Hamirpur : भेड़पालकों ने पहाड़ों से मैदानों का किया रुख  

सर्दियों में पहाड़ों पर अत्यधिक बर्फ गिरने के कारण भेड़ पालक  (Sheep Herder) निचले क्षेत्रों के प्रवास पर निकलते हैं तब जाकर अपनी भेड़ बकरियों को सुरक्षित रख पाते हैं।
 

हमीरपुर ।  पहाड़ों पर बर्फबारी शुरू होते ही  भेड़पालकों (Sheep Herders) ने मैदानी इलाकों का रुख कर लिया है। ऊपरी हिमाचल (Himachal) से भेड़ और बकरी पालक जिला हमीरपुर (Hamirpur) में पहुुंच गए हैं।  भेड़ पालक (Sheep Herder)  बहादुर सिंह, रमेश चंद तथा मदन लाल ने कहा कि छह से सात माह तक वे भेड़- बकरियों समेत घर से बाहर रहते हैं। इस दौरान कठिन जीवन गुजरना पड़ता है। कई बार तो कई साथी जंगलों के बीच में ही बीमारी के कारण या फिर जंगली जानवरों के आक्रमण के कारण मर जात हैं।

सर्दियों में पहाड़ों पर अत्यधिक बर्फ गिरने के कारण भेड़ पालक  (Sheep Herder) निचले क्षेत्रों के प्रवास पर निकलते हैं तब जाकर अपनी भेड़ बकरियों को सुरक्षित रख पाते हैं। उन्होंने कहा कि करीब दो माह पहले मनाली (Manali) के प्रवास पर थे फिर ज्यादा बर्फ गिरने की वजह से एक माह तक मंडी (Mandi) में रुके रहे। अब जैसे- जैसे ठंड बढ़ने लगी है तो ज्वाला जी (Jwala ji) के क्षेत्र में अपना प्रवास काल पूरा किया जाएगा।

उसके बाद फिर अपने गांव बंदला पालमपुर (Bandla Palampur) की ओर करीबन छह माह के बाद वापस जाएंगे। कई बार तो दूरदराज के क्षेत्रों के प्रवास पर निकलने की वजह से घर से किसी से संपर्क नहीं हो पाता। उन्होंने कहा कि पहले भेड़-बकरी पालकों के दो बच्चों को 1200 रुपये प्रति बच्चे के हिसाब से अनुदान दिया जाता था लेकिन अब वह भी बंद कर दिया है।

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इससे समुदाय में गहरा रोष है। उन्होंने सरकार से मांग की इस अनुदान को दोबारा शुरू किया जाए तथा जो भेड़ पालक (Sheep Herder) लोग घर से बाहर प्रवास पर निकलते हैं उनका पांच लाख रुपये तक का सुरक्षा बीमा (Security Insurance) भी किया जाए।