जमीन निगल गई बिझड़ी की उम्मीदें, सीएचसी के लिए जमीन न मिलने से स्वीकृत बजट ट्रांसफर  

ढटवाल क्षेत्र के नेताओं ने भी सीएचसी भवन के निर्माण में नहीं दिखाई दिलचस्पी  ,  पूर्व कांग्रेस सरकार में पीएचसी बिझड़ी को मिला था सीएचसी का दर्जा  

 

हमीरपुर ।   दशकों का दंश अगर भुला भी दिया जाए तो सात साल पहले जो उम्मीद बंधी थी, वह भी अब दरकती जमीन में दफन हो गया। मामला बड़सर विधानसभा क्षेत्र के सबसे बड़े कस्बे बिझड़ी में सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) का है। जमीन न मिल पाने के कारण सीएचसी के लिए आया 1.30 करोड़ रुपये का फंड ट्रांसफर हो गया है। इससे बिझड़ी से सटी 26 पंचायतों के हजारों लोगों की उम्मीदों को तगड़ा झटका लगा है। बेहतर स्वास्थ्य सेवाओं की उनकी सात साल की आस भी टूट गई।  

वताते चलें कि जुलाई 2017 को तत्कालीन मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने जनसभा के मंच से ढटवाल क्षेत्र को बड़ी सौगात दी थी। बिझड़ी पीएचसी को सीएचसी का दर्जा दिया गया था। 10 बैड का बिझड़ी पीएचसी 30 बैड में परिवर्तित होने की मांग पूरी होने से ढटवाल में हर्ष की लहर दौड़ गई थी। लेकिन उनकी उम्मीदें समय और अनदेखी के फेर में ऐसी उलझी कि अब मृत प्राय पड़ी हैं। ताजा, घटनाक्रम ने उनकी आशाओँ को किसी ईलाज के लायक भी नहीं छोड़ा है। इसके दोषी सब हैं नेता, अधिकारी और खुद को इलाके का खैर-ख्वाह साबित करने वाला हर वो शख्स, जो सात साल तक जनता के बीच तो जाते रहे लेकिन अस्पताल के नाम पर सिर्फ आश्वासन की झुनझुना थमा कर पीछा छुड़ा लेते। इस अनदेखी और राजनीतिक उदासीनता ने लोगों को बड़ी निराशा दी है।
सीएचसी बिझड़ी के पुराने भवन के साथ ही लगभग पांच करोड़ की लागत से नया भवन बनाने के लिए साथ लगती सरकारी भूमि का चयन किया गया था, लेकिन इस सरकारी भूमि पर हरे पेड़ होने की बजह से स्वीकृति नहीं मिल पाई। इससे अस्पताल निर्माण के लिए पहले चरण में आया एक करोड़ 30 लाख रुपये का बजट किसी दूसरे अस्पताल के निर्माण के लिए ट्रांसफर हो गया है। इससे बिझड़ी में 30 बैड का अस्पताल बनने की उम्मीदें भी धूमिल हो गई हैं। 
अल्ट्रासाउंड व एक्सरे की आस टूटी
 
पीएचसी बिझड़ी को पूर्व कांग्रेस सरकार में सीएचसी का दर्जा दिए जाने के बाद यहां पांच चिकित्सकों की तैनाती की गई है। साथ ही 24 घंटे स्वास्थ्य सुविधाएं भी उपलब्ध हैं। नया भवन बनने के बाद सीएचसी बिझड़ी में अल्ट्रासाउंड व एक्स रे सहित सभी प्रकार के मेडिकल टेस्ट की सुविधा भी क्षेत्र के लोगों को मिलनी थी। क्योंकि पुराना भवन इसके लिए पर्याप्त नहीं है। नये भवन के निर्माण का बजट ट्रांसफर होने से बेहतर स्वास्थ्य सुविधाओं की आस भी टूट गई है।
  
                      
चीड़ के पेड़ और दरकती जमीन बनी रोड़ा
 
सीएचसी बिझड़ी के पुराने भवन के साथ लगती भूमि पर नए भवन का निर्माण तय हुआ था। लेकिन इस भूमि पर एक तो चीड़ के दो दर्जन हरे पेड़ हैं और दूसरा यहां की दरकती भूमि पर भवन निर्माण होना नामुमकिन है। स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों की शिमला से आई टीम ने भी उक्त भूमि का निरीक्षण किया था। उनकी रिपोर्ट पर सीएचसी बिझड़ी के लिए प्रस्तावित नए भवन की फाइल उच्चाधिकारियों ने रिजेक्ट कर दी है। सीएचसी भवन के लिए हरे पेड़ों को काटने की अनुमति न मिलना व स्लाइडिंग ज़ोन होने की बजह से सात साल से भवन निर्माण अटका रहा। अब निर्माण की अंतिम उम्मीद बजट भी ट्रांसफर हो गया। 
नेताओं की नीरसता ने बढ़ाया ढटवाल का दर्द
 
सीएचसी की घोषणा के बाद लगभग तीन साल तक कांग्रेस की सरकार रही। उसके बाद भाजपा को सत्ता संभाले भी चार साल हो रहे हैं। मगर इन सात सालों में दोनों ही राजनीतिक दल ढटवाल को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं दिलाने में नाकाम साबित हुए। किसी भी नेता ने सीएचसी भवन निर्माण की अड़चनों को न जानना चाहा और न ही वैकल्पिक व्यवस्था को आगे बढ़ाने की कोशिश की। नतीजा, जनता को भुगतना पड़ रहा है।

वहीं ग्राम पंचायत बिझड़ी प्रधान संजय शर्मा ने कहा कि  बिझड़ी कस्बा ढटवाल क्षेत्र का केंद्र बिंदु है। यहां बड़े अस्पताल का निर्माण होना लाजिमी है। सीएचसी भवन निर्माण के लिए भूमि चयन में काफी प्रयास किए गए, लेकिन विभागीय पेचीदगियों के कारण भूमि चयन प्राक्रिया सिरे नहीं चढ़ पाई। किसी और जगह पर इसका निर्माण होना क्षेत्र के लोगों को रास नहीं आ रहा है। प्रयास किया जाएगा कि शीघ्र भूमि का चयन कर लिया जाए। सीएचसी के नए भवन के निर्माण के लिए जो बजट दुर्भाग्यवश ट्रांसफर हुआ है, उसे दोबारा मंगवाने का भी प्रयास किया जाएगा। 
उधर  बीएमओ  बड़सर हेतराम कालिया ने वताया कि बिझड़ी सीएचसी के नए भवन निर्माण के लिए प्रथम चरण में आया एक करोड़ 30 लाख रुपये का बजट किसी दूसरी जगह के लिए ट्रांसफर हो गया है। सीएचसी भवन के निर्माण के लिए हरे पेड़ों को काटने की अनुमति न मिलना व स्लाइडिंग जोन होने की वजह से भवन निर्माण में समस्या आ रही है। किसी दूसरी जगह अभी तक भूमि का चयन नहीं हो पाया है।