बड़सर विस क्षेत्र के मतदाताओं को ये चुनाव कोई इम्तिहान नहीं, बल्कि समझदारी की पहचान होगा :  सुभाष  ढटवालिया 

काँग्रेस प्रत्याशी सुभाष  ढटवालिया  ने कहा कि  यह चुनाव कोई इम्तिहान नहीं है इस चुनाव में कोई सरकार नहीं बन रही यह चुनाव अच्छाई और बुराई का है।  यह चुनाव समझदारी से होने वाले मतदान का है। लखनपाल जितने में बिके ऊतने दिन तो काम भी नहीं किया प्रदेश से रहे बाहर, दल बदलने के बाद काँग्रेस साथ गई नहीं, भाजपा खुलकर आई नहीं। 
 

हमीरपुर । बड़सर विधानसभा क्षेत्र से काँग्रेस प्रत्याशी सुभाष चन्द ढटवालिया  ने  क्षेत्र के विभिन्न स्थानों पर जनसंपर्क सादा। इस मौके पर उन्होंने क्षेत्र के कार्यकर्त्तों से फीडबैक भी ली। चुनाव तिथि  से पहले सुभाष में नई ऊर्जा का संचार लग रहा था जैसे की वह पहले ही दिन शुरू कर रहे हैं। उन्होंने इस दौरान कार्यकर्त्तों को संबोधित करते हुए कहा कि यह चुनाव कोई इम्तिहान नहीं है इस चुनाव में कोई सरकार नहीं बन रही यह चुनाव अच्छाई और बुराई का है।  यह चुनाव समझदारी से होने वाले मतदान का है।

उन्होंने कहा कि जिस प्रकार से चंद लोगों ने प्रदेश की जनता की भावनाओं से खिलवाड़ करते हुए राजनीति की मंडी में खुद की बोली लगाई उससे पता चलता है कि उनकी क्या दुर्दशा रही होगी।  उन्होंने कहा कि यह लोग प्रदेश की हित को नहीं बल्कि स्वार्थ सिद्ध करने में लगे रहते हैं। वहीं उन्होंने कहा कि जितने में यह पूर्व विधायक बिके हैं और जितने दिन में बिके हैं उतने दिन तो इन्होंने जनता का काम भी नहीं किया। डर-डर के बहाने बनाते रहे और लोगों को गुमराह करते रहे। जबकि मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने स्वयं कहा कितना काम उन्होंने बड़सर विधानसभा का किया है।

उन्होंने कहा कि यह लोग लालची किस्म के लोग हैं जहाँ लालच दिखा वहाँ बिक गए। उन्होंने बताया कि इन्होंने जो सरकार को गिराने का षड़यंत्र रचा था उसमें बुरी तरह फेल हुए इसी बजह से अब ये जनता में विस्बास खो चुके हैं। भाजपा की बिझड़ी की रैली का भी खासा प्रभाव क्षेत्र की जनता पर नहीं दिखा। बड़सर की जनता ने लखनपाल का क्षेत्र में विकास नहीं करवाया, क्षेत्र से गद्दारी, बिकाऊ पन, बड़सर में आज तक घर तक नहीं बनाना औऱ क्षेत्र से बाहर प्रोपर्टियां  बनाना , हमीरपुर से संबंधित मुख्यमंत्री का विरोध करना, बड़सर के भाजपा कार्यकर्ता भी दलबदल कर आये लखनपाल को नहीं पचा पा रहे हैं। काँग्रेस उनके साथ गई नहीं औऱ भाजपा खुलकर साथ आई नहीं। बहुत से कार्यकर्त्ता अभी भी इस घुटन को दबाए हुए हैं कि ये बो ही लखनपाल है जो बिना तर्क के बड़सर काँग्रेस छोड़कर हमारे पास आया है, क्या हमारा होगा।