हिमाचल में अब 5 साल होगा मेयर और डिप्टी मेयर का कार्यकाल, विधानसभा में विधेयक पारित

अब हिमाचल प्रदेश के नगर निगमों में मेयर और डिप्टी मेयर की कुर्सी ढाई साल नहीं, बल्कि पूरे 5 साल के लिए सुरक्षित रहेगी। आज विधानसभा के शीतकालीन सत्र में 'नगर निगम द्वितीय संशोधन विधेयक 2025' को पारित कर दिया गया।

 

धर्मशाला। हिमाचल प्रदेश विधानसभा के शीतकालीन सत्र के सातवें दिन गुरुवार को शहरी विकास की दिशा में एक बड़ा और ऐतिहासिक निर्णय लिया गया। सदन ने 'हिमाचल प्रदेश नगर निगम (द्वितीय संशोधन) विधेयक 2025' को ध्वनिमत से पारित कर दिया है। 

इस नए कानून के तहत अब प्रदेश के नगर निगमों में महापौर (Mayor) और उप-महापौर (Deputy Mayor) का कार्यकाल ढाई वर्ष से बढ़ाकर पूरे पांच वर्ष कर दिया गया है। मंत्री विक्रमादित्य सिंह ने रखा प्रस्ताव सदन में इस विधेयक को लोक निर्माण एवं शहरी विकास मंत्री विक्रमादित्य सिंह ने पेश किया।

उन्होंने हिमाचल प्रदेश नगर निगम अधिनियम, 1994 की धारा 36 में संशोधन का प्रस्ताव रखा। सदन में विधेयक पर चर्चा के दौरान मंत्री ने स्पष्ट किया कि मौजूदा ढाई साल की अवधि किसी भी शहर के सुनियोजित विकास के लिए पर्याप्त नहीं थी।

क्यों पड़ी बदलाव की ज़रूरत ?

सरकार द्वारा विधानसभा में प्रस्तुत विवरण के अनुसार, ढाई वर्ष का समय इतना कम होता है कि जब तक चुने हुए प्रतिनिधि प्रशासनिक कामकाज को समझते हैं और दीर्घकालिक योजनाएं बनाते हैं, उनका कार्यकाल समाप्त होने की कगार पर होता है।

  • विकासात्मक निरंतरता: बार-बार नेतृत्व परिवर्तन से विकास कार्यों की गति प्रभावित होती है।

  • प्रशासनिक स्थिरता: पांच साल का कार्यकाल मिलने से प्रशासनिक निरंतरता बनी रहेगी और मास्टर प्लान को प्रभावी ढंग से लागू किया जा सकेगा।

विपक्ष के वॉकआउट के बीच पारित हुआ बिल

यह महत्वपूर्ण विधेयक विपक्ष की गैरमौजूदगी में पारित हुआ। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) विधायक दल ने प्रश्नकाल के बाद ही सदन से वॉकआउट कर दिया था। ऐसे में सत्ता पक्ष ने विपक्ष की अनुपस्थिति में ध्वनिमत से इस संशोधन को मंजूरी दे दी।

अध्यादेश को मिली कानूनी मान्यता

गौरतलब है कि विधानसभा सत्र न होने के कारण सरकार ने इस व्यवस्था को लागू करने के लिए पहले अध्यादेश का मार्ग चुना था। 28 अक्टूबर 2025 को राज्यपाल की मंजूरी के बाद यह अध्यादेश प्रभावी हुआ था। अब विधानसभा से पारित होने के बाद इसे स्थायी कानून का रूप मिल गया है। इस फैसले से शिमला, धर्मशाला, सोलन, मंडी और पालमपुर नगर निगमों की कार्यप्रणाली में बड़े बदलाव की उम्मीद है।