दियोटसिद्ध  मंदिर  : सालाना करोड़ों की आय, 70 करोड़ के प्रोजेक्ट को अब तक नहीं मिली अप्रूवल

देश विदेश के लाखों बाबा के भक्तों की श्रद्धा की प्रतीक बाबा बालक नाथ मंदिर पर्यटन की दृष्टि से नहीं हो पाया विकसित। एशियन डेवलपमेंट बैंक का प्रस्तावित 70 करोड़ का प्रोजेक्ट सिर्फ कागजों तक ही सीमित। दिव्यांगों के लिए गुफा के दर्शन के लिए नहीं है  रैंप और अन्य सुविधायें।
 

हमीरपुर  ।  उत्तरी भारत के प्रसिद्ध शक्तिपीठ और देश विदेश के हजारों लाखों बाबा के भक्तों की आस्था का प्रतीक बाबा बालक नाथ मंदिर दियोटसिद्ध आज तक पर्यटन की दृष्टि से विकसित नहीं हो पाया है। मंदिर में ऐसा कोई आकर्षण नहीं है, जिसके चलते भक्तों को आकर्षित किया जा सके।  बाबा बालक नाथ मंदिर दियोटसिद्ध को अंतरराष्ट्रीय पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने के लिए सरकार और प्रशासन ने मंदिर के सौंदर्यीकरण और विस्तारीकरण के लिए एशियन डेवलपमेंट बैंक के माध्यम से 70 करोड़ का एक प्रोजेक्ट प्रस्तावित किया था। लेकिन आज तक यह प्रोजेक्ट सिवाय डी.पी.आर तैयार करने से आगे नहीं बढ़ पाया है।

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इस प्रोजेक्ट के माध्यम से बाबा बालक नाथ की पवित्र स्थली को विकसित करने के लिए सड़कों, शौचालयों, आराम गृह, लिफ्ट की सुविधा, पार्क और एल.सी.डी के माध्यम से बाबा बालक नाथ से जुड़ी जानकारियां और उनके जीवन का प्रसारण सहित पार्किंग की उचित सुविधा इत्यादि का प्रावधान किया जाना प्रस्तावित किया गया है। अगर हिमाचल प्रदेश  पर्यटन विभाग की मानें तो इस प्रोजेक्ट की अभी तक सिर्फ  डी.पी.आर ही बनी है, लेकिन इस के लिए कोई अप्रूवल अभी तक नहीं मिली है। जिसके चलते यह प्रोजेक्ट कब शुरू होगा कुछ नहीं कहा जा सकता  है।

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मंदिर में दिव्यांगों के लिए गुफा के दर्शन के लिए नहीं है रैंप और अन्य सुविधा

बाबा बालक नाथ मंदिर में सामान्य  श्रद्धालुओं  के लिए बाबा की गुफा के दर्शन के लिए तो हर सुविधा उपलब्ध करवा दी जाती है, लेकिन दिव्यांग श्रद्धालुओं के लिए बाबा की गुफा के दर्शन करने के लिए आज तक कोई रैंप या अन्य सुविधा उपलब्ध नहीं हो पाई है। मंदिर तक पहुंचने के लिए दोनों ओर से पौड़ियां होने के कारण व्हीलचेयर की सुविधा भी कामयाब नहीं हो पाती है। ऐसे में दिव्यांग श्रद्धालुओं और उनके साथ आए हुए परिजनों को भारी असुविधा का सामना करना पड़ता है। मंदिर के आस पास प्रशासन ने शौचालयों की व्यवस्था तो कर रखी है, लेकिन दिव्यांगों के लिए एक भी ऐसा शौचालय नहीं है जहां पर दिव्यांग इस सुविधा का लाभ उठा सकें।

शाहतलाई से लेकर बाबा की गुफा तक नहीं है कोई आराम करने की सुविधा

शाहतलाई से बाबा की गुफा तक के 04 किलोमीटर के सफर में कोई आराम करने या पार्क की सुविधा नहीं है।  देश विदेश से आने वाले अधिकतर श्रद्धालु अपनी निजी गाड़ियों और अन्य साधनों से पहले शाहतलाई में ही रुकते हैं और वहां से बाबा की गुफा के लिए पैदल प्रस्थान करते हैं। लेकिन इस चार से पांच किलोमीटर के सफर में श्रद्धालुओं के आराम करने के लिए कोई बैठने की उचित व्यवस्था नहीं है और न ही शौचालयों का और पीने के पानी का उचित प्रबंध है। गौर रह कि कि यह चार किलोमीटर का सफर दो जिलों हमीरपुर और बिलासपुर के अधीन आता है और हर बार उपेक्षा का शिकार बना रहता है।

