशा में आगे बढ़ सकते हैं।
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  शिक्षा में वृद्धि: न्यूनतम उम्र को बढ़ाने से, लड़कियों को अधिक विद्या और करियर के क्षेत्र में प्रवेश का मौका मिल सकता है। इससे उन्हें अधिक आत्मनिर्भर बनने का अवसर मिलेगा।
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  समाज में सकारात्मक योगदान: जब लड़कियां अधिक शिक्षित होंगी और उन्हें अधिक स्वतंत्रता मिलेगी, तो वे समाज में अधिक सकारात्मक योगदान कर सकेंगी।
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  बेहतर स्वास्थ्य: शादी की न्यूनतम उम्र को बढ़ाने से लड़कियों को अधिक समय मिलेगा अपने शिक्षा और करियर को मजबूत करने में, जिससे उनका मानसिक स्वास्थ्य भी बेहतर रहेगा।
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  बाल विवाह से बचाव: यह नियम बाल विवाह को कम करने में मदद कर सकता है, क्योंकि लड़कियों को अधिक उम्र में विवाह करने का अवसर मिलेगा, जिससे उनकी शिक्षा को पूरा करने का मौका मिलेगा।
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  समाज में जागरूकता: इस नियम से लड़कियों के अधिक उम्र में शादी करने का समर्थन करते हुए, समाज में इस विषय पर जागरूकता बढ़ सकती है और लोगों को बाल विवाह के खिलाफ उत्तरदाताओं के अधिकार की महत्वपूर्णता समझाई जा सकती है।