Breaking News : चुनावी दंगल से हटने पर धूमल समर्थकों में सन्नाटा, पूर्व मुख्यमंत्री  के चुनाव न लड़ने से कई टिकट दावेदारों में हड़कंप

पूर्व मुख्यमंत्री धूमल को कर ही दिया हिमाचल की राजनीति से बाहर ।  दिल्ली में इस संदर्भ में फैसला लिया गया कि प्रेम कुमार धूमल विधानसभा चुनाव नहीं लड़ेंगे। हालांकि अभी इस बात का खुलासा नहीं हो पाया है कि इस तरह का निर्णय किन कारणो से लिया गया।   
 

हमीरपुर ।  पूर्व  मुख्यमंत्री   प्रेम कुमार धूमल इस बार विधानसभा चुनाव नहीं लड़ेंगे, लेकिन इस वजह से उनके समर्थकों में सन्नाटा पसर गया है। सुजानपुर और हमीरपुर से चुनाव लड़ने की अटकलों के बीच धूमल 2 दिन पहले जब चुनाव समिति की बैठक में हिस्सा लेने के लिए दिल्ली रवाना हुए थे तो यही संभावना जताई जा रही थी कि वे हमीरपुर या सुजानपुर विधानसभा क्षेत्रों में से एक जगह के उम्मीदवार होंगे, लेकिन बीते रोज चुनाव समिति की बैठक में उम्मीदवारों के चयन को लेकर जो चर्चा हुई है, उसमें ऐसी क्या वजह बनी कि धूमल ने चुनाव नहीं लड़ने की ऐलान हुआ, यह अभी कोई नहीं जानता।


वहीं अभी इस बात को लेकर चर्चा शुरू हो गई है कि पार्टी के चुनाव प्रचार में धूमल का योगदान क्या रहेगा? सत्ता में वापसी को लेकर प्रदेश में धूमल की मौजूदगी को नजरअंदाज तो नहीं किया जा सकता है, लेकिन अब इस घटनाक्रम के बाद कई तरह की अटकलों का दौर भी शुरू हो गया है। क्या उम्र का तकाजा पार्टी प्रत्याशी बनाने में बाधा आया है या फिर कोई और वजह रही, जिसका खुलासा अभी होना बाकी है, लेकिन धूमल समर्थक बेहद मायूस हो गए हैं, क्योंकि काफी समय से सुजानपुर विधानसभा क्षेत्र में उनके समर्थक राजनीतिक गतिविधियां जोरदार तरीके से करने में जुटे हुए थे।



वहीं हमीरपुर में पार्टी के मौजूदा विधायक नरेंद्र ठाकुर के मामले को लेकर अभी असमंजस की स्थिति बनी हुई है। यहां से नरेंद्र को टिकट देने पर अभी सहमति नहीं हुई है। मामला प्रेम कुमार धूमल पर ही छोड़ा गया है। बता दें कि सबसे अहम टिकट को लेकर भोरंज में विवाद है। मौजूदा विधायक कमलेश कुमारी का टिकट कट सकता है और पूर्व विधायक डॉ. अनिल धीमान पर सहमति बनी है। बैठक में प्रेम कुमार धूमल ने जिताऊ उम्मीदवार के रूप में डॉ. अनिल धीमान का ही नाम लिया है।

उधर, बड़सर विधानसभा क्षेत्र में 3 बार विधायक रहे और लगातार 2 चुनाव हार चुके जिला अध्यक्ष बलदेव शर्मा का टिकट कट गया है। उनकी जगह कई और दावेदार भी थे, मगर पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल ने दिवंगत राकेश बबली के परिवार में उनके भाई संजीव शर्मा को प्रत्याशी बनाने का पक्ष रखा है। अब देखना यह है कि संसदीय बोर्ड की बैठक में मुहर किस पर लगती है। क्योंकि यहां पर मुख्यमंत्री के खासमखास और पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता विनोद ठाकुर भी टिकट के प्रमुख दावेदारों में माने जा रहे हैं।

1998 में पहली बार CM बने धूमल


धूमल ने पहली मर्तबा 1985 में संसद का चुनाव लड़ा, लेकिन तब वे नारायण चंद पराशर से लगातार 2 बार हार गए थे। इसके बाद वे लगातार सांसद बनते रहे। 1998 में वे जब पहली बार विधायक बने तो उनके नेतृत्व में प्रदेश में भाजपा की सरकार बनी और पूरे 5 साल चली। उसके बाद भी दूसरी बार भी 2007 में विधायक बने, भाजपा की सरकार बनी और प्रेम कुमार धूमल मुख्यमंत्री बनाए गए। 2017 के चुनाव में भी पार्टी ने उन्हें मुख्यमंत्री पद के लिए उम्मीदवार घोषित किया, लेकिन टिकट हमीरपुर से न देकर सुजानपुर से दिया और वे राजेंद्र राणा से चुनाव हार गए।