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विश्रामगृह से लेकर सराए नंबर 8 तक नहीं कोई पार्किंग सुविधा

दियोटसिद्ध मंदिर में गेट नंबर दो से लेकर लंगर भवन तक जाने वाली गाड़ियों के लिए कोई विश्राम गृह से सराए नंबर 8 तक कोई उचित पार्किंग न होने कारण मेलों के दौरान हर शनिवार व रविवार को जाम की स्थिति बनी रहती है। जिसके चलते श्रद्धालुओं को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। हालांकि यहां पार्किंग की सुविधा उपलब्ध करवाई जा सकती है। मंदिर न्यास के अधिकारियों की मानें तो वन विभाग की एनओसी नहीं मिल पाने से समस्या आ रही है। जबकि मंदिर न्यास अपने खर्चे पर पार्किंग बनाने के लिए प्रयासरत है।

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कई वर्षो से मंदिर न्यास को नहीं मिल पाया स्थाई प्रशासनिक अधिकारी 

 बाबा बालक नाथ मंदिर दियोटसिद्ध को पिछले कई वर्षों से स्थाई मंदिर अधिकारी नहीं मिल पाने से भी मंदिर के विकास और इसके सौंदर्यीकरण और विस्तारीकरण में भी काफी हद तक समस्याओं का सामना करना पड़ता है। इतने बड़े धार्मिक स्थल का जिम्मा प्रतिनियुक्ति के आधार पर चलाया जा रहा है। मंदिर अधिकारी के पास तहसील का कार्यभार होने के साथ -साथ मंदिर का कार्यभार होने के चलते दोनों तरफ  के कार्य प्रभावित होना स्वाभाविक ही है।

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वहीं, दियोटसिद्ध मंदिर के महंत राजेंद्र गिरी महाराज ने सरकार और प्रशासन से आग्रह किया है कि मंदिर में स्थाई प्रशासनिक अधिकारी की नियुक्ति की जाए, ताकि मंदिर को विकसित करने के लिए हर समस्या का समाधान आसानी से हो सके। उन्होंने कहा कि मंदिर की पवित्र नगरी और देश विदेश से आने वाले हजारों भक्तों के लिए अगर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विकसित किया जाए तो यहां पूरा साल चहल पहल लगी रह सकती है। क्योंकि इस नगरी को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने के लिए पर्याप्त स्थल और आपार संभावनाएं हैं।


 
उधर, हिमाचल प्रदेश पर्यटन विभाग के अधिशाषी अभियंता मान सिंह ने बताया कि दियोटसिद्ध मंदिर को पर्यटन की दृष्टि से विकसित करने के लिए जो 70 करोड़ का प्रोजेक्ट एशियन डेवलपमेंट बैंक के साथ प्रस्तावित है, उसकी अभी डी.पी.आर ही तैयार की गई है। किसी तरह की कोई अप्रूवल अभी तक नहीं मिली है।


उधर, दियोटसिद्ध मंदिर के चेयरमैन एवं एसडीएम बड़सर शशिपाल शर्मा ने बताया कि बाबा बालक नाथ मंदिर दियोटसिद्ध को अंतरराष्ट्रीय पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने के लिए एशियन डेवलपमेंट बैंक के साथ प्रक्रिया जारी है। इस हेतु जो जो औपचारिकताएं हैं उनको पूरा किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि जहां तक दिव्यांग श्रद्धालुओं के लिए शौचालय की सुविधा का प्रश्न है, मंदिर न्यास जल्द ही इनका निर्माण कार्य करवाने जा रहा है। उन्होंने कहा कि पार्किंग के लिए भी वन विभाग से एनओसी के लिए प्रक्रिया जारी है। मंदिर प्रशासन बाबा के भक्तों को हर सुविधा उपलब्ध करवाने के लिए दिन रात प्रयासरत है।