Artificial Intelligence : हिमाचल में बनेगा एआई मंत्रालय, जानें कितनी सुधरेंगी स्वास्थ्य सेवाएं

मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह ने कहा कि आर्टिफिशियल इटेंलिजेंस मंत्रालय (Artificial Intelligence Department) का सृजन करने पर भी विचार किया जा रहा है। देशभर में इस तरह की महत्वकांक्षी पहल पहली बार होगी। 
 

शिमला। मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने कहा कि हिमाचल प्रदेश में स्वास्थ्य सेवाओं को सुदृढ़ करने के लिए आधुनिक प्रौद्योगिकी और आर्टिफिशियल इटेंलिजेंस (Artificial Intelligence) का उपयोग सुनिश्चित किया जाएगा। प्रदेश सरकार विभिन्न क्षेत्रों में कृत्रिम मेधा का उपयोग सुनिश्चित करने के लिए वृहद स्तर पर कार्य कर रही है। 

इसके लिए आर्टिफिशियल इटेंलिजेंस मंत्रालय (Artificial Intelligence Department) का सृजन करने पर भी विचार किया जा रहा है। सोमवार को शिमला में स्वास्थ्य विभाग की उच्च स्तरीय बैठक की अध्यक्षता करते हुए उन्होंने कहा कि देशभर में इस तरह की महत्वकांक्षी पहल पहली बार होगी। 


ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि प्रदेश सरकार हमीरपुर में राष्ट्रीय कैंसर केन्द्र स्थापित करने जा रही है। इसके लिए सभी प्रक्रियाएं चरणबद्ध तरीके से पूर्ण की जा रही हैं। इस केन्द्र में मुख्य तौर पर अस्पताल, पालीऐटिव केयर, सेंटर फॉर प्रिवेन्टिव ऑन्कोलोजी और सेंटर फॉर मोलीक्यूलर ऑन्कोलोजी विभाग होंगे।


उन्होंने कहा कि इस केन्द्र में हाई-एंड प्रौद्योगिकी का उपयोग सुनिश्चित किया जाएगा और विश्व स्तरीय डायग्नोस्टिक लैब स्थापित की जाएगी। इस केंद्र में मोलीक्यूलर ऑन्कोलोजी सहित अनेक नवीन प्रौद्योगिकियों का इस्तेमाल कर मरीजों को श्रेष्ठतम स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध करवाई जाएंगी। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार द्वारा वर्तमान में राज्य में कार्यशील कैंसर केयर यूनिट को भी सुदृढ़ किया जाएगा।


हिमाचल में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के फायदे

अगर हिमाचल में स्वास्थ्य सेवाएं में एआई यानी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस को इस्तेमाल किया जाता है तो योग्य पेशेवरों और योग्य डॉक्टरों, नर्सों, टेक्नीशियन और बुनियादी ढांचे जैसी सेवाओं की कमी को दूर किया जा सकता है। इसके साथ ही इससे स्वास्थ्य सेवा में गैर-समान पहुंच कम हो जाएगी। चूंकि शारीरिक पहुंच निवारक और उपचारात्मक स्वास्थ्य सेवाओं के लिए एक प्रमुख अवरोधक है, साथ ही साथ ग्रामीण और शहरी भारत के बीच असमानता भी है, इसलिए यह बहुत कम हो जाएगा। 


गरीब लोगों की स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंच

स्वास्थ्य सेवाओं की कीमत इतनी ज़्यादा है कि इसकी सबसे बड़ी मार गरीब और लाचार लोगों को झेलनी पड़ती है। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के आने से स्वास्थ्य सेवा सस्ती हो सकती हैं। स्वास्थ्य सेवाओं के प्रति जागरूकता और पहुंच में अत्यधिक वृद्धि होगी। इससे प्रदेश से लोगों क स्वास्थ्य सुविधाएं हासिल करने में आसानी होगी।