Himachal : बड़सर में एक  एक शिक्षक के सरहारे 50 प्राथमिक स्कूल, बच्चों की संख्या अधिक 

अभिभावकों ने चेताया : सरकार जल्द भर्ती करें शिक्षक, नहीं तो आगामी विस चुनावों का होगा वहिष्कार ।    नलवाड और बुठान  स्कूल में लंबे अरसे से स्थाई शिक्षक की नहीं हो पाई नियुक्ति  । 
 

हमीरपुर ।   हिमाचल प्रदेश के सबसे शिक्षित जिला हमीरपुर के हजारों नौनिहालों का भविष्य अंधकार में लटक गया है। पहले ही कोरोना महामारी के चलते सूबे के स्कूल तकरीबन दो वर्षों बाद खुल पाए हैं। वहीं स्कूलों में नौनिहालों के पहुंचने के बाद अब शिक्षकों का टोटा नैनिहालों के भविष्य को निगल रहा है। जिला भर में कुछ एक स्कूल ऐसे भी हैं, जिन्हें डेपुटेशन के सहारे चलाया जा रहा है। 


बताते चलें कि उपमंडल बड़सर के प्राथमिक स्कूलों की बात करें, तो इस समय सूबे के 50 के करीब स्कूल ऐसे है। जिनमें एक-एक अध्यापक पर पांच-पांच कक्षाओं का जिम्मा है। इनमें से दो स्कूल नलवाड व बुठान तो ऐसे है, जिनमें लम्बे अरसे से एक भी शिक्षक की स्थाई नियुक्ति नहीं हो पाई है। इन स्कूलों को बैसाखियों के सहारे डेपुटेशन पर शिक्षक भेजकर चलाया जा रहा है। हैरत की बात यह है कि एक तरफ  जहां सरकार शिक्षा के क्षेत्र को ऊंचाइयों तक पहुंचाने की बड़े बड़े अराग आलाप रही है,  लेकिन धरातल कुछ और ही ब्यान कर रहा है। इससे साफ प्रतीत होता है कि वर्तमान सरकार की शिक्षा क्षेत्र के लिए गए फैसले धरातल पर नहीं फाइलों तक ही सिमट कर रह गए है।

नियमों के अनुसार किसी भी स्कूल में एक कक्षा के लिए एक शिक्षक होना जरूरी होता है। इसके बाबजूद स्कूलों की वर्तमान में दशा इस कदर बिगड़ चुकी है कि कुछ एक स्कूलों को छोडक़र ऐसे भी स्कूल हैं, जिनमें एक कक्षा में एक शिक्षक होना तो दूर की बात, पांच पांच कक्षाओं को एक ही अध्यापक पढ़ा रहा है। ऐसे में नौनिहाल शिक्षा के क्षेत्र में कितनी ऊंचाइयां छु सकते है। इसका अंदाजा स्कूलों में चल रही शिक्षकों की कमी से ही साफ देखने को मिल सकता है। वैसे भी कोरोना काल में ऑनलाइन पढ़ाई होने के चलते बच्चों का शिक्षा में स्तर काफी गिर चुका है। ऐसे में एक शिक्षक द्वारा पांच-पांच कक्षाओं को पढाने से कुछ ही दिनों में बच्चों के परीक्षा में कैसा परिणाम आएगा, यह बात अविभावकों के लिए चिंता का विषय बनी हुई है।

ऐसा ही उदहारण क्षेत्र के राजकीय प्राथमिक स्कूल दख्योड़ा व जमली में देखने को मिल सकता है। स्कूल में एक शिक्षक पिछले लम्बे समय से बच्चों की पढाई व स्कूल की व्यवस्था को संभाल रहा है। इन प्राथमिक स्कूलों में पांच कक्षाएं चल रही है, जिनमें दो पंचायतों के 60-65 बच्चें यहाँ पढऩे आते है। लेकिन बिडंबना यह है कि इन स्कूलों में एक ही शिक्षक है, जो स्कूल की सारी जिम्मेदारियां उठाए हुए है। हालांकि बताया जा रहा है कि सरकार द्वारा अभी हाल ही में स्कूलों में खाली चल रहे पदों को भरने के उदेश्य से कुछ एक शिक्षकों के तबादला आदेश जरी कर दिए गए हैं। लेकिन कुछ एक शिक्षक ऐसे है जो दूरदराज क्षेत्र के होने के चलते इन स्कूलों में अपनी ज्वाइनिंग देते है या फिर अपने तबादलों को रद करवा लेते है यह आने बाला वक्त ही बता पाएगा।

शिक्षकों  की कमी को लेकर अभिभावकों में  रोष 

वहीं बड़सर विधानसभा क्षेत्र के 44 प्राथमिक स्कूल ऐसे है, जिनमें बच्चों की संख्या तो अधिक है। लेकिन बच्चों को पढऩे के लिए एक ही शिक्षक है। ऐसे में बच्चों के अविभावक सरकार व शिक्षा विभाग के रवैया के प्रति लामबंद है। अविभावकों ने सरकार व विभाग को दो टूक चेताया है कि सरकार ऐसे स्कूलों में तत्काल प्रभाव से शिक्षकों की तैनाती करें या फिर आगामी चुनावों में इसके परिणाम भुक्तने के लिए तैयार रहे। शिक्षकों को लेकर अभिभावकों में काफी रोष है।


उधर खंड शिक्षा अधिकारी बिझड़ी ओम प्रकाश ने बताया कि बिझड़ी खंड के तहत आने बाले प्राथमिक स्कूलों में शिक्षकों की कमी के बारे उच्चाधिकारियों अवगत कर दिया गया है। उन्होंने कहा कि बिझड़ी खंड के 50 स्कूल ऐसे है जिनमें एक एक ही शिक्षक है। उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा हाल ही में रिक्त चल रहे पदों को भरने के लिए तबादला आदेश जारी किए गए है, लेकिन अभी तक इन शिक्षकों ने ज्वाइन नहीं किया है। जैसे ही ये शिक्षक अपनी ज्वाइनिंग देंगे तो रिक्त चल रहे पदों को भर दिया जाएगा।


उधर प्रारंभिक शिक्षा हमीरपुर उप निर्देशक संजय ठाकुर ने बताया कि हमीरपुर के प्राथमिक स्कूलों में शिक्षकों की कमी चल रही है। उनहोंने कहा कि शिक्षा विभाग जिला के उन स्कूलों में प्राथमिकता के आधार पर शिक्षकों की तैनाती कर रहा है, जिन स्कूलों में एक भी शिक्षक नहीं है। इसके बाद उन स्कूलों में शिक्षकों की तैनाती की जायेगी, जहां बच्चों की संख्या तो अधिक है, लेकिन शिक्षक एक ही है।