हिमाचल हाईकोर्ट का फैसला पढ़ घूमा सुप्रीम कोर्ट के जज का माथा, बोले- ओह, माय गॉड

RNN DESK। सुप्रीम कोर्ट (supreme court) ने हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट (himachal high court) के उलझाऊ और समझ से परे आ रहे फैसलों पर शुक्रवार को कड़ी नाराजगी जाहिर की। सुप्रीम कोर्ट (supreme court) ने कहा कि यह फैसला कैसा है, हमें समझ ही नहीं आ रहा। जज ने कहा कि पढ़ने के बाद मुझे बाम
 

RNN DESK। सुप्रीम कोर्ट (supreme court) ने हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट (himachal high court) के उलझाऊ और समझ से परे आ रहे फैसलों पर शुक्रवार को कड़ी नाराजगी जाहिर की। सुप्रीम कोर्ट (supreme court) ने कहा कि यह फैसला कैसा है, हमें समझ ही नहीं आ रहा। जज ने कहा कि पढ़ने के बाद मुझे बाम लगाना पड़ा। न्यायमूर्ति डी.वाई. चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति एम.आर. शाह की पीठ ने संविधान के अनुच्छेद- 226 के तहत दायर एक याचिका में हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय की खंडपीठ द्वारा पारित एक आदेश के खिलाफ दायर एक अपील पर सुनवाई कर रही थी, जो केंद्र सरकार के लेबर कोर्ट के अवार्ड के मामले से संबंधित है।

 

सुनवाई के समय पीठ के जज न्यायमूर्ति डी.वाई. चंद्रचूड़ ने कहा कि हमें समझ नहीं आ रहा है कि फैसले में क्या लिखा है। उनके साथी जज ने भी कहा कि मेरी समझ से यह बाहर है। मैंने इसे कई बार पढ़ा लेकिन समझ नहीं आया। मुझे अपनी समझ पर संदेह होने लगा है। उन्होंने हंसते हुए कहा कि इसे पढ़ने के बाद उन्हें टाइगर बाम का इस्तेमाल करना पड़ा।

 

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने कहा, ‘मैं सुबह 10:10 बजे इसे पढ़ने के लिए बैठ गया और मैंने इसे 10:55 तक पढ़ लिया। मैं पूरी तरह से आश्चर्यचकित हो गया, आप सोच भी नहीं सकते। अंत में, मुझे स्वयं लेबर कोर्ट के अवार्ड को तलाशना पड़ा। ओह, माय गॉड! मैं आपको बता रहा हूं, यह अविश्वसनीय है! यह कुछ और नहीं न्याय की अव्यवस्था है।’ उन्होंने कहा कि फैसला सामान्य तौर पर सरल भाषा में होना चाहिए। इस फैसले में उच्च न्यायालय ने एक कर्मचारी के खिलाफ कदाचार के आरोप के संबंध में लेबर कोर्ट के आदेश की पुष्टि की थी।

 

क्या था मामला

सुप्रीम कोर्ट ने जिस मामले पर यह टिप्पणी की, वह केंद्र सरकार के एक कर्मचारी की याचिका पर आधारित था, जिसमें हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने सीजीआईटी के आदेश पर अपनी मुहर लगाई थी। सीजीआईटी ने एक कर्मचारी को कदाचार का दोषी मानते हुए दंडित किया था। जिसके बाद उस कर्मचारी ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था।