जल भंडारण टैंक में मृत मिला बछड़ा, भरमौर में मचा हड़कंप, विभाग पर लापरवाही के आरोप
भरमौर। उपमंडल भरमौर के नड्डा स्थित जल भंडारण टैंक में एक गंभीर लापरवाही का मामला सामने आया है। सोमवार को इस टैंक में एक बछड़ा मृत अवस्था में पाया गया, जिससे पूरे क्षेत्र में सनसनी फैल गई। बछड़ा टैंक में कितने दिनों से गिरा हुआ था, इसका सही अंदाजा नहीं लग पाया है, लेकिन स्थानीय लोगों का मानना है कि वह कई दिनों से वहां पड़ा हो सकता है। इस घटना की वीडियो किसी व्यक्ति ने बनाकर सोशल मीडिया पर वायरल कर दी, जिससे मामला और अधिक गंभीर हो गया।
यह घटना ऐसे समय में हुई है जब हाल ही में हिंदू धर्म के पवित्र नवरात्र और करवाचौथ जैसे धार्मिक व्रत और त्योहार संपन्न हुए हैं। ऐसे में जल स्रोत में बछड़े की मौत न केवल स्वास्थ्य की दृष्टि से गंभीर है, बल्कि धार्मिक भावनाओं को भी ठेस पहुंचाने वाली है। हिंदू धर्म में गाय और बछड़े को पवित्र माना जाता है, और जल भंडारण टैंक में बछड़े की मृत्यु का यह मामला धार्मिक दृष्टिकोण से भी निंदनीय है।
विभाग को जैसे ही इस घटना की जानकारी मिली, उनके कर्मी तत्काल मौके पर पहुंचे और टैंक से मृत बछड़े को बाहर निकाला। इसके बाद टैंक की पूरी तरह से सफाई करवाई गई और नए सिरे से पानी भरकर आपूर्ति बहाल की गई। हालांकि, इस दौरान पानी की आपूर्ति बंद रहने से स्थानीय लोगों को भारी असुविधा का सामना करना पड़ा।
कई क्षेत्रों में होती है पानी की आपूर्ति
यह जल भंडारण टैंक संचूई पंचायत के मलकौता गांव के पास स्थित है और यहां से तहसील मुख्यालय के साथ-साथ संचूई, भरमौर, सेरी, घघरौथा, ददमा और गौथडू जैसे कई गांवों को पानी की आपूर्ति की जाती है। इस घटना से इन सभी क्षेत्रों के लोग प्रभावित हुए और पानी की गुणवत्ता को लेकर गहरी चिंता व्यक्त की गई।
घटना के बाद लोगों में भड़का आक्रोश
क्षेत्र के प्रबुद्धजनों अशोक कुमार, नरेश कुमार, प्रकाश चंद, विजय कुमार सहित अन्य लोगों का कहना है कि जल शक्ति विभाग की लापरवाही कई बार देखी गई है। टैंक के चारों ओर कोई तारबंदी या सुरक्षा जाल नहीं है, जिससे पशु आसानी से टैंक में गिर सकते हैं। पूर्व में भी इस टैंक में जानवरों के डूबने की घटनाएं सामने आ चुकी हैं। कुछ साल पहले पेयजल में मवेशियों की आंतड़ियों के मिलने का भी मामला सामने आया था, जिससे पानी की गुणवत्ता पर गंभीर सवाल उठे थे।
लोगों ने इस बार विभाग से मांग की है कि टैंक की सुरक्षा के लिए चौकीदार की तैनाती की जाए, ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोका जा सके और पेयजल की गुणवत्ता सुनिश्चित की जा सके। उधर, जल शक्ति विभाग के कनिष्ठ अभियंता मंगल सिंह ने बताया कि मृत बछड़े को टैंक से निकालने के बाद उसकी सफाई की गई है। वहीं, सहायक अभियंता विवेक चंदेल ने कहा कि बछड़े के शव को निकाल कर टैंक की सफाई के साथ सुपर क्लोरीनीकरण किया जा रहा है।
इस घटना के संभावित नुकसान
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स्वास्थ्य पर खतरा: टैंक में मृत बछड़ा गिरने से पानी में हानिकारक बैक्टीरिया और वायरस फैल सकते हैं, जिससे जलजनित बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। दूषित पानी पीने से पेट से जुड़ी बीमारियां और संक्रमण हो सकते हैं।
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धार्मिक आक्रोश: हिंदू धर्म में गाय और बछड़े को पवित्र माना जाता है, और उनके प्रति संवेदनशीलता का भाव होता है। नवरात्र और करवाचौथ जैसे पवित्र त्योहारों के बाद इस तरह की घटना से धार्मिक भावनाओं को गहरा आघात पहुंच सकता है।
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पानी की गुणवत्ता पर अविश्वास: ऐसी घटनाओं से स्थानीय लोगों का सरकारी जल आपूर्ति प्रणाली पर से भरोसा उठ सकता है। दूषित पानी के डर से लोग वैकल्पिक जल स्रोतों की तलाश करेंगे, जिससे असुविधा और खर्च बढ़ सकता है।
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स्थानीय प्रशासन की साख पर असर: इस तरह की लापरवाही से न केवल जल शक्ति विभाग बल्कि पूरे प्रशासन की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े होते हैं, जिससे उनकी साख को नुकसान पहुंच सकता है।
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आर्थिक नुकसान: सफाई और मरम्मत कार्यों के अतिरिक्त खर्च के साथ-साथ दूषित पानी से लोगों के स्वास्थ्य पर असर पड़ सकता है, जिससे उनका इलाज पर खर्च बढ़ सकता है।
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पर्यावरणीय प्रभाव: जल स्रोतों में जानवरों के शव मिलने से पर्यावरण प्रदूषण भी होता है, जिससे स्थानीय पारिस्थितिकी तंत्र प्रभावित हो सकता है।