Himachal : फास्ट फूड की रेहड़ी लगाने को मजबूर नेशनल हॉकी खिलाड़ी नेहा
जर्जर हालत में झुग्गी झोपडी में रह कर घर का खर्च निकालने के लिए कर रही संघर्ष।
हमीरपुर । कहते हैं मजबूरी इनसान से कुछ भी करवा सकती है। यदि भाग्य साथ दे तो रंक को राजा बनने में समय नहीं लगता। यदि किस्मत ही खेल खेल जाए, तो परिस्थितियां बद से बदतर भी हो जाती हैं। हम बात कर रहे हैं ऐसी नेशनल हॉकी खिलाड़ी (National Hockey Player) की जिसके सपनों की उड़ान कभी आसमान छूने को बेताब थी, लेकिन परिवार की मजबूरियों ने आसमान छूने की चाहत रखने वाले वह पंख ही कुतर दिए। हताश, निराश हॉकी खिलाडी नेहा (Hockey Player Neha) ने दुखी होकर हॉकी (Hockey) तक खेलना छोड दिया है तो प्रशासन, राजनेताओं से भी नेहा खासी नाराज है क्योंकि किसी ने भी नेहा (Neha) की गरीबी को दूर करने के लिए हामी नहीं भरी। केन्द्रीय खेल मंत्री अनुराग ठाकुर (Anurag Thakur) से भी नेहा ने मदद की गुहार लगाई है।
आज राष्ट्रीय हॉकी खिलाड़ी (National Hockey Player) अपने परिवार का पेट पालने के लिए फास्ट फूड की रेहड़ी लगाने को मजबूर है। यह हकीकत है उस राष्ट्रीय खेल हॉकी की नेशनल खिलाड़ी नेहा (National Hockey Player Neha) ) की जो अपनी छोटी बहन निकिता के साथ हमीरपुर (Hamirpur) बाजार में फास्ट फूड की रेहड़ी लगा रहीं है। यह नेहा का शौक नहीं बल्कि विवशता है। कॉलेज की पढ़ाई और खेल के करियर को बीच में ही छोड़कर नेहा (Neha) परिवार का पेट पालने के लिए रेहड़ी लगाने को मजबूर हैं। कुछ महीने पहले ही पिता की तबीयत बिगडऩे के बाद वह गंभीर बीमारी से ग्रस्त हो गए। पिता चंद्र सिंह मछली कॉर्नर चलाते थे।
पिता के बीमार होने पर परिवार की पूरी जिम्मेवारी नेहा सिंह और उनकी छोटी बहन पर आ गई। मूलत: मंडी (Mandi) के कोटली का रहने वाला यह परिवार अब हमीरपुर (Hamirpur) बाजार के बीचों बीच एक झुग्गी में रहता है। परिवार के चार अन्य सदस्यों के साथ नेहा (Neha) भी यहीं रहती हैं। यहां शौचालय का भी कोई प्रबंध नहीं है। झुग्गी में नेहा (Neha) बीमार पिता भी रह रहे हैं जिन्हें डाक्टर ने स्वच्छ वातावरण में रहने की सलाह दी है। झुग्गी में पांच सदस्यों का परिवार है, तो वहीं पिछली तरफ बने बाड़े में एक बकरी और मुर्गी रखी हैं। नेहा के पिता पिछले कुछ समय से बीमार हैं।
प्रदेश की तरफ से खेले दो नेशनल मैच
नेहा स्कूली पढ़ाई के दौरान ही साई हॉस्टल धर्मशाला (Dharamshala) के लिए चयनित हो गई। स्पोर्ट्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया (India) के इस हॉस्टल में रहते हुए हैं स्कूल के दौरान ही राष्ट्रीय स्तर की स्पर्धा में नेहा ने सिल्वर मेडल भी अपने नाम किया। उन्होंने हिमाचल (Himachal) की टीम की तरफ से कुल दो नेशनल हॉकी (National Hockey) मैच भी खेले हैं। इसके अलावा पंजाब यूनिवर्सिटी से वह वेटलिफ्टिंग में भी एक नेशनल (National ) लगा चुकी हैं।
अब महज पैसे के लिए मैच खेलती है नेहा
परिवार को यह उम्मीद थी कि बेटी नेहा राष्ट्रीय खिलाड़ी (National Player) है, तो उसे नौकरी मिल ही जाएगी। न तो सरकारी नौकरी मिली और न ही अब नेहा खेलने के बारे में सोच रही हैं। इतना जरूर है कि जब कभी किसी टीम से खेलने के लिए पैसे मिल जाते हैं तो वह मैच में हिस्सा लेने के लिए तैयार हो जाती हैं। नेहा का कहना है कि एक मैच खेलने के उन्हें 1500 रुपए, खाने-पीने और रहने का खर्च मिल जाता है। मैच खेलने से मिलने वाले पैसे को भी नेहा (Neha) पिता के इलाज और परिवार के पालन पोषण पर ही खर्च करती हैं। नेहा (Neha) ने कहा कि अब खेल में करियर की उम्मीद नहीं है। अब सिर्फ परिवार के गुजारे के लिए वह मैच खेल लेती हैं ताकि कुछ पैसे मिल जाएं।
सरकार ने घर बनाने को दी जमीन
कुछ समय पहले ही भूमिहीन होने पर उन्हें सरकार की तरफ से हमीरपुर (Hamirpur) नगर परिषद के ही वार्ड नंबर 10 के समीप चार मरले जमीन आवंटित की गई थी। नेहा की मां निर्मला देवी (Nirmla Devi) कहती है कि सरकार की तरफ से उन्हें जमीन आवंटित की गई है। अधिकारियों का तो हमें पूरा सहयोग मिल रहा है लेकिन बेटी को नौकरी न मिलने से उन पर विपदा दोगुना हो गई है। पति के बीमार होने के बाद बेटियों ने किसी तरह से परिवार को संभाला है। इतना कहते-कहते नेहा (Neha) की मां की आंखों में आंसू भी आ गए। रुंधे हुए गले से उन्होंने सरकार (Govt) से बेटी के लिए नौकरी की मांग की है।
उधर नगर परिषद हमीरपुर (Hamirpur) के कार्यकारी अधिकारी किशोरी लाल ठाकुर (Kishori Lal Thakur) ने कहा कि यदि परिवार प्रधानमंत्री (PM) आवास योजना के तहत लाभ के सभी मापदंड पूरा करता होगा, तो निश्चित तौर पर इस योजना का लाभ मिलेगा। मामले की पूरी पड़ताल करने के बाद ही कुछ कहा जा सकता है।
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