हिमाचल के तीन बड़े अस्पतालों में आएंगी 3-Tesla MRI मशीनें, 9.5 लाख लोगों को मिलेगा लाभ
शिमला। हिमाचल प्रदेश के तीन बड़े अस्पतालों में जल्द ही अत्याधुनिक थ्री टेस्ला एमआरआई (3-Tesla MRI) मशीनें स्थापित होंगी। यह एमआरआई (3-Tesla MRI) मशीनें आईजीएमसी शिमला, टांडा और नेरचौक मेडिकल कॉलेज में लगाई जाएंगी। मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने बताया कि इन मशीनों की खरीद के लिए 85 करोड़ रुपये जारी किए गए हैं।
थ्री टेस्ला एमआरआई मशीनें आधुनिक तकनीक से लैस हैं, जो जटिल बीमारियों की सटीक जांच और गहन विश्लेषण में मददगार हैं। इनसे डॉक्टर न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर, कैंसर, हृदय रोग और अन्य गंभीर समस्याओं का त्वरित और प्रभावी निदान कर सकेंगे। थ्री टेस्ला एमआरआई (3-Tesla MRI) से बीमारी के शुरुआती चरण में ही पहचान संभव होगी। सटीक जांच के बाद मरीज को उचित और प्रभावी उपचार मिलेगा।
मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने कहा कि वर्तमान में राज्य के 9.5 लाख लोग बेहतर उपचार सुविधा के लिए प्रदेश से बाहर का रूख करते हैं, जिससे सकल घरेलु उत्पाद की 1350 करोड़ रुपये की क्षति हो रही है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश सरकार स्वास्थ्य क्षेत्र को सुदृढ़ करने के लिए 1500 करोड़ रुपये के निवेश से सभी स्वास्थ्य संस्थानों को आधुनिक उपकरणों से लैस करेगी। सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में अल्ट्रासाउंड मशीनें, आईसीयू सुविधाएं और सेमी-ऑटोमेटिक लैबोरेट्रीज स्थापित की जाएंगी। सिविल और जोनल अस्पतालों में डिजिटल एक्स-रे, मॉड्यूलर ऑपरेशन थिएटर और पूरी तरह स्वचालित लैब सुविधा भी शीघ्र शुरू होगी।
मरीजों को क्या होगा लाभ?
थ्री टेस्ला एमआरआई मशीनें आधुनिक तकनीक से लैस हैं, जो जटिल बीमारियों की सटीक जांच और गहन विश्लेषण में मददगार हैं। इनसे डॉक्टर न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर, कैंसर, हृदय रोग और अन्य गंभीर समस्याओं का त्वरित और प्रभावी निदान कर सकेंगे। इन मशीनों से:
- सटीक निदान: बीमारी के शुरुआती चरण में ही पहचान संभव होगी।
- बेहतर इलाज: सटीक जांच के बाद मरीज को उचित और प्रभावी उपचार मिलेगा।
- समय और धन की बचत: मरीजों को जांच के लिए बाहर जाने की जरूरत नहीं पड़ेगी, जिससे यात्रा और अन्य खर्चों में कमी आएगी।
- रेडिएशन का कम जोखिम: इन मशीनों में पारंपरिक एमआरआई की तुलना में रेडिएशन जोखिम कम होता है।
अब तक क्या थीं समस्याएं?
प्रदेश में अत्याधुनिक एमआरआई मशीनों की कमी के कारण मरीजों को जांच के लिए निजी अस्पतालों या राज्य के बाहर जाना पड़ता था। इससे
- मरीजों और उनके परिवारों को आर्थिक बोझ सहना पड़ता था।
- समय पर सटीक जांच न होने से इलाज में देरी होती थी।
- गंभीर बीमारियों का निदान शुरुआती चरण में संभव नहीं हो पाता था।
मुख्यमंत्री सुखविंद्र सुक्खू ने कहा कि पिछली सरकार की लापरवाही के कारण प्रदेश की स्वास्थ्य प्रणाली प्रभावित हुई। कांग्रेस सरकार बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करने के लिए प्राथमिकता से कार्य कर रही है, और लोगों को जल्द ही सकारात्मक परिणाम देखने को मिलेंगे।